आईएएस अफसरों की कमी से जूझ रहा है भारत
११ अक्टूबर २०१८इन अफसरों को सरकार की रीढ़ की हड्डी माना जाता है. लगभग एक चौथाई खाली पदों की वजह से केंद्र के अलावा राज्यों को भी प्रशासनिक कामकाज में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बीते दो वर्षों के दौरान संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) हर साल 180 आईएएस अफसरों का चयन करता रहा है. लेकिन हर साल 145 से 160 अफसर रिटायर हो जाते हैं. मौजूदा रफ्तार से खाली पदों को भरने में लगभग 35 साल का समय लगेगा.
खाली पद
देश में आईएएस अफसरों के 6,553 अनुमोदित पद हैं. लेकिन फिलहाल 5,104 अफसर ही हैं. यानी 1,449 पद खाली हैं. इन खाली पदों में से 926 पद सीधी नियुक्तियों वाले हैं और बाकी 523 पद प्रमोशन के जरिए आईएएस बनने वाले कोटे से. संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) हर साल परीक्षा के जरिए आईएएस अफसरों का चयन करता है. प्रमोशन वाले पदों पर राज्य प्रशासनिक सेवाओं के अफसरों को चुना जाता है. उनको मौजूदा नियमों के मुताबिक निर्धारित समय की सेवा के बाद यह प्रमोशन देकर आईएएस का दर्जा दिया जाता है. हालांकि बीते दो साल से यूपीएससी अपने इतिहास में सबसे ज्यादा 180 उम्मीदवारों को आईएएस चुनती रही है. लेकिन अगर इस तथ्य को ध्यान में रखें कि हर साल 145 से 160 आईएएस अफसर रिटायर हो जाते हैं तो आईएएस काडर में सालाना औसतन 30 से 40 नए अफसर ही बढ़ते हैं. मौजूदा रफ्तार से इन अफसरों की कमी को पाटने में कम से कम 35 साल लग सकते हैं.
खाली पदों की वजह
आखिर यह संकट कैसे पैदा हुआ? दरअसल, यह हालत एक दिन में पैदा नहीं हुई है. केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि नब्बे के दशक से ही लगभग 20 साल तक सिविल सर्विस में बहुत कम तादाद में होने वाली नियुक्तियों ने इस संकट को गंभीर बना दिया है. मिसाल के तौर पर वर्ष 1998 में महज 55 आईएएस अफसर चुने गए थे. वर्ष 1999, 2000 और 2001 में यह तादाद क्रमशः 55, 50 और 56 थी. इसी तरह वर्ष 2002 में 59 आईएएस चुने गए थे. अगले चार वर्षों के दौरान यह आंकड़ा क्रमशः 83, 89, 85 और 91 रहा. एक वरिष्ठ आईएएस अफसर बताते हैं कि लगभग दो दशकों तक नियुक्तियां बेहद कम होने की वजह से खाली पदों की तादाद लगातार बढ़ती रही है. अब इसे एक साथ तो नहीं भरा जा सकता.
सरकारी सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार इन अफसरों के लिए राज्यों पर ही निर्भर है. लेकिन आईएएस अफसरों की कमी की वजह से राज्य सरकारें केंद्र में डेपुटेशन पर इन अफसरों को नहीं भेज पा रही हैं. नतीजतन अपना कोई काडर नहीं होने वाले केंद्र को इनकी भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. मिसाल के तौर पर पश्चिम बंगाल अनुमोदित तादाद में से महज 13 फीसदी आईएएस अफसरों को ही केंद्र में भेज रहा है. सेंट्रल डेपुटेशन रिजर्व (सीडीआर) के मुताबिक बंगाल को हर साल 82 अफसरों को डेपुटेशन पर केंद्र सरकार में भेजना चाहिए. लेकिन राज्य में आईएएस अफसरों के 372 पदों में से 98 खाली पड़े हैं. इन खाली पदों को ध्यान में रखें तो भी बंगाल को हर साल कम से कम 61 अफसरों को केंद्र में भेजना जरूरी है. लेकिन इसने अबकी महज आठ अफसरों को भेजा है. इसी तरह छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के मामले में यह योगदान क्रमशः 17 व 25 फीसदी है. छत्तीसगढ़ ने 35 की जगह महज छह अफसरों को भेजा है तो उत्तराखंड ने 20 की जगह महज पांच को.
आईएएस अफसरों के बढ़ते पद
आईएएस अफसरों की नियुक्तियों में वृद्धि वर्ष 2008 से शुरू हुई थी. उस साल 112 अफसरों का चयन किया गया, जबकि उसके बाद के दो वर्षों के दौरान क्रमशः 117 और 131 का. वर्ष 2014 में केंद्र सरकार बदलने के बाद इस तादाद में और वृद्धि हुई. वर्ष 2014, 2015, 2016 और 2017 के दौरान यह आंकड़ा क्रमशः 176, 171, 180 और 180 रहा. आईएएस अफसरों के जितने पद खाली पड़े हैं उनमें से 40 फीसदी महज छह राज्यों—आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल व उत्तर प्रदेश में हैं. इनमें 110 खाली पदों के साथ उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है. इसके बाद क्रमशः बिहार (107) और बंगाल (98) का स्थान है. प्रमोशन कोटे से आईएएस बनाने के मामले में बिहार, कर्नाटक, हरियाणा, जारखंड और जम्मू-कश्मीर का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है. यहां इस श्रेणी में महज 45.3 फीसदी पद ही भरे गए हैं.
एक सेवानिवृत्त आईएएस अफसर सुनील चंद कहते हैं, "राज्य सरकारें चाहें तो प्रमोशन कोटे वाले खाली पदों को तुरंत भर सकती हैं. लेकिन कई राज्यों में विभागीय प्रमोशन समिति तक नहीं बनी है.” इसी समिति के जरिए राज्य सेवा के अधिकारियों को प्रमोशन देकर आईएएस का दर्जा दिया जाता है. केंद्र सरकार के एक अधिकारी बताते हैं, "राज्य सरकारें प्रमोशन वाले पद भरने की बजाय सीधी नियुक्ति वाले आईएएस अफसरों की मांग करती रहती हैं. नतीजतन धीरे-धीरे अफसरों की भारी कमी पैदा हो गई है.” लेकिन क्या यूपीएससी के जरिए चुने जाने वाले आईएएस अफसरों की तादाद बढ़ाई नहीं जा सकती? इस सवाल पर केंद्रीय अधिकारी का कहना है कि 180 आईएएस अफसरों का चयन. यूपीएससी के इतिहास में एक रिकार्ड है. इसमें और ज्यादा वृधि से काडर प्रबंधन व्यवस्था गड़बड़ाने का अंदेशा है.
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकारों की उदासीनता और राज्य के कई अधिकारियों के खिलाफ अदालती मामले लंबित होने की वजह से प्रमोशन कोटे के तहत नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं. इससे समस्या और जटिल हो रही है.