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आईएमएफ और ईयू के आदेश बाध्य नहीं: हंगरी

Priya Esselborn२६ अप्रैल २०१०

हंगरी में दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही मध्यमार्गी दक्षिणपंथी फ़िदेश पार्टी ने अपने मूड का इज़हार कर दिया है. पीएम नियुक्त किए गए ओरबान ने कहा, नई सरकार वित्तीय मामलों में बाहरी दख़लंदाज़ी नहीं सहेगी.

नए प्रधानमंत्री विक्टोर ओरबानतस्वीर: AP

दूसरे दौर के चुनावों में विपक्षी फिदेश पार्टी ने दो तिहाई बहुमत हासिल किया. 386 सदस्यों वाली संसद में उसे 263 सीटें हासिल हुई हैं. मंत्रिमंडल के गठन की तैयारियों के बीच नई सरकार की नीतियों की झलक देते हुए हंगरी के नए प्रधानमंत्री विक्टोर ओरबान ने कहा, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष आईएमएफ या यूरोपीय संघ अगर ऋणदाताओं के इशारों पर टैक्स कटौती की बात कहेंगे तो उसे नहीं माना जाएगा. प्रधानमंत्री को लग रहा है कि वह अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की अपनी योजना को आईएमएफ और ईयू से मनवा लेंगे.

ओरबान ने यह भी साफ किया कि वे नये वित्तीय घाटे को कम करने के पक्ष में नहीं है. हंगरी 16 देशों के उस समूह का हिस्सा बनना चाहता है, जो यूरो मुद्रा इस्तेमाल करते हैं. इन देशों के समूह को यूरो ज़ोन कहा जाता है, यूरोपियन सेंट्रल इसके लिए दिशा निर्देश तय करता है. यूरोपीय संघ और यूरोपीय सेंट्रल बैंक अक्सर इस बात पर ज़ोर देते हैं कि सदस्य देशों का बजट घाटा तीन फ़ीसदी से ज़्यादा नहीं होना चाहिए. नए पीएम का कहना है कि रोजगार पैदा करने के लिए एक साल तक बजट घाटा उठाना ही होगा.

फ़िदेश पार्टी को भारी बहुमततस्वीर: AP

सरकार का कहना है कि इस वक्त यह बजट घाटा सकल घरेलू उत्पाद के क़रीब चार प्रतिशत के बराबर है. विश्लेषकों का कहना है कि यह बढ़कर पांच फ़ीसदी तक होने वाला है. फ़िदेश पार्टी का कहना है कि टैक्स घटाया जाएगा, नई नौकरियां पैदा की जाएंगी और प्रशासनिक ढांचे में भी बदलाव किया जाएगा. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी बड़े पैमाने पर बदलाव सरकार के एजेंडे में शामिल हैं. हंगरी में इस वक्त ब्याज की दर सवा पांच फ़ीसदी है. यह अब तक की सबसे निचली ब्याज दर है लेकिन अब इसमें और कटौती की उम्मीद जताई जा रही है.

लेकिन बदलाव की बयार पर उड़ रही हंगरी की नई सरकार के लिए चुनौतियां भी कम नहीं है. देश पर भारी कर्ज़ चढ़ा हुआ है. कर्ज़ की कुल राशि सकल घरेलू उत्पाद का 80 फ़ीसदी है. निवेशक आर्थिक सुधारों की मांग कर रहे हैं. ऐसे में ओरबान के लिए एक साथ अपने देश और यूरोपीय संघ को ख़ुश रखना आसान नहीं होगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: राम यादव

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