अमेरिका के एक शीर्ष जनरल जोसेफ डनफोर्ड ने कहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के आतंकी समूहों के साथ संबंध हैं.
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अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने सीनेट की प्रभावशाली सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा कि आईएसआई के संबंध आतंकी संगठनों से हैं और उनकी अपनी विदेश नीति भी है. जब उनसे पूछा गया कि अगर पाकिस्तान आतंक को खत्म करने के लिए तत्काल प्रभाव से कोई कदम नहीं उठाता तो क्या गैर नाटो सहयोगी देश के तौर पर उससे रिश्ता खत्म किये जाने का विकल्प है? इसपर जिम मैटिस ने जबाव दिया, "हां, यह विकल्प होगा"
जोसेफ डनफोर्ड ने कहा कि स्वाभाविक है कि पाकिस्तान इन आरोपों पर हमेशा से इनकार करता रहा है लेकिन अमेरिका इन झूठी बातों को अब नहीं सुनेगा. उन्होंने कहा, "यह मुझे साफ है कि इंटर सर्विस इंटेलिजेंस के आतंकी समूहों से संबंध हैं."
हालांकि, जिम मैटिस और डनफोर्ड दोनों कोई बड़ा फैसला लिए जाने से पहले पाकिस्तान के साथ "एक और बार" काम करने के इच्छुक हैं.शीर्ष अमेरिकी जनरल के साथ वहां मौजूद रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने आईएसआई की आलोचना भी की. सार्वजनिक रुप से पहली बार मैटिस ने यह स्वीकार किया कि आईएसआई की अपनी विदेश नीति है और ऐसा नहीं लगता कि वह संघीय सरकार के अधीन है. ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के यह बयान ऐसे समय पर आए हैं, जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ तीन दिवसीय दौरे पर वॉशिंगटन पहुंच चुके हैं.
पाकिस्तान: दहशत के दस साल
अफगानिस्तान पर 2001 में तालिबान के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई के बाद से पाकिस्तान में इस्लामी कट्टरपंथियों ने हजारों लोगों की जान ली है. यहां तस्वीरों में पिछले एक दशक के कुछ प्रमुख कट्टरपंथी हमले.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/N. Khawer
2017- शाहबाज कलंदर की मजार पर हमला
सिंध प्रांत के सेहवान में 16 फरवरी 2017 को एक सूफी संत शाहबाज कलंदर की मजार को निशाना बनाया जिसमें 70 से ज्यादा लोग मारे गए. आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने हमले की जिम्मेदारी ली है.
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2016 - क्वेटा पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज
24 अक्टूबर को क्वेटा के पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज पर तीन आतंकवादियों ने हमला किया. इस हमले में 60 से ज्यादा कैडेटों की मौत हो गई. इस साल के सबसे भयानक हमलों में से एक में तीनों आत्मघाती हमलावरों को मार डाला गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Taraqai
2016 - क्वेटा में अस्पताल पर हमला
आतंकवादियों ने 8 अगस्त 2016 को क्वेटा के सरकारी अस्पताल पर आत्मघाती हमला किया. फायरिंग और उसके बाद हुए आत्मघाती हमले में 70 लोग मारे गए. निशाना वकीलों को बनाया गया था जो अस्पताल में बार एसोसिएशन के प्रमुख बिलाल अनवर कासी की लाश के साथ आए थे. उन्हें अज्ञात लोगों ने गोली मार दी थी.
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2016 - लाहौर में पार्क पर हमला
27 मार्च 2016 को लाहौर में एक लोकप्रिय पार्क पर आत्मघाती हमला हुआ जिसमें 75 लोग मारे गए. हमला ईसाई समुदाय पर लक्षित था जो ईस्टर मना रहे थे. मृतकों में 14 लोगों की शिनाख्त ईसाइयों के रूप में हुई, बाकी मुसलमान थे. तहरीके तालिबान से जुड़े गुट जमात उल अहरार ने जिम्मेदारी ली.
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2015 - कराची में एक बस को बनाया निशाना
कराची में सफूरा गोठ में 8 बंदूकधारियों ने एक बस पर हमला किया. फायरिंग में 46 लोग मारे गए. मरने वाले सभी लोग इस्माइली शिया समुदाय के थे. प्रतिबंधित उग्रपंथी गुट जुंदलाह ने हमले की जिम्मेदारी ली. हमले की जगह इस्लामिक स्टेट को समर्थन देने वाली पर्चियां भी मिली.
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2014 - पेशावर में बच्चों पर क्रूर हमला
16 दिसंबर 2014 को तहरीके तालिबान से जुड़े 7 बंदूकधारियों ने पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला किया. आतंकियों ने बच्चों और स्टाफ पर गोलियां चलाईं और 154 लोगों को मार दिया. उनमें 132 बच्चे थे. यह पाकिस्तान में होने वाला अब तक का सबसे खूनी आतंकी हमला था.
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2013 - पेशावर में चर्च पर हमला
पेशावर में 22 सितंबर 2013 को ऑल सेंट चर्च पर हमला हुआ. यह देश के ईसाई अल्पसंख्यकों पर सबसे बड़ा हमला था. इस हमले में 82 लोग मारे गए. हमले की जिम्मेदारी तहरीके तालिबान पाकिस्तान से जुड़े एक इस्लामी कट्टरपंथी गुट जुंदलाह ने ली.
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Khan
2011 - चारसद्दा में पुलिस पर हमला
13 मई 2011 को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के चारसद्दा जिले में शाबकदर किले पर दोहरा हमला हुआ. दो आत्मघाती हमलावरों ने एक पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के बाहर दस दिन की छुट्टी के लिए बस पर सवार होते कैडेटों पर हमला किया और 98 लोगों की जान ले ली. कम से कम 140 लोग घायल हो गए.
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2010 - कबायली इलाके पर दबिश
उत्तर पश्चिम के मोहमंद जिले में एक आत्मघाती हमलावर ने व्यस्त बाजार पर हमला किया और 105 लोगों की जान ले ली. केंद्र शासित कबायली इलाके में ये हमला 9 जुलाई को हुआ. माना जाता है कि हमले का लक्ष्य कबायली सरदारों की एक मीटिंग थी. जिम्मेदारी तहरीके तालिबान पाकिस्तान ने ली.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Majeed
2010 - लाहौर नरसंहार
मई 2010 के आतंकी हमले को लाहौर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता है. 28 मई को जुम्मे की नमाज के दौरान अल्पसंख्यक अहमदिया संप्रदाय की दो मस्जिदों पर एक साथ हमले हुए. 82 लोग मारे गए. हमले की जिम्मेदारी तहरीके तालिबान पाकिस्तान ने ली.
तस्वीर: Getty Images/N. Ijaz
2010 - वॉलीबॉल मैच को बनाया निशाना
पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी जिले बन्नू के एक गांव में वॉलीबॉल मैच चल रहा था. आतंकवादियों ने इस मैच को भी शांति में नहीं होने दिया. उस पर कार में रखे बम की मदद से आत्मघाती हमला हुआ. हमले में 101 लोग मारे गए. खेल का मैदान कत्लेआम का गवाह बना.
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2009 - लाहौर का बाजार बना निशाना
दिसंबर 2009 में लाहौर के बाजार में दो बम धमाके किए गए और देश के दूसरे सबसे बड़े शहर के भीड़ भरे बाजार में फायरिंग भी की गई. हमलों में कम से कम 66 लोग मारे गए. मरने वालों में सबसे ज्यादा तादाद महिलाओं की थी. इस हमले के साथ देश का प्राचीन शहर आतंकियों की जद में आ गया था.
तस्वीर: DW/T.Shahzad
2009 - नया निशाना पेशावर
पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर में बसे शहर पेशावर के मीना बाजार में एक कार बम का धमाका किया गया. इस धमाके में 125 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा घायल हो गए. पाकिस्तान की सरकार ने हमले के लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराया. लेकिन तालिबान और अल कायदा दोनों ने ही हमले में हाथ होने से इंकार किया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A Majeed
2008-राजधानी में लक्जरी होटल पर हमला
कट्टरपंथी आम लोगों पर हमले के तरह तरह के तरीके ईजाद कर रहे थे. एक ट्रक में विस्फोटक भर कर उन्होंने 20 सितंबर 2008 को राजधानी इस्लामाबाद के मैरियट होटल के सामने उसे उड़ा दिया. कम से कम 60 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा घायल हो गए. मरने वालों में 5 विदेशी नागरिक भी थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Matthys
2008-पाकिस्तान की हथियार फैक्टरी पर हमला
वाह में 21 अगस्त 2008 को पाकिस्तान की ऑर्डिनेंस फैक्टरी पर दोहरा आत्मघाती हमला किया गया. हमलों में कम से कम 64 लोग मारे गए. यह पाकिस्तानी सेना के इतिहास में उसके संस्थान पर हुआ अब तक का सबसे खूनी हमला है. तहरीके तालिबान पाकिस्तान के एक प्रवक्ता ने हमले की जिम्मेदारी ली.
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2007- बेनजीर की वापसी पर बम हमला
सैनिक तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने 2008 में चुनाव कराकर सत्ता के बंटवारे का रास्ता चुना था. दो बार प्रधानमंत्री रही बेनजीर भुट्टो चुनाव में भाग लेने निर्वासन से वापस लौटीं. करांची में उनके काफिले पर बम हमला हुआ. वे बाल बाल बची. लेकिन दो महीने बाद 27 दिसंबर को रावलपिंडी में भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया.
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पाकिस्तान पर लगातार आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने के आरोप लगते रहे हैं. इस साल हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भी पाकिस्तान में हक्कानी नेटवर्क के सक्रिय होने को लेकर सवाल उठाये गये थे. हक्कानी नेटवर्क अफगान तालिबान के साथ मिल कर अफगानिस्तान में अमेरिका और दूसरे देशों के समर्थन वाली सरकार के खिलाफ युद्ध कर रहा है. अमेरिका ने तब भी पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि वह अपनी सीमा में हक्कानी नेटवर्क की गतिविधियों और सुरक्षित ठिकानों के खिलाफ और ज्यादा कार्रवाई करे, वरना उसकी सैन्य मदद रोकी जा सकती है.
इसके अलावा हाल में पाकिस्तान में हाफिज सईद के राजनीतिक पार्टी बनाने और चुनाव में उतरने की तैयारी को लेकर भी कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी थी. पाकिस्तान में आंतरिक मंत्रालय ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर सिफारिश की थी कि उसे मिली मुस्लिम लीग (एमएमएल) के आधिकारिक पार्टी बनाने के आवेदन को रद्द कर देना चाहिए क्योंकि पार्टी का संबंध लश्कर ए तैयबा (एलईटी) के साथ हैं. भारत इस आतंकवादी समूह को 2008 के मुंबई हमलों का जिम्मेदार मानता है. मुंबई हमलों में 166 लोग मारे गए थे.