तुर्की की पुलिस उस हमलावर को तलाश कर रही है जिसने इंस्ताबुल के एक नाइट क्लब में नए साल के जश्न के दौरान हमला कर 39 लोगों की जान ले ली. आतंकी गुट इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली.
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तुर्की की पुलिस ने नाइट क्लब पर हमला करने वाले व्यक्ति की तलाश में बड़ा खोज अभियान छेड़ा हुआ है. हमले में मारे गए ज्यादातर लोग विदेशी थे जो इस्तांबुल के एक पॉश इलाके में स्थित नाइट क्लब 'रेना' में पार्टी कर रहे थे. नए साल की पहली तारीख के आए 75 मिनट ही बीते थे कि एक व्यक्ति ने क्लब के गेट पर खड़े एक पुलिसकर्मी और एक आम नागरिक को गोली मार दी और भीतर चला गया. उसने अंदर मौजूद करीब 700 लोगों पर बंदूक से निशाना साधा. तुर्की के एनटीवी बताया है कि बंदूकधारी ने करीब सात मिनट तक लगातार 120 से 180 राउंड गोलियां बरसाईं. कई लोगों ने गोली से बचने के लिए क्लब के पास समंदर के ठंडे पानी में छलांग लगा दी.
इस्लामिक स्टेट ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर इस हमले की जिम्मेदारी ली है. इस आतंकी गुट ने लिखा है कि "खिलाफत के एक सैनिक" ने इस हमले को अंजाम दिया है. इसके पहले भी इस्तांबुल में कई हमले हो चुके हैं.
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोवान ने कहा है कि देश में अव्यवस्था का माहौल फैलाने के लिए यह कत्लेआम मचाया गया. उन्होंने कहा कि ऐसी डराने की कोशिशों के सामने तुर्की कभी नहीं झुकेगा. तुर्की के प्रधानमंत्री बिनाली यल्दिरिम ने बताया है कि हमलावर अब भी हाथ नहीं लगा है. उन्होंने हमलावर को एक "हथियारबंद आतंकवादी" बताया जो घटनास्थल पर अपनी बंदूक छोड़ कर भाग गया.
हमले में मारे गए लोगों की याद में क्लब के बाहर लोगों ने मोमबत्तियां जलाईं और फूल चढ़ाए. रेना के फेसबुक पेज की तस्वीर को काला कर दिया गया है. हादसे से प्रभावित क्लब के मालिक मेहमत कोसार्सलान ने लिखा है, "हमारे दिल से खून बह रहा है." इस हमले ने पेरिस में नवंबर 2015 में हुए हत्याकांड की यादें ताजा कर दी हैं. पेरिस के कई नाइट क्लबों और पबों पर हुए हमलों में कम से कम 130 लोग मारे गए थे. इनमें से 90 लोग बाताक्लां कॉन्सर्ट हॉल में ही मारे गए थे. इन हमलों की जिम्मेदारी भी इस्लामिक स्टेट ने ली थी.
यूरोप पर हुए आतंकवादी प्रहार
इस्लामी कट्टरपंथी एक दशक से भी ज्यादा समय से पूरे यूरोपीय महाद्वीप को निशाना बनाते आ रहे हैं. तस्वीरों में देखिए कब क्या हुआ...
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Christians
फिर निशाने पर पेरिस
शुक्रवार, 13 नवंबर पेरिस के लिए काला दिन बन गया. बंदूकधारी और आत्मघाती हमलावरों ने शहर के आम जनजीवन से जुड़े कई ठिकानों जैसे स्टेडियम, कैफे, रेस्तरां और कॉन्सर्ट हॉल को निशाना बनाया. इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली, जिसमें 129 लोगों की जान चली गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Christians
आजादी पर हमला
शार्ली एब्दॉ पर हमले को दुनिया भर में अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता पर एक हमला माना जा रहा है. यूरोप समेत विश्व के कई देशों में मीडिया, राजनेताओं और आम लोगों ने इस आतंकी वारदात की कड़ी निंदा की है. चित्र में दिख रहे पत्रिका के संपादक को हमलावरों ने 7 जनवरी को किए अपने हमले में मौत के घाट उतार दिया. वह यूरोप में साहसी लेखन की मिसाल बन चुके एक निडर सेनानी थे.
तस्वीर: Reuters/J. Naegelen
जनवरी 2015, पेरिस
सबसे ताजा हमले में पेरिस की प्रसिद्ध व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ के कार्यालय पर हथियारों से लैस आतंकियों ने हमला बोला और कई पत्रकारों, कार्टूनिस्टों को निशाना बनाया. इन अपराधियों को पकड़ने की कोशिशें जारी हैं और अभी तक किसी भी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने इसे "बर्बरता का असाधारण कृत्य" बताया है.
तस्वीर: STR/AFP/Getty Images
मई और सितंबर 2014, ब्रसेल्स
24 मई को ब्रसेल्स के मशहूर यहूदी संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर हुई गोलीबारी में चार लोग मारे गए. इसी साल सितम्बर में ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय संघ आयोग के मुख्यालय पर भी हमला करने की एक नाकाम कोशिश हुई थी.
तस्वीर: Reuters
नवंबर 2011, पेरिस
फ्रेंच पत्रिका शार्ली एब्दॉ 2011 में आतंकी हमले का शिकार बनी. कुछ अज्ञात हमलावरों ने पत्रिका के संपादकीय कार्यालय में एक कॉकटेल बम फेंका था. पत्रिका इस्लामी मामलों पर टिप्पणियां और कार्टून प्रकाशित कर रही थी जिसे कई लोग पसंद नहीं करते थे. हमले के बाद फिर से पत्रिका के कार्यालय को पुलिस संरक्षण देना पड़ा.
तस्वीर: picture-alliance/abaca
सितंबर 2005, डेनमार्क
30 सितंबर को डेनिश अखबार जाइलांड्स ने इस्लामी मान्यताओं से जुड़े बारह कार्टून प्रकाशित किए. उनमें से एक कार्टून में पैगंबर मोहम्मद के सिर पर पगड़ी की जगह बम रखा दिखाया गया था. इस चित्र के विरोध में दुनिया भर में खूनी विरोध प्रदर्शन हुए. इसी कड़ी में ऐसे कार्टून प्रकाशित करने वाली पेरिस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ की भी सुरक्षा बढ़ानी पड़ी थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
जुलाई 2005, लंदन
इसे ब्रिटेन के इतिहास में सबसे गंभीर इस्लामी आतंकवादी हमला माना जाता है. लंदन की तीन मेट्रो रेलों और एक बस में आत्मघाती हमले हुए, जिनमें 52 लोगों की जान गयी और 150 घायल हुए. चार में से तीन आतंकवादी पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक थे और चौथा जमैका मूल का. इन सबने अपने बैग में बम रखे थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. MacDiarmid
मार्च 2004, मैड्रिड
स्पेन के इतिहास में दर्ज हुए इस सबसे बड़े आतंकवादी हमले में 191 लोग मारे गए और 1,800 से ज्यादा घायल हुए. अलग अलग रेलगाड़ियों में कई बम रखे गए थे. इस घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों को पकड़ लिया गया और सभी दोषियों को मिलाकर 43,000 साल के कारावास की सजा सुनाई गई.
तस्वीर: AP
नवंबर 2003, इस्तांबुल
पांच दिनों के अंदर तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में इस्लामी आतंकवादियों ने कई हमले किए. इसमें 58 लोगों की मौत हो गई और 600 से ज्यादा लोग घायल हुए. प्रार्थनागृह के सामने, ब्रिटिश बैंक और वाणिज्य दूतावास पर भी हुए थे हमले. आरोपी आतंकवादियों को 2007 में दोषी ठहराया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
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इसके पहले, तुर्की में सक्रिय कुर्द गुटों पर हमले का संदेह जताया गया जिस पर सफाई देते हुए कुर्दिश वर्कर्स पार्टी (पीकेके) के नेता मूरत कराइलान ने कहा कि कोई भी कुर्द सेना इसमें शामिल नहीं थी.
तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलू ने गृह मंत्रालय के हवाले से लिखा है कि 38 मृतकों की पहचान हो चुकी है, जिनमें 27 विदेशी थे और 11 तुर्क लोग. एक मृतक की पहचान नहीं हुई है. हमले में घायल हुए 65 लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. घायलों में सऊदी अरब, जॉर्डन, इराक और ट्यूनीशिया के कई लोग थे. दो भारतीयों के भी हमले में मारे जाने की सूचना है. कनाडा के प्रधानमंत्री ने भी अपने एक नागरिक के मारे जाने की पुष्टि की है.
सिडनी से पेरिस तक, रियो से लंदन तक, इस बार नए साल के आयोजन स्थलों पर सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए गए थे. केवल इस्तांबुल में ही 17,000 पुलिसकर्मी ड्यूटी पर थे. कई पुलिसकर्मी सांता क्लॉज के भेष में भी तैनात थे. फिर भी इस हमले को रोका नहीं जा सका. विश्व भर के नेताओं ने हमले की निंदा की है. जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने इसे "जश्न मनाते लोगों पर किया गया एक अमानवीय और कायराना हमला" करार दिया है. वहीं पोप प्रांसिस ने भी अपने नए साल के विशेष संदेश में इसकी कड़ी निंदा की है.