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आईपीएल ने बदले विदेशी खिलाड़ियों के मिजाज

१५ फ़रवरी २०११

1996 के बाद यह पहला मौका है, जबकि क्रिकेट का महासंग्राम भारतीय उप महाद्वीप में हो रहा है. लेकिन इन 15 सालों में भारत में क्रिकेट को लेकर बहुत कुछ बदला है.

तस्वीर: AP

कुछ साल पहले तक ऐसा होता था कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की टीमें जब भारत दौरे पर आती थीं तो खाने पीने की चीजें उनके देश से मंगवाई जाती थीं. लेकिन समय के साथ हालात बदले और भारत दुनिया में विश्व क्रिकेट की नई ताकत बनकर उभरा. बदलते हुए माहौल में पूरी दुनिया के क्रिकेटर भारत में खेलना सम्मान की बात मानने लगे, क्योंकि यहां क्रिकेट धर्म की तरह विकसित हो चुका था.

तस्वीर: AP

2008 में शुरू हुए इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) ने क्रिकेट की व्यवसायिकता को फिर से पारिभाषित किया. दुनिया भर के शीर्ष क्रिकेटरों में आईपीएल में बेहतर खेल दिखाने की होड़ होती, क्योंकि आईपीएल में उनका प्रदर्शन उनकी मार्केट प्राइस तय करता. डेविड हसी, शॉन मार्श, एडम वोगस, यूसुफ पठान, जे थेरॉन जैसे खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका आईपीएल में अपना खेल दिखाने से ही मिला.

आईपीएल के कारण विदेशी खिलाड़ी भारतीय परिस्थितियों में पूरी तरह रच बस गए. अब उन्हें भारत में रहते हुए न तो पीने के पानी की चिंता है और न ही खाने की. यहां तक कि वे यहां की संस्कृति से भी वाकिफ होने लगे हैं. आईपीएल की टीमें अपने क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं और जब टीम के प्रचार की बात आती है तो खिलाड़ियों को क्षेत्रीय भाषा और वहां के रीति रिवाज के मुताबिक प्रचार कार्यक्रमों में पेश किया जाता है.

कभी भारतीय दौरे पर ऑस्ट्रेलिया के महान गेंदबाज शेन वॉर्न अपना खाना अपने मुल्क से मंगवाते थे, लेकिन अब वे राजस्थान की रॉयल्स टीम में इतने रम गए हैं कि राजस्थानी थाली उनका पसंदीदा खाना है. इसी तरह एडम गिलक्रिस्ट अपनी आईपीएल टीम के प्रचार के दौरान क्षेत्रीय भाषा के कई शब्द सीख गए.

कभी गर्म मौसम को वजह बताकर भारत दौरे से किनारा करने वाले इंग्लैंड के खिलाड़ी भी अब नहीं सोचते कि अप्रैल मई में आयोजित होने वाले आईपीएल के दौरान वहां तापमान कितना होगा. केविन पीटरसन, पॉल कॉलिंगवुड जैसे गर्म मौसम के प्रति तथाकथित संवेदनशील खिलाड़ी 40 डिग्री सेंटीग्रेड के ताप में भारतीय मैदानों पर खेलते हैं और इस बारे में कोई शिकायत नहीं करते.

भारत के प्रति दुनिया भर के खिलाड़ियों के इस यू टर्न का सेहरा आईपीएल के सिर ही बांधा जाना चाहिए, क्योंकि उप महाद्वीप में आयोजित 1996 और 2011 के के वर्ल्ड कप में भारत को लेकर जो फर्क दिख रहा है, बहुत हद तक वह आईपीएल की वजह से है.

लेकिन इससे विदेशी खिलाड़ियों का भारतीय विकेटों पर प्रदर्शन जरूर निखर गया है. इसके अलावा आईपीएल में खेलने से विदेशी खिलाड़ी भारत के बहुत करीब आ गए हैं. उन्हें खूब पता है कि किस शहर की क्या खूबी है. वे भारतीय खिलाड़ियों को बेहतर तरीके से जानने भी लगे हैं.

रिपोर्टः शराफत खान

संपादनः ए जमाल

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