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आकाशगंगा के अनाथ ग्रह

१९ मई २०११

पृथ्वी से अरबों मील दूर आकाशगंगा में सैकड़ों ग्रह तैर रहे हैं, जिनका कोई मां बाप नहीं. यानी सूर्य जैसा कोई स्रोत नहीं, जिसके गिर्द वे चक्कर लगा रहे हों. ये मामूली ग्रह नहीं, बल्कि वृहस्पति यानी जूपिटर जितने विशाल हैं.

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बृहस्पति जितने बड़े ग्रहतस्वीर: picture alliance/dpa

खगोल विज्ञानियों ने इस बात का दावा किया कि उन्होंने ऐसे ग्रहों को देखा है. हो सकता है कि इनमें से कुछेक ग्रह बहुत दूर से अपने स्रोत का चक्कर लगा रहे हों लेकिन वैसे ग्रहों की भी कमी नहीं, जिनका कोई सूर्य नहीं.

इनकी संख्या थोड़ी बहुत नहीं, बल्कि बहुत ज्यादा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आकाशगंगा में जितने सामान्य ग्रह हैं, उतने ही ऐसे ग्रह भी हैं. उन्होंने बहुत पहले ही इस बात का पता लगा लिया था कि आकाशगंगा में कुछ अलग थलग ग्रह भी हैं, जिनका कोई सूर्य नहीं लेकिन उनकी संख्या इतनी ज्यादा होगी, यह नहीं सोचा गया था. पिछले दो साल में 10 ऐसे ग्रहों का पता लगाया गया है, जो अपने निकटतम सूर्य से इतने दूर हैं कि माना जा सकता है कि वे अलग थलग ही तैर रहे हैं. 1995 से ऐसे 500 ग्रहों का पता लगा है, लेकिन यह पहला मौका है कि उनका आकार पता चला है और बताया जाता है कि वे हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह जूपिटर जितने या उससे भी बड़े हैं.

अपने सूर्य से बहुत दूर स्वतंत्रतस्वीर: picture-alliance/ dpa

विशेष तकनीक

वैज्ञानिकों ने इन ग्रहों की जानकारी हासिल करने के लिए ग्रैविटेशनल लेंस नाम की विशेष तकनीक अपनाई. इसके जरिए देखा जाता है कि किसी ग्रह के सामने से विशाल पिंड गुजरने के दौरान क्या होता है. उसके पास वाले पिंड थोड़ा झुक जाते हैं और वहां से रोशनी फूट पड़ती है. इन खास दूरबीनों के लेंस करीब छह फुट लंबे होते हैं.

नई खोज के दौरान पता लगा है कि ये ग्रह किसी निकटतम सूर्य से 10 से 500 एस्ट्रोनोमिकल यूनिट (एयू) दूर हैं. धरती और सूर्य के बीच की 15 करोड़ किलोमीटर की दूरी को एक एयू माना जाता है. इस सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह जूपिटर सूर्य से सिर्फ पांच एयू दूर है, जबकि हमारे सौरमंडल का सबसे दूर वाला नेप्च्यून ग्रह करीब 30 एयू की दूरी पर है.

वैसे जिन ग्रहों का पता लगाया गया है, वे पृथ्वी जैसे भारी ग्रह नहीं, बल्कि धूल और गैस के बने हल्के ग्रह हैं. इनकी गति बहुत तेज है और बताया जाता है कि ये प्रति सेकंड 200 किलोमीटर की दूरी तय कर सकते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इनकी गति की वजह से कोई दूसरा सौरमंडल इन्हें अपनी ओर नहीं खींच सकता है. और अगर किसी प्रकार वो किसी सौरमंडल में खिंच भी जाते हैं, तो उस सौरमंडल के किसी दूसरे ग्रह की गति प्रभावित हो सकती है और उसकी कक्षा बदल सकती है. ऐसे में हो सकता है कि अगर उस सौरमंडल में एक ग्रह जुड़ता है, तो एक निकल भी सकता है.

ब्रह्मांड के रहस्यतस्वीर: ESA/Herschel/PACS/SPIRE/J. Fritz, U. Gent

इनकी विशाल संख्या सबको हैरान कर रही है. समझा जाता है कि आकाशगंगा में 200 अरब ग्रह हैं. अगर ऐसा है तो इन ग्रहों को मिला कर कुल 400 अरब ग्रह हो सकते हैं. इनमें कई छोटे ग्रहों को तो गिना भी नहीं जा रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः आभा एम

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