आखिरकार ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में ब्रेक्जिट पर हो गई डील
१७ अक्टूबर २०१९
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के बीच एक नई "ब्रेक्जिट" डील का एलान किया है. उन्होंने ब्रिटेन के सांसदों से अनुरोध किया है कि वो संसद में शनिवार को वोटिंग में इस नई डील को मंजूरी दे दें.
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ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए इसी महीने की 31 तारीख को आखिरी समय सीमा तय की गई थी. यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के वार्ताकारों के बीच इस मुद्दे पर कई दौर की बातचीत के बाद ब्रेक्जिट की रूपरेखा पर सहमति बनी है. हालांकि इसे अभी यूरोपीय संघ के सदस्यों और संबंधित संसदों से पास कराना होगा. सबसे पहले बुरी तरह विभाजित ब्रिटेन के संसद के अनुमोदन की जरूरत होगी.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया है, "हमने एक नया करार हासिल किया है जिसके हाथ में नियंत्रण होगा. अब शनिवार को संसद को ब्रेक्जिट की मंजूरी दे देनी चाहिए ताकि हम रहन सहन के खर्चे, एनएचएस, हिंसक अपराध और पर्यावरण जैसी दूसरी प्राथमिकताओं की तरफ बढ़ सकें." शनिवार को ब्रिटिश संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है.
यूरोपीय आयोग के प्रमुख जाँ क्लोद युंकर ने ट्वीट किया है, "जहां चाह है वहां डील है, हमारे पास एक है, यह ईयू और यूके के लिए उचित और संतुलित है और यह समाधान खोजने की हमारी प्रतिबद्धता की कसौटी है."
युंकर का कहना है कि वह यूरोपीय देशों के 27 सदस्य देशों के आज ही दोपहर बाद होने जा रहे सम्मेलन में इस करार की पुष्टि करने के लिए कहेंगे. दो दिन की यह बैठक आज दोपहर बाद ब्रसेल्स में शुरू होगी. बैठक में ब्रेक्जिट पर ब्रिटेन के साथ हो रहे बातचीत के अलावा उत्तरपूर्वी सीरिया में तुर्की का हमला भी चर्चा के मुख्य बिंदुओं में शामिल होगा.
हालांकि जिस उत्साह और तेजी के साथ ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने डील होने की बात कही उतनी ही तेजी से आयरलैंड ने कह दिया कि आयरिश सीमा की प्रतिबद्धताओं के कारण वह इस डील का समर्थन नहीं करेगा. जॉनसन को इस डील के आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा समर्थन की जरूरत होगी जबकि हालत यह है कि संसद पूरी तरह से विभाजित है. ब्रिटेन की संसद पहले ही तीन बार डील को नकार चुकी है.
तकनीकी वार्ताकारों ने कस्टम और बिक्री कर के नियमों को उचित बनाने के लिए बहुत मेहनत की है साथ ही उत्तरी आयरलैंड और आयरलैंड के साथ व्यापार के नियमों को भी. यह अकेली जगह है जहां ब्रिटेन की जमीनी सीमा यूरोप से मिलती है.
ब्रेक्जिट की अटकी प्रक्रिया के बीच कई महीनों से निराश और हताश दिख रहे यूरोपीय नेता इस हफ्ते थोड़े उत्साह में दिख रहे हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने बुधवार को कहा, "मैं यकीन करना चाहता हूं कि करार को अंतिम रूप दे दिया जाएगा." जबकि जर्मन चांसलर अंगेला मैर्कल ने कहा कि बातचीत, "अपने आखिरी दौर में है." गुरुवार को डील के एलान ने इन दोनों नेताओ की उम्मीदों को सच कर दिया.
खबर आने के बाद ब्रिटिश मुद्रा पाउंड की कीमत डॉलर के मुकाबले बीते पांच महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर चली गई है.
इसी साल जुलाई में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने बोरिस जॉनसन ने वादा किया था कि पहले से तय तारीख यानी 31 अक्टूबर को ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर हो जाएगा चाहे इसका कुछ भी नतीजा हो. जॉनसन ने ब्रेक्जिट की तुलना माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई से की थी.
बोरिस जॉनसन के लिए अभी इम्तिहान बाकी है. उन्हें उत्तरी आयरलैंड की डेमोक्रैटिक यूनियनिस्ट पार्टी का समर्थन हासिल करना होगा. डीयूपी की नेता आर्लेन फोस्टर और पार्टी के संसदीय दल के नेता नाइजेल डॉड्स का कहना है, "कस्टम और विवादित मुद्दों पर जो सलाह दी जा रही है उसका समर्थन नहीं कर सकते." पार्टी का कहना है कि प्रोविजनल डील की घोषणा के बाद भी उनकी स्थिति में परिवर्तन नहीं आया है.
एनआर/एमजे(डीपीए, एपी)
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ये हैं ब्रेक्जिट को लेकर अनसुलझे सवाल
ब्रिटेन ने तीन साल पहले यह घोषणा की थी कि वह यूरोपीय संघ से अलग हो जाएगा. इसके लिए 31 अक्टूबर की तिथि तय की गई है. शुरुआत में उम्मीद थी कि सबकुछ सौहार्दपूर्वक हो जाएगा लेकिन अब यह तलाक के मामले की तरह उलझता दिख रहा है.
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ब्रिटेन अलग होने में इतना समय लंबा समय क्यों ले रहा
ईयू से अलग होने के प्रस्ताव पर ब्रिटेन में खाने के टेबल से लेकर संसद तक में तीखी बहस हो रही है. यूरोपीय संघ के अन्य 27 देशों के मोर्चे का सामना कर रहे ब्रिटिश वार्ताकारों के लिए यह एक आदर्श स्थिति है. पूर्व पीएम टेरीजा मे ने ईयू से अलग होने का प्रस्ताव पेश किया तो उसे तीन बार ब्रिटिश संसद ने खारिज कर दिया था. ईयू ब्रेक्जिट समझौते का सम्मान करता लेकिन यह ब्रिटिश संसद से ही पास नहीं हो पा रहा है.
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ब्रिटेन के नए नेता ने ब्रेक्जिट वार्ता को कैसे प्रभावित किया
ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ईयू से अलग होने की दिशा में कदम बढ़ाया. ब्रेक्जिट वार्ताकार जिसके लिए वर्षों से काम कर रहे थे, बोरिस ने अपने व्यक्तित्व के प्रभाव से उसे दिनों में बदलने की कोशिश की. यह बदलाव ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड और यूरोपीय संघ के सदस्य आयरलैंड के बीच के संबंधों की मांग को लेकर है. लेकिन जॉनसन के प्रस्ताव पर लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है.
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अगले चार सप्ताह में और क्या हो सकता है
जॉनसन काफी ज्यादा कहते हैं और ईयू बहुत कम. आयरलैंड की सीमा जैसे मुद्दे को जॉनसन फिर से तय करना चाहते हैं. सीमा का जो स्वरूप जॉनसन चाहते हैं, उसे कानूनी अमलीजामा पहनाना असंभव लगता है. इसके लिए ब्रेजिक्ट की जो सीमा 31 अक्टूबर तक तय की गई है, उसे फिर से बढ़ाना पड़ सकता है. हालांकि, जॉनसन का कहना है कि वे तय तिथि तक ईयू से अलग हो जाएंगे. इस समय सीमा को 'जीने और मरने' जैसी अहम बता रहे हैं.
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आयरिश सीमा को लेकर सबसे मुश्किल क्या है
आयरलैंड और उत्तरी आयरलैंड के बीच की सीमा तय करना एक बड़ी बाधा है. कोई भी पक्ष ठोस सीमा नहीं चाहता है. इस सीमा पर किसी तरह की जांच न होना 'गुड फ्राइडे शांति समझौते' की एक प्रमुख उपलब्धि रही है, जिसने 1998 में दशकों से जारी हिंसा को कम करने में मदद की. समस्या तब आती है जब ब्रिटेन ईयू से अलग होता है. ऐसे में आयरलैंड में ईयू और ब्रिटेन के अलग करने वाली नई सीमा बनानी होगी.
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समस्या से निपटने के लिए बोरिस जॉनसन की योजना
ब्रिटेन के नए ब्रेक्जिट प्रस्ताव में उत्तरी आयरलैंड को ईयू शुल्क क्षेत्र से हटाने के लिए कहा गया है. इसका मतलब यह आयरलैंड के लिए एक अलग सीमा शुल्क क्षेत्र होगा. इस सीमा से पार करने वाले ट्रकों को अलग से शुल्क देना होगा. ऐसे में काफी ज्यादा भौतिक जांच की संभावना बनती है,लेकिन ब्रिटिश सरकार ने यह प्रस्ताव दिया है कि सीमा शुल्क को इलेक्ट्रॉनिक कर दिया जाए और काफी कम जगहों पर भौतिक जांच हो.
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यह अदृश्य सीमा कैसे काम करेगी
ब्रिटिश सरकार को उम्मीद है कि कागजी कार्रवाई को कारगर बनाने के लिए तकनीकी समाधान मिल सकता है. जबकि ईयू ने इस प्रस्ताव को काफी पहले ही ठंडे बस्ते में डाल दिया है. नई योजना ईयू के एकल बाजार नियमों का पालन करने के लिए उत्तरी आयरलैंड में भी लागू होती है, जो अब ब्रिटेन के बाकी हिस्सों में लागू नहीं होगी. उत्तरी आयरलैंड और ब्रिटेन के बीच ले जाए जा रहे सामानों की जांच के लिए नई प्रणाली बनानी होगी.
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उत्तरी आयरलैंड के लोग ईयू के साथ रहना चाहते हैं
जॉनसन का प्रस्ताव है कि उत्तरी आयरलैंड के सदन को ब्रेक्जिट सीमा समझौते को मानने या ना मानने का मौका दिया जाए और इसे हर चार साल पर बढ़ाया जाना चाहिए. यह योजना उत्तरी आयरलैंड की गुड फ्राइडे शांति समझौते द्वारा स्थापित पावर शेयरिंग असेंबली पर निर्भर करती है. लेकिन दो साल पहले पावर-शेयरिंग असेंबली को भंग कर दी गई और फिर से गठित नहीं की गई. इस पर ईयू और आयरलैंड सहमत नहीं है.