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आखिरी दम तक लड़ेंगे गद्दाफी

२ मार्च २०११

लीबियाई नेता मुआम्मर गद्दाफी ने संकल्प लिया है कि देश की रक्षा करने के लिए वह तब तक लड़ेंगे जब उनका साथ देने के लिए एक भी व्यक्ति मौजूद है. त्रिपोली में गद्दाफी ने विदेशी मीडिया और अपने समर्थकों को संबोधित किया है.

तस्वीर: dpa/picture-alliance

लीबिया के पूर्वी हिस्से पर विद्रोहियों का कब्जा है लेकिन फिर से कब्जा करने के लिए गद्दाफी के वफादार सैनिक लगातार उन इलाकों में हमले कर रहे हैं. गद्दाफी ने कहा, "अकेला पड़ने पर भी हम भी लड़ाई लड़ेंगे. हम पूर्व से लेकर दक्षिण तक लीबिया की रक्षा करेंगे."

त्रिपोली में गद्दाफी ने फिर दोहराया कि लीबिया में विद्रोह के पीछे अल कायदा का हाथ है और उसी के इशारे पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. विपक्षी सदस्यों का कहना है कि दक्षिण पश्चिम लीबिया में तैनात सैनिकों को बुलाकर अब गद्दाफी उन्हें उन इलाकों में भेज रहे हैं जहां विद्रोहियों का कब्जा है.

लीबियाई नेता मुआम्मर गद्दाफी के वफादार सैनिकों ने विद्रोहियों पर धावा बोलते हुए उनके कब्जे से पूर्वी इलाके के मर्सा अल ब्रेगा शहर को छुड़ा लिया है. पूर्वी लीबिया के अधिकतर शहरों पर विद्रोहियों का नियंत्रण है.

विद्रोहियों के साथ हिंसक झड़पों के बाद सुरक्षा बलों ने मर्स अल ब्रेगा शहर को अपने नियंत्रण में ले लिया. राजधानी त्रिपोली से 800 किलोमीटर दूर इस शहर को पहले विद्रोहियों ने अपने कब्जे में ले लिया था. एक विद्रोही ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "यह सच है. ब्रेगा में हवाई बमबारी की गई और फिर गद्दाफी के वफादार सैनिकों ने यह शहर अपने कब्जे में ले लिया."

दो हफ्ते पहले लीबिया में विद्रोह फूटने के बाद से यह पहली बार है जब गद्दाफी की सेना को इतनी बड़ी कामयाबी मिली है. इससे पहले लगातार लीबियाई शहर गद्दाफी के नियंत्रण से निकलते गए हैं. अमेरिका ने आशंका जताई है कि लीबिया में लंबे गृहयुद्ध की शुरुआत हो सकती है. जनता के विरोध प्रदर्शनों के बावजूद गद्दाफी ने कहा है कि लोग उन्हें प्यार करते हैं और वह लीबिया को छोड़ने के बजाए वहां शहीद होना पसंद करेंगे.

तस्वीर: AP

त्रिपोली तक मार्च

पूर्वी शहर बेनगाजी में सबसे पहले गद्दाफी ने नियंत्रण खोया और अब वहां विद्रोहियों को सैन्य ट्रेनिंग दी जा रही हैं. उनका कहना है कि ट्रेनिंग के बाद वे त्रिपोली तक मार्च करेंगे. मध्य पूर्व में शुरू हुई सत्ता विरोधी लहर में सबसे ज्यादा खूनखराबा लीबिया में देखा जा रहा है जहां मुआम्मर गद्दाफी पिछले 41 सालों से सत्ता में बने हैं. हिंसा की वजह से मानवीय संकट भी खड़ा हो गया है और ट्यूनिशिया के साथ लगने वाली सीमा पर हजारों लोग जमा है जो लीबिया से भागने की कोशिश कर रहे हैं.

यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने लीबिया पर पाबंदियां लगाते हुए उस पर दबाव बढ़ाया है लेकिन गद्दाफी इससे बेपरवाह हैं. उनके बेटे सैफ अल इस्लाम ने पश्चिमी देशों को लीबिया पर संभावित हमले के खिलाफ चेतावनी दी है. हालांकि लीबियाई सेना के अधिकारी, कबायली नेता, प्रशासनिक अधिकारी गद्दाफी का साथ छोड़ते हुए विद्रोहियों के पक्ष में आ खड़े हुए हैं.

विदेशी हस्तक्षेप की आशंका

अमेरिका के दो युद्धपोत स्वेज नहर में प्रवेश कर चुके हैं और भूमध्य सागर की ओर बढ़ रहे हैं जिससे लीबिया में विदेशी हस्तपक्षेप की आशंका गहरा रही है. कर्नल गद्दाफी पर कूटनीतिक दबाव बढ़ाने के बाद अब सैन्य दबाव बढ़ाने की संभावना है. अरब लीग के विदेश मंत्री काहिरा में अभूतपूर्व बैठक कर रहे हैं जिसमें गद्दाफी की निंदा जारी किए जाने की उम्मीद है. हालांकि कुछ अरब देश लीबिया में विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ हैं.

वैसे अमेरिकी युद्धपोत और एयरक्राफ्ट लीबिया के पास तैनात कर अमेरिका सिर्फ लीबिया पर सैन्य दबाव बढ़ाना चाहता है. अमेरिकी रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स ने कहा है कि मानवीय मदद के लिए ही इन युद्धपोतों को रवाना किया जा रहा है. गेट्स के मुताबिक लोगों को सुरक्षित निकालने और मानवीय मदद मुहैया कराने के अलावा सभी विकल्प बेहद जटिल हैं.

विश्लेषक मान रहे हैं कि अमेरिका और नाटो लीबिया में सैन्य हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. वैसे अमेरिकी विदेश मंत्री कह चुकी हैं कि लीबिया या तो शांतिपूर्ण लोकतंत्र बन सकता है या फिर उसे लंबे गृहयुद्ध का सामना करना पड़ेगा. संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए इटली सहित अन्य देश भोजन और दवाइयां मुहैया करा रहे हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: एमजी

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