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आखिर कौन करेगा कांग्रेस का नेतृत्व?

२४ अगस्त २०२०

कांग्रेस पार्टी की शीर्ष समिति की सोमवार को होने वाली बैठक से ठीक पहले पार्टी के कम से कम 23 वरिष्ठतम नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र के मीडिया में लीक होने से पार्टी का अंदरूनी संकट एक बार फिर चर्चा में आ गया है.

Indien Politikerin Sonia Gandhi
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Qadri

कांग्रेस के जिन नेताओं के इस पत्र पर हस्ताक्षर करने की खबर है, उनमें राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर; पार्टी संगठन में वरिष्ठ पदाधिकारी मुकुल वासनिक, जितिन प्रसाद; पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री भूपिंदर सिंह हूडा, वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हाण, पी जे कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा; पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली; दिल्ली विधान के पूर्व अध्यक्ष योगानंद शास्त्री और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित जैसे नाम शामिल हैं.

पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने दावा किया है कि पत्र में 23 नेताओं के अलावा, पूरे देश से करीब 300 अतिरिक्त नेताओं ने भी हस्ताक्षर किए हैं.


मीडिया में आई खबरों में दावा किया जा रहा है कि इस पत्र में ने नेताओं ने मांग की है संगठन में कई बदलाव लाए जाएं और "सामूहिक नेतृत्व" की स्थापना की जाए. कांग्रेस सूत्रों ने डीडब्ल्यू को बताया कि ये सभी नेता चाहते हैं कि पार्टी की मौजूदा अंतरिम राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ही पार्टी की कमान अपने हाथ में संभाल लें और पूर्णकालिक अध्यक्ष बन जाएं. माना जा रहा है कि पत्र लगभग 15 दिनों पहले लिखा गया था.

कांग्रेस पार्टी पर नेतृत्व का संकट लगभग 14 महीनों से चल रहा है. जुलाई 2019 में तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोक सभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद पद से इस्तीफा दे दिया था और पार्टी को नया अध्यक्ष चुनने को कह दिया था. उसके बाद उनकी मां और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को ही अंतरिम अध्यक्ष बना दिया गया था और कहा गया था कि पार्टी जल्द ही पूर्णकालिक अध्यक्ष चुन लेगी.

लेकिन साल भर का वक्त गुजर जाने के बाद पार्टी को आज भी कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं मिला है और इस दौरान पार्टी पर कई संकट आए.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए और उसके तुरंत बाद मध्य प्रदेश में पार्टी की सरकार गिर गई. इसी तरह की अंदरूनी कलह राजस्थान में भी सामने आई जहां पार्टी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री के अलग अलग नेतृत्व में दो खेमों में बंट गई. करीब महीने भर तक दोनों खेमों के बीच रस्साकशी चली, जिस दौरान संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गए. अभी भी वहां हालात नाजुक ही माने जा रहे हैं. 

इन्हीं घटनाओं की पृष्ठभूमि में इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं ने पार्टी में व्यापक सुधारों की मांग की है. मीडिया में आई खबरों में दावा किया जा रहा है कि पत्र के लीक होने के बाद होने वाली अहम बैठक के पहले ही सोनिया गांधी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है और उसके बाद कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से मांग की है कि या तो वो खुद या राहुल गांधी पूर्णकालिक अध्यक्ष बन जाएं. अब देखना होगा कि बैठक में पार्टी क्या फैसला लेती है.

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