कनाडा से नई दिल्ली जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट में आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक झटके में 329 लोग मारे गए. इसके सुराग हजारों किलोमीटर दूर टोक्यो एयरपोर्ट पर मिले.
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कनाडा के वैंकूवर शहर से नई दिल्ली के लिए निकली एयर इंडिया की फ्लाइट AI182 साढ़े चार घंटे बाद 23 जून 1985 की सुबह आयरलैंड तट के ऊपर थी. कनिष्क नाम का विमान 329 लोगों के साथ बिल्कुल आराम से करीब 9,500 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा था. दिल्ली पहुंचने से पहले विमान को लंदन में एक स्टॉप ओवर करना था. पायलटों ने लैंडिंग की तैयारी शुरू कर दी थी. एयरपोर्ट का एयर ट्रैफिक कंट्रोल एयर इंडिया के साथ अलग अलग ऊंचाई पर उड़ान भर रहे दो और विमानों को निर्देश दे रहा था. रडार पर तीनों फ्लाइटें दिखाई पड़ रही थी. लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ कि एयर इंडिया की फ्लाइट अचानक लापता हो गई. बिना कोई सूचना या इमरजेंसी संदेश दिये.
विमान के लापता होने के दो घंटे बाद कनाडा के एक कार्गो शिप ने अंटलांटिक महासागर में विमान का मलबा मिलने की जानकारी दी. अटलांटिक महासागर में लाइफ जैकेट और लोगों के शव तैरते मिले. बहुत जल्दी साफ हो गया कि विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो चुकी है. जांचकर्ताओं के सामने बड़ा सवाल यह था कि आखिर विमान में ऐसा क्या हुआ कि बिना किसी संकेत के सब खत्म हो गया. शवों की जांच से पता चला कि ज्यादातर लोगों की मौत हवा में ही हो चुकी थी. जल्द ही साफ हो गया विमान 31,000 फुट की ऊंचाई पर टुकड़ों में बंट चुका था.
(क्या कहती है, कुछ बड़े विमान हादसों जांच रिपोर्ट)
हादसे और उनकी वजह
दुनिया भर में रोज 76,000 से ज्यादा विमान लाखों यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाते हैं. लेकिन जब कभी कोई हादसा होता है तो सुरक्षा के लिहाज से कान खड़े हो जाते हैं. एक नजर बीते पांच साल के बड़े हवाई हादसों और उनके कारणों पर.
तस्वीर: picture alliance/dpa
जर्मनविंग्स (24.03.2015)
जर्मन एयरलाइंस जर्मनविंग्स का एक विमान बार्सिलोना से डुसेलडॉर्फ जाते हुए फ्रांस में आल्प की पहाड़ियों में क्रैश हुआ. विमान में सवार सभी 150 लोगों की मौत हुई. को-पायलट ने जानबूझकर विमान को क्रैश किया.
तस्वीर: French Interior Ministry/DICOM/Y. Malenfer via Reuters
एयर एशिया (28.12.2014)
162 लोगों को लेकर जा रहा एयर एशिया का विमान एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूटने के बाद लापता हो गया. साल भर बाद आई जांच रिपोर्ट के मुताबिक विमान के रडर सिस्टम में खराब उपकरण लगा था. हादसे के लिए पायलटों को भी जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: Reuters/A. Berry
एयर अल्जेरी (24.07.2014)
बुर्किना फासो की राजधानी वागादुगू से अल्जीयर्स के लिए निकली एयर अल्जेरी की फ्लाइट उत्तरी माली में क्रैश हुई. पायलटों ने आखिरी बार एयर ट्रैफिक कंट्रोल को सूचना दी कि खराब मौसम के चलते वो रास्ता बदल रहे हैं. जुलाई में यह तीसरा विमान हादसा था.
तस्वीर: Reuters/Ouagadougou airport
एमएच17 (17.07.2014)
मलेशिया एयरलाइंस के लिए यह साल बेहद बुरा रहा. मार्च के हादसे के चार महीने बाद हॉलैंड से मलेशिया जा रही फ्लाइट एमएच17 यूक्रेन में क्रैश हो गई. हादसे में सभी 298 लोगों की मौत हो गई. विमान को यूक्रेन के संकटग्रस्त इलाके में एक मिसाइल ने मारा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
ट्रांसेशिया एयरलाइंस (23.07.2014)
ताइवान के पेंघु द्वीप में ट्रांसेशिया एयरलाइंस का छोटा विमान खराब मौसम के चलते एयरपोर्ट से कुछ दूर क्रैश हो गया. हादसे में 48 लोगों को मौत हुई. तूफान में फंसी फ्लाइट को पायलट ने दूसरी बार इमरजेंसी लैंडिंग में उतारने की कोशिश की, जो नाकाम रही.
तस्वीर: Reuters
मलेशिया एयरलाइंस (08.03.2014)
8 मार्च 2014, मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट कुआलालम्पुर से बीजिंग जाते वक्त दक्षिण चीन सागर के ऊपर लापता हो गई. विमान में सवार 227 यात्री और 12 चालक दल सवार थे. विमान के मलबे को ढूंढने का काम जारी रही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
भोजा एयर (20.04.2012)
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के एयरपोर्ट पर लैंड करने से ठीक पहले भोजा एयर का बोइंग 737 क्रैश हो गया. हादसे में 127 लोग मारे गए. जांच में पायलट को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. को-पायलट की चेतावनी के बावजूद कैप्टन विमान को नीचे उतारता गया. धुंध में जमीन नहीं दिखी और विमान टकरा गया.
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ईरान एयर (09.01.2011)
ईरान एयर का बोइंग विमान पश्चिमोत्तर ईरान में जमीन पर टकराकर हजारों टुकड़ों में बदल गया. हादसे में 77 लोग मारे गए. हादसे की जांच रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है.
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एयर इंडिया (22.05.2010)
22 मई 2010, दुबई से लौट रहा एयर इंडिया का विमान मंगलौर एयरपोर्ट के रनवे को पार करता हुआ पहाड़ी से नीचे गिर गया. 152 लोगों की मौत हुई. हादसे के लिए पायलट को जिम्मेदार ठहराया गया. पायलट के परिवार के मुताबिक एयर इंडिया ने अचानक ड्यूटी बदलते हुए थके हुए पायलट को फिर से कॉकपिट में बैठाया. कई हादसों की जांच में यह साफ हो चुका है कि थके पायलट को हर कीमत पर आराम दिया जाना चाहिए.
तस्वीर: AP
अफ्रीक्याह एयरवेज (12.05.2010)
दक्षिण अफ्रीकी शहर जोहानिसबर्ग से लीबिया की राजधानी त्रिपोली के लिए निकला अफ्रीक्याह एयरवेज का एयरबस विमान लैंडिंग से ठीक पहले क्रैश हुआ. हादसे में 103 लोग मारे गए, सिर्फ एक नौ साल का बच्चा बचा. हादसे के लिए पायलट की थकान और उसकी गलती को जिम्मेदार माना गया.
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राष्ट्रपति की मौत (10.04.2010)
रूस के स्मोलेस्क शहर के बाहर हुए हवाई हादसे में पोलैंड के राष्ट्रपति लेख काजिंस्की समेत 96 लोगों की मौत हो गई. विमान पोलैंड की वायु सेना का था. बदत्तर मौसम की वजह से पायलट विमान उतारना नहीं चाहते थे, लेकिन विमान में सवार अधिकारियों ने लैंडिंग का दबाव डाला.
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यमेनिया (30.06.2009)
यमन की राजधानी सना से कोमोरोस आइलैंड के निकला एयरबस का विमान हिंद महासागर में क्रैश हुआ. हादसे में 153 लोग मारे गए. राहतकर्मियों को 13 घंटे बाद तैरते मलबे पर बैठी एक 12 साल की बच्ची जिंदा मिली. हादसे के लिए पायलट के जोखिम भरी कलाबाजियों को जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: AP
एयर फ्रांस (01.06.2009)
ब्राजील के शहर रियो डे जेनेरो से पेरिस के लिए उड़ा एयर फ्रांस का एयरबस विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर लापता हो गया. कई घंटे बाद पता चला कि विमान महासागर में क्रैश हुआ है. विमान में सवार सभी 228 लोग मारे गए. हादसे के लिए सेंसरों की गड़बड़ी और नए पायलट की अनुभवहीनता को जिम्मेदार माना गया.
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जांचकर्ताओं को पता नहीं चल पाया कि विमान अचानक क्यों क्रैश हुआ. लेकिन इसी दौरान जापान के नारिटा एयरपोर्ट में भी एयर इंडिया की फ्लाइट में चढ़ाये जाने वाले सामान में धमाका हुआ. धमाका, वैंकूवर से टोक्यो पहुंचे विमान से निकाले गए सामान में हुआ. यह सामान आगे एयर इंडिया की फ्लाइट पर चढ़ाया जाना था. धमाके में एयरपोर्ट के दो कर्मचारी मारे गए.
पैसेंजरों की लिस्ट जब जांची गई तो पता चला कि वैंकूवर से टोक्यो और वैंकूवर से वाया लंदन होते हुए नई दिल्ली जाने वाली फ्लाइट का टिकट एक ही आदमी के नाम से खरीदा गया था. लेकिन वह शख्स किसी भी फ्लाइट में सवार नहीं हुआ, जबकि उसका सामान दोनों विमानों रखा गया. यह पक्का हो चुका था कि फ्लाइट AI182 भी साजिश का शिकार हुई है. जापान में हुए धमाके में विस्फोटकों के साफ सबूत मिले. इसके बाद जांच आसान हो गई. जल्द ही पता चल गया कि कनिष्क को बम से उड़ाया गया. बम कॉकपिट के ठीक नीचे फटा, जिस वजह से तुरंत ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट वॉयर रिकॉर्डर से संपर्क भी टूटा.
कनिष्क हादसे के बाद एयरलाइन इंडस्ट्री में बड़े बदलाव किये गये. तब से यह नियम बना कि अगर कोई यात्री फ्लाइट पर न चढ़े तो उसका सामान भी विमान में नहीं होना चाहिए. इसके अलावा यात्रियों के सामान की कड़ी जांच भी कनिष्क हादसे के बाद ही शुरू हुई.