फीफा वर्ल्ड कप के इतिहास में हर बार खिताब की जंग लैटिन अमेरिकी व यूरोपीय टीमों के बीच रही है. रूस में भी यूरोपीय देशों के शानदार प्रदर्शन किया है. यूरोपीय फुटबॉल के बढ़ते जलवे की आखिर वजहें क्या हैं?
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यूरोप में शुरुआती स्तर से ही फुटबॉल को प्रमोट किया जाता है. 2004 में यूरोपीय फुटबॉल संघ ने सभी प्रमुख क्लब को निर्देश दिए थे कि वे अलग-अलग उम्र की टीमों का संचालन करें. मसलन चोटी पर खेलने वाले हर क्लब को अंडर-10 और 10 से 14 आयवर्ग में एक एक टीम और 15 से 21 आयुवर्ग में दो टीमें रखानी होती हैं. यूरोपीय फुटबॉल महासंघ यूएफा के तत्कालीन अध्यक्ष लेनर्ट जोहानसन की कोशिश थी कि यूरोपीय फुटबॉल में तकनीकी रूप मंझे हुए खिलाड़ी नियमित रूप से आते रहें, जिससे नेशनल टीमों को भी फायदा हो रहा है.
इस बार का फुटबॉल वर्ल्ड कप इसलिए भी खास है क्योंकि यूरोप की बड़ी-बड़ी टीमें धाराशाई हो गई. नीदरलैंड्स और इटली क्वालिफाई ही नहीं कर पाए. जर्मनी ने ग्रुप स्तर पर ही मुकाबले से निकलकर सभी को चौंका दिया. 2010 की विजेता स्पेन और यूरोपियन चैंपियन पुर्तगाल भी पिछड़ गए. सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चारों टीमें यूरोप की थीं. पहले सेमीफाइनल मुकाबले में फ्रांस ने बेल्जियम को 1-0 से हरा दिया है. दूसरा सेमीफाइनल इंग्लैंड और क्रोएशिया के बीच बुधवार को खेला जाएगा.
यूएफा के अध्यक्ष अलेक्जांडर सेफेरिन के मुताबिक, इस बार भले ही बड़ी टीमों ने निराश किया हो, लेकिन अन्य टीमों ने उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन किया है. इसका मतलब है कि फुटबॉल को विकसित करने के लिए की गई कोशिशें रंग लाई हैं और समूचे यूरोप को फायदा पहुंच रहा है. इस बार लिस्बन क्लब स्पोर्टिंग ने वर्ल्ड कप के लिए सबसे ज्यादा खिलाड़ी दिए हैं.
किस टीम के साथ कितने आप्रवासी खिलाड़ी?
दुनिया चाहे आप्रवासन के मुद्दे पर कितनी भी बहस करे, लेकिन इनसाइडस्पोर्ट्स.कॉम वेबसाइट कहती हैं कि फुटबॉल टीमों को इनका खूब लाभ मिल रहा है. जानते हैं किस टीम में कितने खिलाड़ी आप्रवासी हैं
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/T. Stavrakis
जर्मनी
जर्मनी में तकरीबन 11.3 फीसदी आप्रवासी जनसंख्या का हिस्सा बन चुके हैं. लेकिन फुटबॉल में करीब 39 फीसदी आप्रवासी खिलाड़ी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot
फ्रांस
फ्रांस की कुल जनसंख्या में तकरीबन 6.8 फीसदी हिस्सा आप्रवासियों का है. लेकिन देश की फुटबॉल टीम में 78.3 फीसदी आप्रवासी खिलाड़ी हैं.
तस्वीर: Reuters/C.G. Rawlins
स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड की आबादी में 24 फीसदी बाहर से आकर बसे आप्रवासी हैं. लेकिन फुटबॉल टीम में 65 फीसदी खिलाड़ी विदेशी मूल के हैं.
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स्पेन
स्पेन की कुल आबादी में तकरीबन 10 फीसदी हिस्सा आप्रवासियों का है. लेकिन देश की फुटबॉल टीम में 17.4 फीसदी आप्रवासी खिलाड़ी हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Sezer
इंग्लैंड
इंग्लैंड की कुल आबादी में 9.2 फीसदी आप्रवासी हैं तो वहीं फुटबॉल टीम में 48 फीसदी आप्रवासियों को जगह मिली हुई है.
तस्वीर: Reuters/K. Pfaffenbach
स्वीडन
स्वीडन की कुल जनसंख्या में तकरीबन 8 फीसदी हिस्सा आप्रवासियों का है. लेकिन देश की फुटबॉल टीम में 17.4 फीसदी आप्रवासी खिलाड़ी हैं.
तस्वीर: Reuters/L. Smith
पुर्तगाल
पुर्तगाल की आबादी में 3.8 फीसदी बाहर से आकर बसे आप्रवासी हैं. लेकिन फुटबॉल टीम में करीब 30 फीसदी खिलाड़ी आप्रवासी हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Sezer
डेनमार्क
डेनमार्क की कुल आबादी में 8.2 फीसदी आप्रवासी हैं तो वहीं फुटबॉल टीम में 13 फीसदी आप्रवासियों को जगह मिली हुई है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Meissner
आइसलैंड
आइसलैंड की कुल आबादी में 8 फीसदी आप्रवासी हैं तो वहीं फुटबॉल टीम में 4.3 फीसदी आप्रवासियों को जगह मिली हुई है.
तस्वीर: Getty Images/C. Mason
बेल्जियम
बेल्जियम की कुल आबादी में लगभग 12 फीसदी आप्रवासी हैं तो वहीं फुटबॉल टीम में 47.8 फीसदी आप्रवासियों को जगह मिली हुई है.
तस्वीर: picture-alliance/Xinhua/C. Cheng
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रूस में वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले यूरोप के 14 देशों में से 10 आखिरी 16 वाले राउंड तक पहुंचे और 6 क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे. अमेरिका और कैरिबियन फुटबॉल फेडरेशन कोनकाकाफ के सदस्य देश आखिरी आठ तक नहीं पहुंचे. फेडरेशन के अध्यक्ष विक्टर मोंटाग्लियानी इसके लिए अपनी संस्था की चूक को स्वीकार करते हैं. वह कहते हैं. "यह सच है कि पिछले 40 वर्षों में संस्था ने फुटबॉल को विकसित करने और वैश्विक स्तर का बनाने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया.
क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ब्राजील की हार से पहले ही दक्षिण अमेरिकी फेडरेशन कोनमेबोल ने एक सेमिनार आयोजित कर फुटबॉल के लिए जरूरी मूलभूत संरचना की कमी पर चर्चा की थी. खेल में भ्रष्टाचार की वजह से भी फुटबॉल पर बुरा असर पड़ा है
यूएफा के अध्यक्ष अलेक्जांडर सेफेरिन कहते हैं, "हम जमीनी स्तर पर फुटबॉल को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम चाहते हैं कि खिलाड़ी और टीम भविष्य में बेहतरीन प्रदर्शन करें." फुटबॉल में नए प्रयोग और इसके विकास के लिए यूरोपीय फेडरेशन ने जितना काम किया है, वह मिसाल है. कोनमेबोल या कोनकाकाफ जैसे फेडरेशन इसका अनुसरण कर सकते हैं.
वीसी/एमजे (एपी)
फीफा विश्व कप में जानिए कौन है सबसे अमीर
फीफा विश्व कप में जानिए कौन है सबसे अमीर
14 जून से शुरू हो रहे 21वें फीफा विश्वकप में दुनिया की 32 टीमें शिरकत कर रही है. अपने देश का प्रतिनिधित्व करने वाली ये टीमें मैदान पर तो बराबरी से टकराएंगी लेकिन आर्थिक मामलों में एक दूसरे को टक्कर नहीं दे पाती.
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सबसे अमीर
21वें फीफा विश्व कप कुल 32 टीमें हिस्सा ले रही हैं. इनमें सबसे अमीर स्विट्जरलैंड है जबकि सबसे गरीब देश है सेनेगल.
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प्रति व्यक्ति आय
स्विट्जरलैंड की प्रति व्यक्ति आय (सालाना) 80 हजार डॉलर से अधिक है जबकि अफ्रीकी देश सेनेगल की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 1038 डॉलर है.
तस्वीर: picture-alliance/robertharding
इसके बाद
इसके बाद डेनमार्क का स्थान आता है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय 56,444 डॉलर है. चौथे क्रम पर ऑस्ट्रेलिया है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय 55,707 डॉलर है.
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स्वीडन भी शामिल
पांचवें नंबर पर स्वीडन है, जिसके नागरिक 53218 डॉलर प्रति साल कमाते हैं.
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जनसंख्या के हिसाब से
जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा देश ब्राजील है जबकि सबसे छोटा देश आइसलैंड है. आइसलैंड की जनसंख्या 3.34 लाख है. जबकि प्रति व्यक्ति आय के मामले में वह इस साल विश्व कप में हिस्सा ले रहे देशों की सूची में स्विट्जरलैंड के बाद दूसरे क्रम पर है.
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मेजबान रूस
ब्राजील के बाद नाइजीरिया है, जिसकी जनसंख्या 19.5 करोड़ है. मेजबान रूस 14.4 करोड़ जनसंख्या के साथ तीसरे स्थान पर है जबकि 13 करोड़ के साथ मेक्सिको चौथे और 12.7 करोड़ के साथ जापान पांचवें स्थान पर है.