भारत में नए कानूनों को लेकर लगातार चल रहे विरोध प्रदर्शनों में अब हिंदी फिल्म जगत की जानी मानी हस्तियां भी शामिल हो गईं हैं. क्या कारण है इसका?
तस्वीर: Reuters/F. Mascarenhas
विज्ञापन
भारत में नागरिकता कानून के खिलाफ लगातार चल रहे विरोध प्रदर्शनों को हिंदी फिल्म उद्योग की जानी मानी हस्तियों का समर्थन मिलने से विरोध का स्वर और ऊंचा हो गया है. समर्थन देने वाले फिल्मी जगत के इन नामों में कुछ तो ऐसे हैं जो लंबे समय से अलग अलग मुद्दों पर मुखर रहे हैं, लेकिन कई ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार मुंह खोला है.
इसके पहले, पिछले कई सालों में कई बार देखा गया कि जब भी फिल्म जगत में किसी ने देश के हालात की आलोचना की, तो वह अकेला ही रह गया और उसके समर्थन में उसी के उद्योग के उसके साथी भी सामने नहीं आये. सितंबर 2015 में दादरी में मोहम्मद अखलाक के मारे जाने के बाद असहिष्णुता को लेकर जो पर बहस छिड़ी थी उसमें लेखकों और साहित्यकारों के अलावा फिल्म जगत के कुछ लोगों ने भी विरोध में अपने सरकारी पुरस्कार वापस किये थे. इनमें शामिल थे कुंदन शाह, दिबाकर बनर्जी और सईद मिर्जा जैसे फिल्म निर्माता.
फिर कुछ ही सप्ताह बाद फिल्म जगत के दो सबसे बड़े अभिनेता शाहरुख खान और आमिर खान ने कहा कि उन्हें भी देश में असहिष्णुता के माहौल पर चिंता होती है. आमिर खान ने यह भी कहा कि उनकी पत्नी उनसे चर्चा कर रही थीं कि क्या उन्हें देश छोड़ देना चाहिए? दोनों अभिनेताओं को सरकार के समर्थकों की तरफ से इतनी आलोचना झेलनी पड़ी कि दोनों ने अपने अपने शब्द वापस ले लिए और उसके बाद वे खामोश ही हो गए. उस समय उनका साथ किसी और ने नहीं दिया और उसके बाद उन दोनों ने फिर कभी किसी सामाजिक या राजनीतिक मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया.
तस्वीर: AFP/Getty Images/S. Jaiswal
लेकिन इस बार विरोध प्रदर्शनों में फिल्म जगत बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहा है. एक तरफ अभिनेत्री स्वरा भास्कर और निदेशक अविनाश दास जैसे लोग हैं जो पिछले कई महीनों से राजनीतिक बहस में बेझिझक शामिल होते रहे हैं. दूसरी तरफ हैं फिल्म जगत के वे लोग जिन्हें पहली बार, या एक अरसे बाद, और काफी आक्रामक रूप से राजनीतिक बयान देते देखा जा रहा है. इनमें शामिल हैं अनुराग कश्यप, विशाल भारद्वाज, अनुभव सिन्हा, हंसल मेहता जैसे निर्माता -निर्देशक और दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, सोनम कपूर, तापसी पन्नू, दिया मिर्जा, सोनाक्षी सिन्हा जैसी अभिनेत्रियां.
इनमें से कई नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों से प्रेरित हो कर आए तो कई पांच जनवरी को जेएनयू में तोड़-फोड़ और छात्रों के साथ मार पीट देख कर छात्रों के समर्थन में आगे आये. स्वरा भास्कर और फरहान अख्तर जैसे ऐक्टरों ने तो 19 दिसंबर को मुंबई के आजाद मैदान में नागरिकता कानून के खिलाफ आयोजित प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया था. जेएनयू हमले के बाद छह जनवरी को मुंबई में एक और प्रदर्शन का आयोजन हुआ जिसमे फिल्म जगत की कई हस्तियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.
मंगलवार की शाम जेएनयू के छात्रों के लिए विशेष रही क्योंकि उनके साथ एकजुटता का भाव दर्शाने उनके बीच बॉलीवुड की सबसे बड़ी अभिनेत्रियों से एक, दीपिका पादुकोण पहुंचीं.
जेएनयू में दीपिका शांत ही रहीं. वहां जाने से पहले उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि जेएनयू में जो हुआ उस से उन्हें दर्द महसूस हुआ. उन्होंने कहा, "मुझे दर्द इसलिए हो रहा है क्योंकि मैं उम्मीद करती हूं कि ये नया "नॉर्मल" न बन जाए. ये डरावना है और दुखी करने वाला भी."
विशाल भारद्वाज ने भी दिसंबर में एक साक्षात्कार में नागरिकता कानून के विषय में बोलते हुए कहा था, "मौजूदा परिदृश्य डरावना है क्योंकि लोगों को धर्म के आधार पर बांटा जा रहा है. ये वो भारत नहीं है जिसमें मैं बड़ा हुआ."
अनुराग कश्यप उन लोगों में से हैं जिन्हें सरकार की आलोचना करने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है. मई 2019 में इंस्टाग्राम पर किसी ने उनकी बेटी का बलात्कार करने की धमकी दी थी और उन्हें चुप रहने को कहा था. अगस्त में कश्यप ने कहा कि उनके माता-पिता को भी धमकी भरे फोन आये और इसके बाद उन्होंने अपना ट्विटर अकाउंट ही निष्क्रिय कर दिया.
पर अब वह ट्विटर पर वापस आ गए हैं और फिर से राजनीतिक बहस में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. उन्होंने आठ जनवरी को एक साक्षात्कार में कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विद्यार्थियों पर पुलिस के हमले के बाद वे ट्विटर पर वापस आ गए क्योंकि और कई ऐसे लोग चुप रहे, जिनसे उन्हें बोलने की उम्मीद थी. कश्यप ने कहा कि वे और उनके साथी जो विरोध कर रहे हैं वो किसी राजनीतिक पार्टी के साथ नहीं हैं, वो बस डर के साये में जीने से थक गए हैं.
फिल्मों में गुस्से की बात होगी तो सनी देओल का नाम आएगा. रोमांस की बाजी शाहरुख खान के हाथ लगेगी. देखिये कुछ खास भूमिकाओं में सबसे सटीक बैठने वाले एक्टर्स.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
दिल अच्छा, आदतें बुरी
मारपीट में शामिल रहना, पिस्तौल से फायरिंग करना और कभी कभी जज्बाती हो जाना, बॉलीवुड में जब जब ऐसे अभिनय की बात होती है तो संजय दत्त का नाम जेहन में आता है.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
गुस्सा और फाइट
इस मामले में सनी देओल से बेहतर शायद कोई नहीं. उनके चेहरे पर गुस्सा 100 फीसदी सच लगता है. लात घूसों के सहारे होने वाली फाइट में सनी देओल सबसे ज्यादा असरदार नजर आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/A. Khan
फ्लर्ट
हिरोइन को रिझाना हो, झल्लाना हो या प्यार से दूर करना हो, सिनेमा के पर्दे पर यह काम अक्षय कुमार बहुत ही अच्छे करते हैं. वक्त के साथ उनके अभिनय में विविधता आई है लेकिन फ्लर्ट करने के मामले में अब भी उनका कोई सानी नहीं है.
तस्वीर: picture alliance/ZUMA Press/ India Today
रहस्यमयी इंसान
इरफान खान. तमाम फिल्में देखने के बाद भी इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि इरफान खान अगला डॉयलॉग किस अंदाज में कहेंगे. बेहद मंझे हुए अभिनेता इरफान हर किरदार में रहस्य और नयापन फूंकने के लिए जाने जाते हैं.
तस्वीर: STRDEL/AFP/Getty Images
रोमांस और अंधा गुस्सा
इस मामले में शाहरुख खान का सिक्का चलता है. नायिका से हाथ फैलाकर बेपनाह मुहब्बत और इमोशनल करते हुए विदा लेना, शाहरुख ये काम बखूबी करते हैं. डर और बाजीगर जैसी फिल्मों के किंग खान ने यह भी साबित किया है कि वह पर्दे पर कैसा अंधा गुस्सा सामने ला सकते हैं.
तस्वीर: Twentieth Century Fox
उलझा हुआ दोस्त
रणबीर कपूर. कॉलेज में पढ़ने वाला एक ऐसा युवा जो खुद नहीं जानता कि वह क्या करना चाहता है. वह प्यार तो करता है, लेकिन उसमें भी उलझता रहता है. पढ़ाई खत्म करने के बाद क्या करना, ये भी उसे पता नहीं. लेकिन वह गजब का दोस्त है. रणबीर कपूर का अभिनय कुछ ऐसी इमेज तैयार करता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Maqbool
हर काम स्टाइल से
एक्टिंग के मामले में सलमान खान भले ही हल्के महसूस हों, लेकिन स्टाइल के मामले उनका जवाब नहीं. चाहे चश्मा कॉलर के पीछे लटकाना हो, बॉडी दिखानी हो या फिर जेब में हाथ डालकर डांस करना हो, सलमान युवाओं के बीच स्टाइल ऑइकन से कम नहीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/EPA/H. Tyagi
गोपनीय समस्याएं
मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्तर पर हर इंसान के भीतर कुछ डर छुपे होते हैं, लेकिन यह डर सच साबित हो जाएं तो? ऐसी परिस्थितियों में आयुष्मान खुराना की एक्टिंग बेजोड़ नजर आती है.
तस्वीर: DW/Mani
उसूलों वाला बेसब्र इंसान
ऐसी भूमिका में नाना पाटेकर 100 फीसदी सटीक बैठते हैं. आराम से बात करते हुए अचानक भड़क जाना और एक्सप्रेस ट्रेन की तेजी से लंबा डॉयलॉग छाड़ देना यह नाना पाटेकर की खूबी है.
तस्वीर: Getty Images/G. Cattermole
ग्रीक गॉड
गजब का डांस, नफासत भरी लाइफस्टाइल और नपे तुले ढंग से डॉयलॉग डिलीवरी, ये काम ऋतिक रोशन बड़ी बखूबी कर जाते हैं. उनकी एक्टिंग में एक स्टाइल दिखाई पड़ती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Rasfan
राइट हैंड
हीरो या गुंडे को अगर किसी ऐसे इंसान की जरूरत हो जो हंसा भी सके, लड़ भी सके और ऐन मौके पर गच्चा देकर भाग भी सके, ऐसे किरदार में अरशद वारसी बखूबी ढल जाते हैं.
तस्वीर: DW
अमीर इंसान
रजत कपूर. मंझे हुए कलाकार और डायरेक्टर रजत कपूर चाहकर भी गरीब नहीं दिख पाते. उनके चेहरे में कुछ ऐसी बात है कि वह अमीर या संभ्रात ही नजर आते हैं. ऐसे रोल रजत बखूबी निभाते हैं. कुछ ऐसा ही आभास करीना कपूर देती हैं.
तस्वीर: imago/Hindustan Times/S. Bate
पेटू इंसान
कोई भी काम कुछ खाते पीते करना, कल्लू मामा के नाम से मशहूर हुए सौरभ शुक्ला ऐसी छवि सहज ढंग से निभा जाते हैं. हांफते हुए चलना, फूलती सांस के साथ कुछ बोलना या खिसियाते हुए कोई काम करना सौरभ शुक्ला ऐसी भूमिकाओं के साथ गजब का न्याय करते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Strdel
आम इंसान
अभय देओल, विनय पाठक, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ऐसी भूमिकाओं में बड़े सटीक बैठते हैं. उनके संवाद आम समाज की भाषा और भावनाएं व्यक्त करते हैं. आम आदमी की पीड़ा, उसकी ठोकरें, बदकिस्मती रुआंसी सी खुशी या अंतहीन इंतजार का रोल निभाते हुए ये तीनों कभी निराश नहीं करते.
तस्वीर: DW/M. Gopalakrishnan
सपनों में खोया इंसान
नशेड़ी, कॉमेडियन, गाली गलौच का इस्तेमाल और लोगों को बेवकूफ बनाना या ड्राइवर, गुर्गे या हसीन सपनों में खोए लड़के का अभिनय विजय राज भी बखूबी निभाते हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images
सनकी शातिर दुश्मन
फिल्मों में विलेन अपने शत्रु को खत्म करने के लिए पैसा, ताकत और साजिशों का खूब इस्तेमाल करते रहे हैं. आशुतोष राणा और प्रकाश राज ऐसे किरदारों को बड़े सटीक ढंग से निभाते हैं. उनकी बड़ी घूरती आंखें, हीरो के आस पास भय का माहौल बसा देती हैं.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/A. Sen
ऑलराउंडर
कुछ ही एक्टर्स ऐसे होते हैं जो हर किरदार में बखूबी ढल जाते हैं. अभिताभ बच्चन, नसीरुद्दीन शाह, परेश रावल, अजय देवगन, इरफान खान, कंगना रनौत, अनिल कपूर, अक्षय कुमार, केके और कोंकणा सेन शर्मा शायद इसी श्रेणी में आते हैं.