हेस्से के चुनावों में पार्टी की हार के बाद चांसलर अंगेला मैर्केल ने पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने का फैसला किया है. डॉयचे वेले की मुख्य संपादक इनेस पोल का कहना है कि वे चालाकी से राजनीति से विदाई की तैयारी कर रही हैं.
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करीब आधे साल से सीडीयू-सीएसयू और एसपीडी का महागठबंधन सत्ता में है. और आधे साल से जर्मनी का नेतृत्व नहीं हो रहा है बल्कि ऐसी सरकार द्वारा पंगु है जो मुख्य रूप में खुद में उलझी है. अंदरूनी झगड़े रोजमर्रा पर हावी हैं, मजबूत होता दक्षिणपंथी राष्ट्रवाद नहीं, जो सिर्फ जर्मनी में ही नहीं बल्कि यूरोप और सारे विश्व में कामयाब हो रहा है. आप्रवासन की चुनौती का जवाब नहीं खोजा जा रहा, और न ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों और मौकों पर सोच विचार हो रहा है. जलवायु परिवर्तन की तो बात ही छोड़िए.
जर्मनी की जनता इस खुदगर्जी और खुद को घाव करने में लगी सरकार से तंग आ चुकी है. आर्थिक तौर पर मजबूत प्रांत हेस्से में रविवार को हुए चुनावों ने यही दिखाया है. देश परिवर्तन चाहता है, बहुमत को अब अंगेला मैर्केल पर भरोसा नहीं रहा कि 13 साल के शासन के बाद वे नवीकरण की प्रक्रिया को नेतृत्व दे सकती हैं.
मैर्केल के लिए आखिरी मौका
अंगेला मैर्केल को भी ये पता है. पिछले दिनों में उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से खुलकर इसकी चर्चा की है कि इतने सालों तक सत्ता में रहने के बाद उत्तराधिकारी का फैसला कितना मुश्किल है. और उन्होंने आज इसमें सक्रिय भूमिका निभाने का आखिरी मौका हथियाया है. परंपरागत रूप से सीडीयू पार्टी का चांसलर पार्टी की अध्यक्षता भी संभालता है. ये बात किसी पार्टी संविधान में नहीं बल्कि सत्ता के गणित में लिखी है. सरकार चलाना इससे आसान हो जाता है.
मैर्केल ने हमेशा साफ किया है कि वे इस परंपरा से पीछे नहीं हटेंगी. अब उनकी ये घोषणा कि वे दिसंबर में पार्टी अध्यक्ष के लिए दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगी, दिखाती है कि स्थिति कितनी गंभीर है. यह दिखाता है कि मैर्केल अपनी कतारों में भी समर्थन खो रही हैं. और साबित करता है कि हार की हालत में भी मैर्केल की राजनीतिक जिजीविषा खत्म नहीं हुई है. चुनाव में हार का सामना करने के बदले वे खुद पद छोड़ रही हैं. फिर से उन्होंने व्यावहारिकता दिखाई है जो जरूरत पड़ने पर टॉप फॉर्म में दिखाई देता है.
इच्छित उत्तराधिकारी
इससे उन्हें थोड़ा सांस लेने का मौका मिला है. वे अपनी इच्छा की उम्मीदवार और पार्टी की महासचिव आनेग्रेट क्रांप-कारेनबावर को मजबूत करने में समय लगा सकती हैं. और वे कुछ समय तक चांसलर के पद पर भी रह सकती हैं. उन्होंने 2021 तक पद पर बने रहने की बात कही है.
आखिरकार वे इस फैसले से न सिर्फ खुद की मदद करेंगी बल्कि अपनी पार्टी की भी. अब गेंद फिर से एसपीडी के पाले में है जो सरकार में चांसलर मैर्केल की साझेदार है. मैर्केल के फैसले के साथ यह संभावना बढ़ गई है कि एसपीडी सत्तारूढ़ गठबंधन का साथ छोड़ दे और तब सरकार के विफल होने की जिम्मेदारी भी एसपीडी के कंधों पर होगी. मैर्केल खुद के प्रति ईमानदार हैं, शासनकाल के अंत तक और अंत निकट आ रहा है.
ऐसा क्या है अंगेला मैर्केल के व्यक्तित्व में
अंगेला मैर्केल चौथी बार जर्मनी की चांसलर बन गई है. अपनी गंभीर मुद्रा और सुरक्षात्मक शासनशैली के लिए जानी जाने वाली चांसलर मैर्केल के व्यक्तित्व के कुछ अलग पहलू दिखाती तस्वीरें.
तस्वीर: dapd
'शक्ति का त्रिकोण'
मैर्केल को अक्सर हाथ मिलाकर खड़े होने पर एक त्रिकोण सी मुद्रा में देखा जाता है. जनता के सामने हों या कैमरे के सामने- ये हस्त मुद्रा उनकी पहचान है. और एक बेहद शक्तिशाली नेता होने के कारण कई लोग इसे शक्ति का त्रिकोण कहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Michael Kappeler
यूरोप की नेता
जर्मन चांसलर अपनी लगभग हर सार्वजनिक उपस्थिति में शांत और गंभीर होती हैं, खासकर यूरोप के भीतर. इसी कारण सही मौकों पर आई उनकी मुस्कान खबर बन जाती है. जैसे हाल ही में ब्रातिस्लावा में आयोजित यूरोपीय नेताओं के सम्मेलन में.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Hoslet
सेल्फी में चांसलर
2015 में जर्मनी में शरणार्थियों की संख्या में आए उभार के दौरान ही एक सीरियाई युवा के साथ उनकी ये सेल्फी बहुत महत्वपूर्ण संदेश बन गई. शरणार्थियों के लिए द्वार खुले रखने वाली मैर्केल ने अपने मत को साफ करते हुए तमाम स्कूलों और शरणार्थी कैंपों का दौरा किया.
तस्वीर: Getty Images/S. Gallup
गठबंधन सरकार में जुगलबंदी
जर्मनी की चांसलर और सीडीयू पार्टी की मुखिया के तौर पर मैर्केल के सामने चुनौतियां भी बड़ी हैं. वह सरकार में अपनी सहयोगी पार्टी एसपीडी के बड़े नेता जिग्मार गाब्रिएल की तरह तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देतीं बल्कि बहुत ही ठंडे दिमाग से वस्तुनिष्ठता वाले बयानों के लिए जानी जाती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Kumm
तेज डिजिटल विकास पर उत्सुक
एक भौतिकशास्त्री के रूप में प्रशिक्षित मैर्केल वैज्ञानिक सोच और अभिरुचि वाली तो रही हैं, लेकिन इंटरनेट और डिजिटल मीडिया में वे बहुत ज्यादा बढ़ चढ़ कर हिस्सा नहीं लेतीं. हालांकि उनका आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट है, जिस पर उनके सरकारी फोटोग्राफर की खींची तस्वीरें डाली जाती हैं. 2015 में यूएन में फेसबुक संस्थापक मार्क जकरबर्ग के साथ.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उपदेशक की बेटी
एक प्रोटेस्टेंट पादरी की बेटी के रूप में जन्मी मैर्केल के नैतिक मूल्यों पर उनके पिता की शिक्षाओं का गहरा असर माना जाता है. ईसाई परवरिश के साथ बड़ी हुईं मैर्केल को 2016 में पोप फ्रांसिस के साथ वैटिकन में मिलने का मौका मिला. अपनी पसंदीदा किताबों पर चर्चा करते हुए.
तस्वीर: Reuters/A. Pizzoli
दोस्ताना राजनैतिक संबंधों की चैंपियन
अपने व्यस्त कार्यक्रमों के चलते मैर्केल के जीवन में ऐसे मौके भी कम ही आते हैं जब वे रिलेक्स दिखें. लेकिन 2013 में जर्मनी और फ्रांस के बीच एलिजी समझौते पर हस्ताक्षर होने की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर मैर्केल ने पूरी संसद को न्यौता दिया और दोनों देशों की दोस्ती का जश्न शैंपेन की बोतल के साथ मनाया गया.
तस्वीर: AP
एक निजी चांसलर
चांसलर के रूप में अंगेला मैर्केल साल में बहुत कम ही बार छुट्टियां ले पाती हैं. सार्वजनिक जीवन में होने के कारण अक्सर छुट्टी के समय भी उन पर नजर होती है. जैसे यहां पोलैंड में पति योआखिम जाउअर के साथ छुट्टी पर गईं मैर्केल की तस्वीर. (हाइके मुंड/आरपी)