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आगरा में पुलिस और सत्संगी क्यों भिड़ गए ?

समीरात्मज मिश्र
२५ सितम्बर २०२३

उत्तर प्रदेश के आगरा में सरकारी जमीन से कथित तौर पर अवैध कब्जा हटाने गई पुलिस की टीम पर आश्रम के लोगों ने हमला कर दिया. पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की. दोनों ओर से कई लोग घायल हुए हैं. इस विवाद की पूरी वजह क्या है?

आगरा में सत्संगी और पुलिस के बीच झड़प
पुलिस की कार्रवाई में गेट का एक हिस्सा ढहा दिया गयातस्वीर: Yatish Lawaniya/DW

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के दयालबाग इलाके में रविवार शाम स्थानीय पुलिस राधास्वामी सत्संग सभा की ओर से सरकारी जमीन पर कथित अवैध कब्जे को हटाने के लिए पहुंची थी. सत्संग सभा परिसर से लाउड स्पीकर के जरिए पुलिस को भीतर नहीं आने की हिदायत दी जा रही थी.

पुलिस पर पथराव

पुलिस परिसर के नजदीक पहुंचते ही बड़ी संख्या में मौजूद सत्संगियों ने पुलिस बल पर पथराव कर दिया. पुलिस ने लाउड स्पीकर से ऐसा नहीं करने की अपील की. पुलिस ने यह भी अपील की कि यदि पत्थरबाजी नहीं रुकी तो पुलिस वालों को आत्मरक्षा में लाठी चार्ज करना पड़ेगा. पत्थरबाजी नहीं रुकी और पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया. घंटों दोनों तरफ से पत्थरबाजी होती रही, लाठी-डंडे चलते रहे. दर्जनों लोग घायल हुए जिनमें पुलिसकर्मी और सत्संगी दोनों तरफ के लोग थे.

मौके पर मौजूद रहे आगरा के एडिशनल एसपी सूरज कुमार राय ने बताया, "राजस्व विभाग की ओर से एक सरकारी चकमार्ग पर अवैध निर्माण को हटाने के लिए पुलिस फोर्स की मांग की गई थी. उसी क्रम में पुलिस बल पहुंचा था लेकिन कुछ लोग वहां तैयारी के साथ मुस्तैद थे. पुलिस बल के ऊपर पथराव किया गया. पुलिस ने संयम और अनुशासन के साथ भीड़ को नियंत्रित किया. फिलहाल मौके पर शांति है. आश्रम के लोगों को अपने सभी दस्तावेज दिखाने को कहा गया है.”

राधा स्वामी आश्रम पर कार्रवाई करने पहुंचे पुलिसकर्मीतस्वीर: Yatish Lawaniya/DW

सरकारी जमीन पर कब्जा

आगरा के दयालबाग इलाके के जगनपुर मौजा में राधास्वामी सत्संग सभा का आश्रम है. आश्रम के भीतर एक रास्ता है जिसे आश्रम के लोग अपना बताते हैं जबकि प्रशासन का दावा है कि उस जमीन पर आश्रम का अवैध कब्जा है. इसके अलावा भी आश्रम का काफी हिस्सा प्रशासन के मुताबिक, सरकारी जमीन पर बना है. शनिवार को आगरा प्रशासन ने रास्ते के प्रवेश द्वार पर बना गेट और कुछ अवैध निर्माण बुलडोजर चलाकर ढहा दिया था. उसी दिन देर शाम सत्संगियों ने फिर से गिराई गई दीवारों की जगह पर कटीले तार और गेट लगाकर उस जमीन पर कब्जा कर लिया.

रविवार को पुलिस फिर से अवैध कब्जा हटाने पहुंची. पुलिस बल जैसे ही अवैध कब्जे वाली जगह पहुंचा तो पहले सत्संगियों को समझने का प्रयास किया गया लेकिन थोड़ी ही देर बाद सत्संगियों की ओर से पत्थरबाजी होने लगी.

अर्धसैनिक बलों जैसे कपड़े पहने आश्रम के महिला सुरक्षाकर्मीतस्वीर: Yatish Lawaniya/DW

स्थानीय पत्रकार यतीश लवानियां भी घटना को कवर कर रहे थे. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो बताते हैं, "आश्रम के वरिष्ठ स्वामी जिन्हें सब हुजूर साहब कहते थे वो भीतर एक ऑटो में बैठे थे. अंदर से घोषणा हो रही थी कि पुलिस वाले हट जाएं, दुर्व्यवहार ना करें, हमारा मसला हाईकोर्ट में चल रहा है. अचानक हुजूर साहब के इशारे के बाद सत्संगी एकदम आक्रामक हो गए. पत्थर फेंकने लगे. कांटे लगे हुए डंडों से पुलिस वालों को पीटने लगे. छोटे-छोटे बच्चों को आगे कर दिया गया. जेसीबी भी तोड़ दी गई. फिर पुलिस वालों ने भी अपने बचाव में पथराव किया और लाठी चार्ज भी किया.”

यतीश लवानियां बताते हैं कि आश्रम में लड़कियों की भी एक विंग बनी हुई है और ये लड़कियां पैरामिलिट्री फोर्स जैसी वर्दी में रहती हैं. ये लड़कियां लाठियों के जरिए शक्ति प्रदर्शन भी कर रही थीं और बाद में पुलिस के साथ उनकी भिड़ंत भी हुई.

इस भिड़ंत में कई पुलिसकर्मी और पत्रकार भी घायल हुए. पथराव कर रहे सत्संगियों को काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब कुछ देर बाद भीड़ छंटी. राजस्व विभाग और पुलिस की ओर से सत्संगियों को कुछ समय दिया गया ताकि अगर उनके पास कोई कागज है तो वे उसे दिखाएं.

आश्रम के गेट पर जेसीबी के सामने महिला सुरक्षाकर्मीतस्वीर: Yatish Lawaniya/DW

जमीन छीनने के आरोप

हालांकि प्रशासन ने सत्संग सभा को पहले ही नोटिस दे दिया था और कब्जा हटाने का समय भी दिया गया था ताकि कोई कानूनी पेंच ना फंस सके. वहीं दूसरी ओर, सत्संग सभा का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन जबरन उनकी जमीन छीनने और उसे कथित तौर पर बिल्डरों को सौंपने के षडयंत्र के तहत ऐसा कर रही है. राधास्वमी सत्संग सभा के मीडिया प्रभारी एसके नैयर ने डीडब्ल्यू को बताया कि प्रशासन ने हठधर्मिता दिखाते हुए सत्संग सभा की जमीन और निर्माण को गलत तरीके से तोड़ा है.

नैयर का कहना है, "हमारे पास सभी दस्तावेज मौजूद हैं. प्रशासन यहां जबरन रास्ता बनाना चाहता है जबकि रास्ता हमारा है, हमने इसे अपने खेत में से निकाला है. रास्ते के दोनों ओर की जमीनें आश्रम की हैं. हमारे पास सारे कागज हैं, प्रशासन कह रहा है कि ये फर्जी हैं जबकि ये सारे कागज प्रशासन की ओर से ही जारी किए गए हैं. श्मसान भूमि और सड़क सब आश्रम की हैं. किसी और के पास यहां के कागज हों तो दिखाएं. हम लोग कोर्ट जाएंगे, मानवाधिकार आयोग भी जाएंगे राष्ट्रीय महिला आयोग भी जाएंगे.”

ग्रामीणों की जमीन

आस-पास के ग्रामीणों ने भी राधास्वामी सत्संग सभा पर धीरे-धीरे करके ग्रामीणों की जमीन हड़पने का आरोप लगाया है. कई टीवी चैनलों पर बड़ी संख्या में आस-पास के ग्रामीण ऐसे बयान देते हुए दिखे. हालांकि आश्रम के मीडिया प्रभारी ऐसे आरोपों से साफ इनकार करते हैं.

पुलिसवालों से भिड़ते सत्संगीतस्वीर: Yatish Lawaniya/DW

दयालबाग के खेतों और चकरोड पर कब्जा करने के आरोप राधास्वामी सत्संग सभा पर पहले भी कई बार लगे हैं और कुछ मामले कोर्ट में भी चल रहे हैं. हालांकि सत्संग सभा के खिलाफ 113 साल में पहली बार प्रशासन का बुलडोजर चला है. यतीश लवानियां बताते हैं कि 1949 से लेकर अब तक जमीन का विवाद कई बार आक्रामक हुआ लेकिन सत्संग सभा ने प्रशासन को अपने परिसर के आस-पास फटकने नहीं दिया. यह पहला मौका है जब उनके किसी निर्माण को ढहाया गया है.

100 साल से ज्यादा पुराना आश्रम

राधास्वामी सत्संग सभा, दयालबाग की स्थापना साल 1910 में हुई थी. आजादी के बाद 1949 में जमीन कब्जा करके रास्ता बंद करने संबंधी मामला कलेक्ट्रेट में पहुंचा और लोगों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया था. उसके बाद लगातार प्रदर्शन, पथराव, मारपीट और यहां तक कि गोलीबारी की भी कई घटनाएं हो चुकी हैं.

यतीश लवानियां बताते हैं कि ताजा मामले की शुरुआत तब हुई जब कुछ महीने पहले सत्संग सभा ने खेतों के चकरोड, मेन रोड और नहर की जमीन पर गेट लगाकर किसानों का रास्ता बंद कर दिया. इसी साल 28 अप्रैल को करीब 155 बीघा जमीन कब्जाने के साथ 10 हेक्टेयर जमीन पर गेट लगाने के मामले में प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की. नोटिस का समय बीतने पर ही शनिवार को बुलडोजर चलाया गया. यही नहीं, पिछले हफ्ते सत्संग सभा के अध्यक्ष और दो उपाध्यक्षों को भूमाफिया घोषित करने की भी सिफारिश की जा चुकी है.

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