आजादी के बाद से ही शुरू हो गया था रक्षा घोटालों का इतिहास
ऋषभ कुमार शर्मा
७ मार्च २०१९
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि रक्षा मंत्रालय से राफाल डील से जुड़े कागज चोरी हो गए हैं. पहली बार नहीं है जब किसी रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों. भारत की आजादी के बाद से ही ऐसे आरोप लगते रहे हैं.
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जीप घोटाला, 1948
1947 में आजादी के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चलता रहा है. जब पाकिस्तान की कबाइली फौजों ने कश्मीर पर आक्रमण शुरू किया तो सीमा की देखभाल और दूसरे कामों के लिए भारतीय सेना ने सरकार से जीपों की मांग की.
भारत सरकार की तरफ से इंग्लैंड में भारत के उच्चायुक्त वीके कृष्णमेनन ने ब्रिटिश कंपनियों के साथ जीप खरीदने का सौदा किया. मेनन ने एक संदिग्ध कंपनी के साथ 1500 जीपों की खरीददारी का सौदा कर लिया. इसके लिए उन्होंने 80 लाख रुपए कंपनी को एडवांस में दे दिए.
इन जीपों की जरूरत भारत को तुरंत थी लेकिन इनकी पहली खेप जिसमें 150 जीपें थीं, सीजफायर होने के बाद भारत पहुंची. साथ ही ये इतनी घटिया क्वालिटी की थीं कि चल भी नहीं सकती थीं.
भारत के महाघोटाले
भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा राजनीति के केंद्र में है. यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही. फिर भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ मोदी सरकार सत्ता में आयी. एक नजर भारत के अब तक के महाघोटालों पर.
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कोलगेट स्कैम
यूपीए टू के समय सामने आया कोलगेट घोटाला 1993 से 2008 के बीच सार्वजनिक और निजी कंपनियों को कम दामों में कोयले की खदानों के आवंटन का था. कैग (सीएजी) की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत आवंटन कर इन कंपनियों को 10,673 अरब का फायदा पहुंचाया गया था. इस घोटाले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि पर नकारात्मक असर डाला. हालांकि अदालत में यह घोटाला साबित नहीं हुआ.
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टूजी स्कैम
कंपनियों को गलत तरह से टूजी स्पैक्ट्रम आवंटित करने का यह महाघोटाला भी यूपीए सरकार के समय का है. कैग के एक अनुमान के मुताबिक जिस कीमत में इन स्पैक्ट्रमों को बेचा गया और जिसमें इसे बेचा जा सकता था उसमें 17.6 खरब रूपये का अंतर था. यानि देश को लगा कई खरब का चूना लगा. लेकिन अदालत में सीबीआई इसको साबित नहीं कर सकी. अदालत ने कहा कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ.
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व्यापमं घोटाला
भाजपा शासित मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से मेडिकल समेत अन्य सरकारी क्षेत्रों की भर्ती परीक्षा में धांधली से जुड़ा 'व्यापमं घोटाला' अब तक का सबसे जानलेवा घोटाला है. अब तक इससे जुड़े, इसकी जांच कर रहे या इस की खबर लिख रहे पत्रकारों समेत दर्जनों लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो चुकी है.
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बोफोर्स घोटाला
स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तोपों की खरीद के सौदे में घूसखोरी का ये घोटाला भारतीय राजनीति का सबसे चर्चित घोटाला है. 410 तोपों के लिए कंपनी के साथ 1.4 अरब डॉलर का सौदा किया गया जो कि इसकी असल कीमतों का दोगुना था. अदालत ने राजीव गांधी को इस मामले से बरी कर दिया था.
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कफन घोटाला
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौर में सामने आया यह घोटाला कारगिल युद्ध के शहीदों के ताबूतों से जुड़ा था. शहीदों के लिए अमेरीकी कंपनी ब्यूट्रॉन और बैजा से तकरीबन 13 गुना अधिक दामों में ताबूत खरीदे गए थे. हर एक ताबूत के लिए 2,500 डॉलर दिए गए.
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हवाला कांड
एलके आडवानी, शरद यादव, मदन लाल खुराना, बलराम जाखड़ और वीसी शुक्ला समेत भारत के अधिकतर राजनीतिक दलों के नेताओं का नाम इस घोटाले में सामने आया. इस घोटाले में हवाला दलाल जैन बंधुओं के जरिए इन राजनेताओं को घूस दिए जाने का मामला था. इसकी जांच में सीबीआई पर कोताही बरतने के आरोप लगे और धीरे-धीरे तकरीबन सभी आरोपी बरी होते गए.
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शारदा चिट फंड
200 निजी कंपनियों की ओर से साझे तौर पर निवेश करने के लिए बनाए गए शारदा ग्रुप में हुआ वित्तीय घोटाला भी महाघोटालों में शामिल है. चिट फंड के बतौर जमा राशि को लौटाने के समय में कंपनी को बंद कर दिया गया. इस घोटाले में त्रिणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कुणाल घोष जेल भजे गए. साथ ही बीजू जनता दल, बीजेपी और त्रिणमूल कांग्रेस के कई अन्य नेताओं की भी गिरफ्तारियां हुई हैं.
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ऑगस्टा वेस्टलैंड डील
इटली की हेलीकॉप्टर निर्माता फर्म ऑगस्टा वेस्टलैंड से 12, एडब्लू101 हेलीकॉप्टर्स की खरीददारी के इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुछ भारतीय राजनीतिज्ञों और सेना के अधिकारियों पर घूस लेने के आरोप हैं. ऑगस्टा वेस्टलैंड के साथ इन 12 हेलीकॉप्टर्स के लिए ये सौदा 36 अरब रूपये में हुआ था.
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चारा घोटाला
करीब 9.4 अरब के गबन का चारा घोटाला भारत के मशहूर घोटालों में से एक है. यह घोटाला राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक अवसान की वजह बना. वहीं इस घोटाले से पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और शिवानंद तिवारी का भी नाम जुड़ा था.
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कॉमनवेल्थ
2010 में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेल, भारत में खेल जगत का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुए. इस खेल में अनुमानित तौर पर 70 हजार करोड़ रूपये खर्च किए गए. गलत तरीके से ठेके देकर, जानबूझ कर निर्माण में देरी, गैर वाजिब कीमतों में चीजें खरीद कर इस पैसे का दुरूपयोग किया गया था. इन अनियमितताओं के केंद्र में मुख्य आयोजनकर्ता सुरेश कल्माड़ी का नाम था.
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इस घोटाले की जांच के लिए अनंथसायनम आयंगर की अध्यक्षता में कमिटी बनाई गई. लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका और 30 सितंबर 1955 को ये केस बंद कर दिया गया. साथ ही, 3 फरवरी 1956 को मेनन जवाहर लाल नेहरू की सरकार में मंत्री बन गए. भारत-चीन युद्ध के समय मेनन भारत के रक्षा मंत्री थे. इस युद्ध के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
बोफोर्स घोटाला, 1987
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने. 1984 के लोकसभा चुनाव में राजीव की अगुवाई में कांग्रेस ने रिकॉर्ड 412 सीटें हासिल कीं. लेकिन 1989 के चुनाव में उनकी सरकार चली गई. इसका एक बड़ा कारण बोफोर्स घोटाला था. भारत सरकार ने सेना के लिए 155 एमएम फील्ड हवित्जर खरीदने के लिए टेंडर निकाला.
हवित्जर का मतलब छोटी तोप या बंदूक होता है. सरकार ने तय किया था कि इस डील में कोई बिचौलिया नहीं होगा. तीन देशों फ्रांस, ऑस्ट्रिया और स्वीडन ने इस सौदे में दिलचस्पी दिखाई. स्वीडन और ऑस्ट्रिया ने आपस में तय किया कि तोप स्वीडन सप्लाई करेगा और गोला-बारूद ऑस्ट्रिया का होगा. ऐसे में स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी को ये डील मिल गई.
करीब 1500 करोड़ के इस सौदे में भारत को 410 हवित्जर बेची गईं. लेकिन मई, 1986 में स्वीडन के एक रेडियो पर खबर आई कि बोफोर्स ने इस सौदे को हासिल करने के लिए करीब 64 करोड़ रुपए की रिश्वत दी है. और इस कथित रिश्वत देने में राजीव गांधी का भी नाम आया. साथ ही बोफोर्स तोप की क्षमता पर भी सवाल उठाए गए. इस डील में इटली के रहने वाले और उस दौर में गांधी परिवार के करीबी ओतावियो क्वात्रोकी पर इस सौदे में दलाल की भूमिका निभाने का आरोप लगा.
इन्होंने खाई जेल की हवा
इन नेताओं को खानी पड़ी जेल की हवा
चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को जेल की सजा हुई. पी. चिदंबरम आईएनएक्स मामले में तिहाड़ गए. एक नजर उन नेताओं पर जिन्हें जेल जाना पड़ा.
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पी. चिदंबरम
कांग्रेस की सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में आरोपी हैं. उन्हें इस मामले में तिहाड़ भेजा गया.
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लालू यादव
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को चारा घोटाले के तीन मामले में अब तक दोषी ठहराने के साथ ही सजा सुनाई जा चुकी है. फिलहाल वे झारखंड की जेल में बंद हैं.
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सुखराम
हाल के दशकों में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम पहले राजनेता थे जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उछला और उन्हें जेल जाना पड़ा.
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जे जयललिता
रंगीन टेलिविजन खरीद घोटाले में आरोपी के तौर पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे जयललिता को गिरफ्तार किया गया.
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एम करुणानिधि
तमिलनाडु में ओवरब्रिज घोटाले में उनके शामिल होने के आरोप में उन्हें तब गिरफ्तार किया गया जब वो विपक्ष में थे.
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शिबू सोरेन
शिबू सोरेन को अपने सहयोगी शशिकांत झा की हत्या के सिलसिले में दोषी करार दिया गया. उनके खिलाफ नरसिम्हा राव की सरकार को बचाने के लिए घूस लेकर वोट देने का मामले में भी उन्हें कोर्ट ने दोषी करार दिया.
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बंगारु लक्ष्मण
बीजेपी के अध्यक्ष रहे बंगारु लक्ष्मण को तहलका स्टिंग ऑपरेशन में पैसे लेते हुए दिखाने के बाद ना सिर्फ पार्टी प्रमुख का पद छोड़ना पड़ा बल्कि उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने चार साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई.
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अमर मणि त्रिपाठी
उत्तर प्रदेश के नौतनवा से चार बार विधायक रहे अमर मणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के लिए दोषी करार दिया गया.
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मोहम्मद शहाबुद्दीन
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन पर हत्या और जबरन वसूली के दर्जनों मामले चल रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के नेता और सांसद रहे शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहाई मिली थी लेकिन जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी.
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अमित शाह
सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी के एनकाउंटर मामले में अमित शाह को ना सिर्फ गिरफ्तार किया गया बल्कि उन्हें गुजरात से तड़ीपार भी कर दिया गया. दो साल तक बाहर रहने के बाद उन्हें अदालत से राहत मिली.
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ए राजा
यूपीए की सरकार में मंत्री रहे ए राजा को भी टेलिकॉम घोटाले में ही जेल जाना पड़ा था लेकिन फिलहाल उन्हें भी अदालत ने बरी कर दिया है.
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माया कोडनानी
2002 में गुजरात के दंगों के दौरान लोगों को भड़काने और उन्हें हिंसा के लिए उकसाने का दोषी करार दिया गया. गुजरात सरकार में मंत्री और पेशे से डॉक्टर रहीं कोडनानी को आखिरकार जेल जाना पड़ा.
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कनीमोझी
करुणानिधि की बेटी कनीमोझी को 2जी घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
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ओमप्रकाश चौटाला
हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला को टीचर भर्ती घोटाला में दोषी करार दिया गया. जिसके कारण उन्हें जेल में रहना पड़ा.
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सुरेश कलमाड़ी
दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी जेल गए.
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मधु कोड़ा
मधु कोड़ा पर झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति जुटाने का केस चला. इनमें से एक मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया और तीन साल की सजा दी गई.
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1989 के चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई. क्वात्रोकी भारत से भागकर विदेश चले गए. राजीव गांधी पर क्वात्रोकी की मदद के भी आरोप लगे. इस मामले की सीबीआई जांच शुरू हुई. 1991 में राजीव की हत्या के बाद उनका नाम आरोपियों की सूची से हटा दिया गया. हालांकि जांच जारी रही और 31 मई, 2005 को दिल्ली हाइकोर्ट ने राजीव गांधी के खिलाफ लगे सारे आरोपों को गलत करार दिया.
सीबीआई ने इंटरपोल से लेकर कई संस्थाओं से क्वात्रोकी को हिरासत में लेने की कोशिश की लेकिन सफल न हो सकी. 12 जुलाई, 2013 को क्वात्रोकी की मौत हो गई. साथ ही, 1999 में हुए कारगिल युद्ध में बोफोर्स तोप की अच्छी परफॉर्मेंस ने इसकी क्वालिटी पर खड़े किए गए सवालों को हमेशा के लिए बंद कर दिया.
कारगिल ताबूत घोटाला, 1999
हथियारों की खरीद-फरोख्त के अलावा कारगिल युद्ध में मारे गए सैनिकों के लिए खरीदे गए कफनों और ताबूतों की खरीददारी में भ्रष्टाचार का आरोप अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार पर लगा. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक कारगिल युद्ध में मारे गए भारतीय सैनिकों के लिए सरकार ने अमेरिकी फर्म बुइटरोन एंड बैजा से 500 एल्युमिनियम ताबूत खरीदने का सौदा किया.
एक ताबूत की कीमत करीब 2500 डॉलर रखी गई. कैग के अनुमान के मुताबिक यह कीमत वास्तविक कीमत का 13 गुना थी. हालांकि भारत और अमेरिका दोनों के राजदूतों ने यह घोषणा की थी कि ऐसे एक ताबूत की कीमत 2768 डॉलर थी.
इस सौदे में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस और तीन आर्मी अफसरों का नाम आया. सीबीआई जांच हुई. दिसंबर, 2013 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के फैसले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया. और ये केस भी खत्म हो गया.
बराक मिसाइल डील घोटाला, 2001
साल 2001 में तहलका पत्रिका ने ऑपरेशन वेस्ट एंड नाम से एक स्टिंग ऑपरेशन किया. इसमें आरोप लगाया गया कि भारत सरकार द्वारा किए गए 15 रक्षा सौदों में रिश्वतखोरी हुई है. इस्राएल से खरीदे जाने वाली बराक मिसाइल भी इनमें से एक थी. भारत सरकार इस्राएल से 7 बराक मिसाइल सिस्टम और 200 मिसाइल खरीदने वाली थी.
भारत सरकार की जो टीम इस मिसाइल को देखने इस्राएल गई थी उसने इस मिसाइल की क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगाए. साथ ही, उस समय डीआरडीओ प्रमुख रहे डॉ अब्दुल कलाम ने भी इसकी क्षमता पर आपत्ति जताई. लेकिन फिर भी इस सौदे को हरी झंडी दे दी गई. तहलका के इस स्टिंग में एनडीए सरकार की सहयोगी समता पार्टी के खजांची आरके जैन ने कबूल किया कि इस सौदे को करवाने के लिए उन्हें पूर्व नौसेना प्रमुख एसएम नंदा के बेटे सुनील नंदा से एक करोड़ रुपये की रिश्वत मिली थी.
साथ ही उन्होंने जॉर्ज फर्नांडीस और उनकी करीबी जया जेटली को भी पैसे दिए थे. इस घोटाले की सीबीआई जांच हुई और आरके जैन और सुनील नंदा को गिरफ्तार किया गया. 24 दिसंबर, 2013 को सीबीआई ने यह केस सबूतों की कमी के चलते बंद कर दिया. खास बात ये थी कि इस केस के बंद होने से एक दिन पहले यानी 23 दिसंबर, 2013 को तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने 262 बराक मिसाइल खरीदने की अनुमति दी थी.
अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील स्कैम, 2007
साल 2000 में भारतीय वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय से कहा कि भारत के राष्ट्रपति, पीएम और सेनाध्यक्षों समेत तमाम दूसरे बड़े वीवीआईपी लोगों के लिए नए हेलिकॉप्टर्स की जरूरत है. तब तक ये एमआई-8 हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहे थे. अगले 10 सालों में इन्हें बदलने की जरूरत थी.
सुरक्षा की दृष्टि से तय किया गया कि ये ऐसे हेलिकॉप्टर हों जो 6 हजार मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकें. 2007 में टेंडर निकाले गए. दो कंपनियां सामने आईं. पहली सिकोर्स्की और दूसरी फिनमैकेनिका. फिनमैकेनिका अगस्ता वेस्टलैंड की पैरेंट कंपनी है. केंद्र सरकार ने एयरफोर्स की सिफारिश पर अगस्ता वेस्टलैंड के मॉडल एडब्ल्यू 101 को चुना.
12 हेलिकॉप्टरों की कीमत करीब 3600 करोड़ थी. 2012 से डिलिवरी शुरू हो गई. 2013 तक 3 हेलिकॉप्टर भारत आ गए. लेकिन 2013 में इस डील में रिश्वतखोरी की बात सामने आई. आरोप लगा पूर्व एयर चीफ मार्शल एस पी त्यागी पर. कहा गया कि उन्होंने डील के नियम बदले और ऊंचाई की सीमा को घटाकर 6000 मीटर से 4500 मीटर कर दिया. इससे अगस्ता वेस्टलैंड को ये सौदा मिल गया.
इसके एवज में त्यागी और उनके रिश्तेदारों पर 360 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने के आरोप लगे. अगस्ता वेस्टलैंड की तरफ से इस पूरे सौदे को करवाने की जिम्मेदारी क्रिश्चियन मिशेल नाम के दलाल पर थी. उन्हें कंपनी ने कथित तौर पर 225 करोड़ रुपये दिए थे. इस मामले के सामने आते ही सरकार ने ये सौदा रद्द कर दिया. फिलहाल एसपी त्यागी और मिशेल दोनों सीबीआई की गिरफ्त में हैं और जांच चल रही है.