आजादी की 70वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में भारत को धार्मिक हिंसा को अस्वीकार करने को कहा. वे गोरखपुर से लेकर कश्मीर और कालेधन से लेकर पाकिस्तान समेत कई मुद्दों पर बोले.
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लाल किले के प्राचीर से अपने भाषण में मोदी ने गोरखपुर अस्पताल में हुई 60 बच्चों की मौत पर कहा, "पिछले दिनों हमारे अस्पतालों में हमारे मासूम बच्चों की मौत हुई. इस संकट की, दुख की घड़ी में सवा सौ करोड़ देशवासियों की संवेदनाएं सबके साथ है." मोदी ने न्यू इंडिया का संकल्प लेकर देश में परिवर्तन लाने की बात कही. उन्होंने कहा, "न्यू इंडिया जो सुरक्षित हो, समृद्ध हो, शक्तिशाली हो, न्यू इंडिया जहां सबको समान अवसर प्राप्त हो."
प्रधानमंत्री ने कहा, "हम जिस निराशा में पले बढ़े हैं, अब हमें आत्मविश्वास से आगे बढ़ना है. हमें निराशा को छोड़ना है. चलता है ये तो ठीक है, अरे चलने दो, मैं समझता हूं कि चलता है का जमाना चला गया. अब तो आवाज यही उठे कि बदला है, बदल रहा है, बदल सकता है."
आतंकवाद के मुद्दे पर मोदी ने कहा कि जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो दुनिया के लोगों को हमारी ताकत माननी पड़ी. यह साफ है कि देश की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है. समंदर हो या सीमा हो, साईबर हो या स्पेस हो हर प्रकार की सुरक्षा के लिए भारत समर्थ है. कश्मीर के मुद्दे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "न गाली से न गोली से, कश्मीर की समस्या सुलझेगी गले लगाने से." उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कोई नर्मी नहीं बरती जाएगी. आतंकवादियों को हमने बार बार कहा है कि मुख्यधारा में आइए. मुख्यधारा ही है जो हर किसी के जीवन में नयी ऊर्जा भर सकती है.
भ्रष्टाचार और नोटबंदी के मुद्दे पर मोदी ने कहा कि आज माहौल बना है कि ईमानदारी का उत्सव मनाया जा रहा है. 800 करोड़ की बेनामी संपत्ति जब्त की है और जब ये होता है तो सामान्य लोगों के मन में ये विश्वास पैदा होता है कि यह देश ईमानदार लोगों के लिए है. उन्होंने कहा, "कालेधन के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी. भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी और हमने धीरे धीरे टेक्नोलॉजी को बेहतर करते हुए, आधार को लिंक करते हुए पारदर्शिता को बढ़ाने की कोशिश की है."
प्रधानमंत्री ने तीन तलाक के मुद्दे को भी भाषण में शामिल किया और कहा कि तीन तलाक से पीडि़त महिलाओं के साथ देश खड़ा हुआ है. हम इसके खिलाफ संघर्ष करने वाली महिलाओं को नमन करते हैं.
उन्होंने कई सरकारी योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि 1400 हजार गांवों को आजादी के बाद अब तक अंधेरे में पड़े हुए थे वहां रोशनी पहुंची है. देश उजाले की तरफ बढ़ा है हम साफ देख रहे हैं.पीएम मोदी ने कहा कि हम सभी को उस बात को लेकर आगे चलना चाहिए कि आने वाले 2018 की 1 जनवरी सामान्य नहीं होगी. 21वीं शताब्दी में जन्मे नौजवानों के लिए यह वर्ष काफी महत्वपूर्ण वर्ष है. अब युवा 18 साल के हो गए हैं, जो कि देश को आगे बढ़ाएंगे.
भारत विभाजन की कहानी आंकड़ों की जुबानी
भारत को 1947 में मिली आजादी लेकिन विभाजन की तकलीफ के साथ. जल्दी जल्दी में खींची गयी सीमा की लकीरों ने विस्थापन का वह सिलसिला शुरू किया जिसकी दूसरी मिसाल दुनिया में कम ही देखने को मिलती है.
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एक हुआ दो
हंगामा, अफरातफरी, हिंसा और अव्यवस्था की आंधियों के बीच ही पाकिस्तान नाम के एक नये देश का जन्म हुआ और ना जाने कितनी त्रासदियों की सिर उठाने का मौका मिला. उन त्रासदियों को एक बार कुछ संख्याओं की नजर से जानते हैं.
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200 साल की अंग्रेजी हुकूमत
1612 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहली बार भारत में पांव रखे, तब देश के एक बड़े हिस्से में मुगल शासन का अधिपत्य था और शासक था जहांगीर. यहां से कारोबारी रिश्ते की शुरुआत कर ईस्ट इंडिया कंपनी पूरे भारत पर हुकूमत करने लगी. 1857 के विद्रोह के बाद हुकूमत सीधे ब्रिटिश राज के हाथ में चली गई.
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90 साल का संग्राम
1857 के विद्रोह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली बड़ी घटना माना जाता है. अंग्रेज सरकार इस विद्रोह को दबाने में कामयाब रही लेकिन भारतीयों के मन में इसकी चिंगारी सुलगती रही. पूरे 90 साल तक छोटे बडे हिंसक और अहिंसक आंदोलनों का नतीजा 1947 में मिला और भारत आजाद हुआ लेकिन विभाजित होकर.
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70 साल का बंटवारा
ये वो साल हैं जो भारत के विभाजन के बाद बीते हैं. पाकिस्तान के दो हिस्से थे पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान. पूर्वी पाकिस्तान बाद में एक एक अलग देश बन गया. इसमें भारत ने भी मदद की और आज उसे बांग्लादेश कहते हैं.
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31.8 करोड़
विभाजन से पहले भारत की जनसंख्या इतनी ही थी. 1941 की जनगणना के मुताबिक तब हिंदुओँ की संख्या 29.4 करोड़, मुस्लिम 4.3 करोड़ और बाकी लोग दूसरे धर्मों के थे. मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के हित में अधिकार मांगे जिसे कांग्रेस ने ठुकरा दिया. नतीजे में मुस्लिम लीग ने अलग राष्ट्र की मांग कर दी और उसे पाने में कामयाब हुए.
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2,897 किलोमीटर
ये उस सीमा रेखा की लंबाई है जो भारत और पाकिस्तान को विभाजित करती है. इसमें कुछ हिस्सा अब भी विवादित है. भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 में जो रेखा खींची गयी वो धर्म की थी. बहुसंख्यक मुस्लिम पाकिस्तान चले गये जबकि हिंदू भारत के हो कर रह गये.
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1.2 करोड़
ये संख्या उन लोगों की है जो इस विभाजन के कारण विस्थापित हुए. कुछ इतिहासकार इसे दुनिया में सबसे बड़ा विस्थापन बताते हैं. मुसलमानों की बहुत बड़ी आबादी अपनी जन्मभूमि को छोड़ पाकिस्तान चली गयी. इसी तरह हिंदुओं ने भारत का रुख किया. लोगों के दल जब सीमा पार कर रहे थे तब ये कतारें कई कई किलोमीटर लंबी थीं.
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2-10 लाख
विभाजन का एलान होने के बाद हुई हिंसा में कितने लोग मारे गये, इसे लेकर अलग अलग आंकड़े हैं. आमतौर पर इसकी संख्या 5 लाख बतायी जाती है. हालांकि ये संख्या सही सही नहीं बतायी जा सकती. माना जाता है कि दो लाख से 10 लाख के बीच लोगों की मौत हुई. इसके अलावा 75 हजार से 1 लाख महिलाओं का बलात्कार या हत्या के लिए अपहरण हुआ.
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3 जंग
ये संख्या उन जंगों की है जो 70 साल के इतिहास में भारत पाकिस्तान ने आपस में लड़ीं. इन जंगों की प्रमुख वजह कश्मीर था जो अंग्रेजों के शासन में देसी रजवाड़ों में शामिल था और जिसने भारत या पाकिस्तान के साथ जाने से इनकार कर दिया था. फिलहाल यह भारत और पाकिस्तान के बीच बंटा हुआ है और दोनों देश इसे पूरा चाहते है.