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फिर शुरू करेंगे बातचीत भारत और यूरोपीय संघ

विवेक कुमार
१० मई २०२१

यूरोपीय संघ और भारत के बीच मुक्त-व्यापार समझौते पर अटकी पड़ी बातचीत को दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी है. दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन पर मिलकर काम करने का भी वादा किया है.

Indien Treffen Premierminister Narendra Modi mit EU Delegation in Neu-Delhi
तस्वीर: Reuters/Handout/India's Press Information Bureau

शनिवार को भारत और यूरोपीय संघ के बीच वर्चुअल सम्मेलन हुआ. यह पहली बार था कि यूरोपीय संघ के नेता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक साथ मिले जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यूरोपीय संघ की बढ़ती दिलचस्पी का संकेत है. इससे पहले भारत-ईयू सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री के साथ संघ के अध्यक्ष और चीफ एग्जेक्यूटिव ही होते थे. दोनों पक्षों के नेताओं ने कहा कि हम मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापार समझौते पर बातचीत फिर से शुरू करेंगे.

इस बातचीत को सफल बनाने के लिए दोनों पक्ष एक दूसरे के बाजारों को खोलने से जुड़े मुद्दे हल करने पर भी सहमत हुए. इसके अलावा भारत और यूरोप निवेश सुरक्षा के लिए एक समझौते पर भी विमर्श शुरू करने जा रहे हैं. 2013 में पेटेंट, टैरिफ, भारतीय पेशेवरों को यूरोप का वीसा और डेटा सिक्योरिटी जैसे मुद्दों पर असहमतियों के चलते भारत और यूरोप के बीच व्यापार-विमर्श बंद हो गया था.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव और उसके सैन्य शक्तियों के प्रसार ने यूरोप और उसके सहयोगियों की चिंताएं बढ़ाई हैं. ब्रसेल्स हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है. ये संकेत भारत-ईयू वार्ता में भी नजर आए. साझा बयान में कहा गया, "हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि बहुध्रुवीय दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और यूरोपीय संघ के सुरक्षा, समृद्धि और स्थिर विकास में साझा हित हैं.”

जुलाई 2020 में हुई एक वर्चुअल बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूरोपीय परिषद् के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन.तस्वीर: Reuters/Y. Herman

मानवाधिकारों को लेकर भारत पर दबाव

भारत में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर यूरोपीय नेताओं को दबाव भी झेलना पड़ा. पुर्तगाल के पोर्तो में यूरोपीय सम्मेलन के बाहर मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनैशनल ने एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. इसलिए बयान में कहा गया, "हमने महिला समानता और सशक्तिकरण समेत सभी मानवाधिकारों की सुरक्षा करने की प्रतिबद्धता दोहराई. हमने मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रियाओं को मजबूत बनाने और राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों, समाजसेवियों और पत्रकारों की भूमिका बढ़ाने पर भी जोर दिया.”

भारत-ईयू पीपल्स समिट

भारत-यूरोपीय संघ के सम्मेलन के ठीक पहले विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं ने एक समानांतर सम्मेलन आयोजित किया जिसमें भारत में मानवाधिकारों और अन्य विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ. ‘ईयू-इंडिया पीपल्स समिट' नाम के इस आयोजन में मई के पहले पूरे हफ्ते में दुनियाभर से कई विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और चर्चाएं की. वक्ताओं में हिंदूज़ फॉर ह्यमून राइट्स की कनाडा सदस्य वागीशा अग्रवाल जैसे युवा भी थे और वॉरसा यूनिवर्सिटी में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर डॉक्टर पिओत्र बालसेरोविच जैसे माने हुए विशेषज्ञ भी.

आयोजकों में शामिल मानवाधिकार कार्यकर्ता और नीदरलैंड्स में कानून पढ़ाने वालीं डॉ. रितंभरा मानवी ने डॉयचेवेले से बातचीत में कहा कि समानांतर सम्मेलन आयोजित करने का मकसद भारत और यूरोप के बीच बातचीत में आमजन के मुद्दों को जगह दिलाने की कोशिश था.

डॉ. मानवी ने बताया, "भारत-ईयू समिट बंद दरवाजों में होती है. उसमें किस तरह के मुद्दे उठाए गए, उस पर आमजन का कोई नियंत्रण ही नहीं है. हमने अनुरोध किया कि हमें सिविल सोसाइटी को इस बातचीत का हिस्सा बनाया जाए. लेकिन हमें इसकी इजाजत नहीं दी गई, जिसके बाद हमने समानातंर सम्मेलन करने का फैसला किया ताकि दुनिया को बताया जा सके कि लोग असल में किन समस्याओं से गुजर रहे हैं किन मुद्दों को पहले हल किए जाने की जरूरत है.”

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