आडवाणी की आत्मकथा
२० मार्च २००८
बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी आत्मकथा लिख दी है। माई कंट्री, माई लाइफ़ - मेरा देश, मेरा जीवन। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इस आत्मकथा को रिलीज़ किया। आडवाणी ने निजी ज़िन्दगी से लेकर राजनीतिक जीवन के कई उतार चढ़ाव का किताब में ज़िक्र किया है और इस बात को क़बूल किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से उनका कई मुद्दों पर मतभेद हुआ। वाजपेयी ने इस किताब की भूमिका लिखी है, लेकिन इसके रिलीज़ के वक्त वो मौजूद नहीं थे।
आडवाणी ने बाबरी मसजिद से लेकर गुजरात दंगों तक के संवेदनशील मुद्दों को किताब में शामिल किया है और लिखा है कि गुजरात दंगों के बाद नरेंद्र मोदी के इस्तीफ़े पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से उनका टकराव हुआ। आडवाणी ने कहा कि वाजपेयी चाहते थे कि मोदी इस्तीफ़ा दे दें लेकिन मैं नहीं चाहता था। वैसा ही हुआ, जैसा आडवाणी चाहते थे और मोदी आज भी गुजरात की गद्दी पर बैठे हैं।
आडवाणी ने भारत के बंटवारे से लेकर कई अनछुए पहलुओं को समेटा है। लेकिन इसे पढ़ने के लिए ज़रा धीरज की ज़रूरत है क्योंकि किताब में 1040 पन्ने हैं।