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आडवाणी के इस्तीफे से उलझी बीजेपी

१० जून २०१३

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी के सभी तीन अहम पदों से इस्तीफा दे दिया है. नरेंद्र मोदी को बीजेपी की प्रचार समिति का प्रमुख बनाने पर दबी छुपी उनकी नाराजगी सामने आ गई है.

तस्वीर: Raveendran/AFP/Getty Images

गोवा में बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक में आडवाणी की गैरमौजूदगी ने तो पहले ही अफवाहों का बाजार गर्म कर दिया था लेकिन आडवाणी इस्तीफे का कदम उठा लेंगे इसकी भनक नहीं थी. नरेंद्र मोदी को प्रचार समिति का प्रमुख बनाने का एलान करने के बाद पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को मुमकिन है कि पहला पत्र आडवाणी के इस्तीफे का ही मिला हो. तबियत खराब होने का बहाना कर गोवा नहीं गए आडवाणी ने नरेंद्र मोदी का कद बढ़ाए जाने के एलान के एक दिन बाद ही राजनाथ सिंह को अपना इस्तीफा भेज दिया. एक पन्ने के इस्तीफे में उन्होंने संसदीय बोर्ड, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और चुनाव समिति इन सभी तीन पदों से इस्तीफा दिया है.

एनडीए से इस्तीफा नहीं

लालकृष्ण आडवाणी ने एनडीए के प्रमुख पद से इस्तीफा नहीं दिया है. उधर गठबंधन के प्रमुख घटक दल जनता दल यूनाइटेड का कहना है कि आडवाणी के इस्तीफे से गठबंधन का नुकसान होगा. जेडीयू नेता शरद यादव ने कहा है, "आडवाणी जी के इस्तीफे से मुझे बहुत दुख पहुंचा है. आडवाणी और अटल जी की कोशिशों से ही एनडीए का गठन हुआ. वह तो कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं और अटल जी की तबियत ठीक नहीं." एनडीए के संयोजक शरद यादव ने यह भी कहा कि यह गंभीर मुद्दा है और इस मसले पर विचार के लिए जल्दी ही पार्टी की बैठक बुलाई जाएगी. इधर बीजेपी की उठापटक से खुश नजर आ रही कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि बीजेपी में नरेंद्र मोदी की उन्नति उसके "पतन" की शुरुआत है. पार्टी प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने आडवाणी के इस्तीफे को हाल की गतिविधियों का "अप्रत्यक्ष परिणाम" बताया है.

तस्वीर: AP

नाराजगी की वजह

इस्तीफे की पीछे आडवाणी ने पार्टी की गतिविधियों और उसके तौर तरीकों पर गहरी आपत्ति जताई है. आडवाणी बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में हैं लेकिन अब उसी पार्टी के बारे में उन्होंने लिखा है, "कुछ समय से मैं पार्टी के कामकाज या जिस दिशा में यह जा रही है, उसके साथ खुद को ढालने में असमर्थ पा रहा हूं." आडवाणी के मुताबिक बीजेपी अब "वो आदर्शवादी पार्टी" नहीं रही जैसी श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख और अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाई थी. आडवाणी ने कहा है, "पार्टी के ज्यादातर नेता अपना निजी एजेंडा चला रहे हैं."

तस्वीर: picture-alliance/AP

आडवाणी के इस्तीफे की खबर आने के साथ ही एक तरफ बीजेपी में हड़कंप मच गया वहीं विरोधियों के होठों पर मुस्कान खेल गई है.

बीजेपी के प्रमुख नेता दौड़े भागे आडवाणी के घर पहुंच रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि वो उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए मना लेंगे. लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, बीजेपी के उपाध्यक्ष एसएस आहलूवालिया, पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू, महासचिव अनंत कुमार और वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा आडवाणी के घर पहुंचे. अपुष्ट खबरों में यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने आडवाणी का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है.

पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आडवाणी पार्टी के लिए दो प्रचार समिति बनाना चाहते थे. उनका कहना था कि एक समिति लोकसभा और दूसर राज्यों के चुनाव का काम देखे. इसमें लोकसभा की प्रचार समिति की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी और राज्यों के चुनाव प्रचार समिति की कमान नितिन गडकरी को देने की उनकी योजना थी. पार्टी के दूसरे नेताओं ने इसे उचित नहीं माना और कहा कि इससे उलझन पैदा होगी. यही बात आडवाणी को नागवार गुजर गई. हालांकि बहुत लोग ऐसा भी मानते हैं कि आडवाणी मन ही मन इस बार के लोकसभा चुनाव में भी खुद को प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी का उम्मीदवार समझे हुए हैं. राजनाथ सिंह और दूसरे नेताओं ने पार्टी में नरेंद्र मोदी की बढ़ती भूमिका को बीजेपी कैडर की इच्छा का सम्मान बताया था लेकिन सबसे दिग्गज नेता आडवाणी इससे खुश नहीं हैं.

एनआर/एमजी (पीटीआई)

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