आडवाणी के बयान पर हलचल
१८ जून २०१५हसीबा अमीन ने ट्वीट किया है कि आडवाणी के शब्दों से चोट लगी है. परफेक्ट सरकार के मिथक का पर्दा जल्द गिरना चाहिए.
मिलिंद खांडेकर ने लिखा है कि आखिरकार आडवाणी ने बोला है. उन्हें इमरेजेंसी फिर से लागू किए जाने का डर है और वह भी जब उनकी अपनी पार्टी बहुमत से सत्ता में है.
नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से घबड़ाए लोग आडवाणी की टिप्पणी में मोदी सरकार की आलोचना देख रहे हैं तो अभिजीत मजूमदार का कहना है कि कैसी विडंबना है कि मीसा के तहत गिरफ्तार हुए 150 लोगों के लिए पार्टी होगी, संभवतः आडवाणी भी उनमें होंगे.
उधर राकेश दवे भारतीय राजनीति में कोई सितारा नहीं देखते. उनका सवाल है कि फिर कौन बचाएगा लोकतंत्र.
कुछ ऐसे सोशल मीडिया यूजर भी हैं जिन्हें लगता है कि आडवाणी अपनी बातों से मौजूदा प्रधानमंत्री के बारे में मनमोहन सिंह के कहे की पुष्टि कर रहे हैं.
तो दूसरी ओर रजीता भगत जैसे यूजर हैं जिन्हें शक है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उपप्रधानमंत्री रहे आडवाणी भी अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी के समर्थक हो गए हैं.
इसके विपरीत राजीव कपूर का मानना है कि आडवाणी की बातों को गंभीरता से लेना चाहिए. वे कहते हैं कि आडवाणी अपनी पार्टी के लोगों को विश्लेषकों से ज्यादा जानते हैं.
एमजे/आईबी