"आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या है"
१५ सितम्बर २०११
आज अमेरिका पर हुए हमले 09/11 की दसवीं बरसी है, आज इस दसवीं बरसी पर आतंकी हमले के उस दिन को याद कर रोंगटे खड़े हो जाते है, और यह सन्देश भी देता है कि आतंक से हमें मुक्ति नहीं मिली है. इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरुरत है नहीं तो आने वाला कल और भयावह होगा.
आपके वेबपेज पर सभी आर्टिकल पढ़े. एक आर्टिकल " बांध से हो रहा खतरा" को भी पढ़ा. वाकई बढ़ती आबादी में सभी के लिए बिजली की उपलब्धता हेतु बांध बनाना जरुरी है,लेकिन बांध बनाने से विस्थापित हो रहे लोगों के उचित पुर्नवास के साथ साथ पर्यावरण असंतुलित नहीं होना चाहिए, इसका ख्याल रखा जाए.
राघो राम, गांव अंधारी, जिला भोजपुर, बिहार
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आधुनिक भौतिक जीवनशैली ने युवाओं को बेचैन कर दिया है. सब सुविधाएं होते हुए भी वे डिप्रेशन, स्ट्रेस और एक अनचाहे तनाव में रहते हैं. एक साधारण सा उदहारण - आजकल के युवाओं में वेब पर सोशल एसएमएस भेजने का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है और वे बार बार इन्बॉक्स चेक करते रहते हैं. ऐसे में जब उन्हें जवाब नही मिलता तो गुस्सा भी आता है. आजकल के युवा इंटरनेट पर लगातार 6 घंटे बैठे रह सकते हैं लेकिन शायद अपने माता-पिता के साथ वे 1 घंटा भी नही बैठ सकते. ज्यों ज्यों साइंस तरक्की कर रही है, लोग दिन दिन विलासी हो रहे हें, उनका दिल संवेदना शून्य होता जा रहा है.
युवराज जांगिड, फेसबुक पर
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आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या है. आज शायद ही विश्व का कोई ऐंसा कोना होगा जो आतंकवाद से बचा हो. सुरक्षा की दृष्टि से अभेद दीवार माने जाने वाले अमेरिका में आतंकी हमले ने पूरे विश्व को हिला दिया. वाकई यह ज्वलंत समस्या है जिसे विश्व के सभी देशों के बिना भेदभाव, बिना राजनीति तथा एक दूसरे के साथ समन्वय स्थापित करके संयुक्त प्रयास से ही इस पर काबू पाया जा सकता है.
हमें जर्मनी के बारे में उत्सुकता सदैव बनी रहती है. श्रोताओं के प्रश्न तथा आपके द्वारा दिए गए जवाब को मै अपने नोटबुक पर लिख कर याद करती हूं और ये सभी मुझे अपने स्कूल में वाद विवाद क्विज़ में बहुत मदद करते हैं.
सुमन कुमारी, गंव अंधारी, जिला भोजपुर, बिहार
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अब फ्रांस में परमाणु रिएक्टर में विस्फोट हुआ है.आखिर कब तक हम इस खतरे
को दीवारों में कैद रख सकते हैं. खतरे को कितना ही दबा कर क्यों न रखा
जाए, उसने एक दिन अपना रूप दिखाना ही होता है. हैरानी की ही बात है कि जब
हमारा विज्ञान इतना आगे बढ़ चुका है, तब हम ऊर्जा के इस खतरनाक विकल्प को
ही अपनाए जा रहे हैं, जबकि सौर ऊर्जा को थोड़ी सी कोशिश के बाद अपनाया जा
सकता है. एक दिन ऐसा होगा कि बमों से जितने लोग घायल होंगे या मरेंगे,
उससे अधिक लोग इन परमाणु रिएक्टरों के विस्फोटों से पनपे रोगों के कारण
मरने लगेंगे.
सुरेश बरनवाल, सिरसा.
हर दिवस...... हिन्दी दिवस !
लम्हों ने खता की थी , सदियों ने सजा पायी ...
एक राजनैतिक फैसला हुआ था ...
राष्ट्र भाषा हिन्दी को तब तक राष्ट्र भाषा का सच्चा दर्जा नही मिल पायेगा जब तक एक राज्य भी इसके लिये अपनी तैयारी में कमी बतायेगा ...कोई न कोई राजनेता कुछ न कुछ कमी बताते ही रहेंगे ...लगता है कि अब जनता को ही आंदोलन के माध्यम से ही इस दिशा में भी कुछ करना ही होगा !!
आइये मनायें हर दिवस...... हिन्दी दिवस ! हर माह हिन्दी माह !
विवेक रंजन श्रीवास्तव
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संकलनः विनोद चढ्डा
संपादनः एन रंजन