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आतंकवाद का हर तरह से मुकाबला करेंगे भारत और जर्मनी

३१ मई २०११

भारत दौरे पर गईं जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने नई दिल्ली में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की. बातचीत में आंतकवाद एक बड़ा मुद्दा रहा. सुरक्षा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा आयोग, व्यापार पर भी हुई बातचीत.

तस्वीर: AP

मनमोहन सिंह ने मैर्केल से बातचीत के बाद कहा कि दोनों देश आतंकवाद का "हर तरह से मुकाबला करेंगे." सिंह और मैर्केल की अगुवाई में दोनों देशों के बीच औपचारिक बातचीत की शुरुआत मंगलवार को नई दिल्ली में हुई. दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने सुरक्षा, व्यापार और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता पर अपने पक्ष सामने रखे.

अफगानिस्तान:

वार्ता के बाद एक साझा बयान में प्रधानमंत्री सिंह ने कहा, "हमने पाकिस्तान और अफगानिस्तान की स्थिति पर विचार किया. आतंकवाद एक गंभीर खतरा है जिससे हर तरह से लड़ना होगा, केवल एक तरीके से काम नहीं होगा."

तस्वीर: dapd

चांसलर मैर्केल का कहना है कि इस साल के अंत तक जर्मनी में अफगानिस्तान को लेकर दूसरी बैठक का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने कहा, "भारत और जर्मनी, दोनों अफगानिस्तान में एक ही चीज चाहते हैं कि वह आजाद देश हो और अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी ले. अफगानिस्तान को अपनी स्वायत्त सुरक्षा प्रणाली बनानी होगी."

इंडो जर्मन सहयोग

बातचीत के बाद दोनों देशों ने शिक्षा, शोध और परमाणु भौतिकी में साझेदारी बढ़ाने के लिए चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए. दोनों देश मिलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ढांचे को भी बदलना चाहते हैं. दोनों देश जी4 देशों के सदस्य हैं और वे सुरक्षा परिषद में स्थायी पद हासिल करने के लिए मिलकर काम करेंगे.

द्विपक्षीय व्यापार और ऊर्जा:

मैर्केल ने कहा कि दोनों देश 2012 तक व्यापार को 20 अरब यूरो तक बढ़ाना चाहते हैं. इस वक्त दोनों देश में 15 अरब यूरो का व्यापार हो रहा है और यह 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. परमाणु ऊर्जा भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत का मुद्दा रहा. सिंह ने कहा कि भारत में कोशिश की जा रही है कि परमाणु रिएक्टर पूरी तरह सुरक्षित रहें. भारत 2020 तक परमाणु ऊर्जा की क्षमता को 20,000 मेगावाट तक बढ़ाना चाहता है. उधर चांसलर मैर्केल का कहना था कि परमाणु और अक्षय ऊर्जा को मिलाकर भारत को ऊर्जा रणनीति बनानी होगी.

हालांकि जर्मनी ने 2022 तक सारे परमाणु रिएक्टरों को बंद करने का फैसला किया है. जर्मनी अब सौर, पवन और नए स्त्रोतों की तरफ बढ़ने जा रहा है. उम्मीद है कि भारत और जर्मनी के बीच स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भी बड़े करार होंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः ओ सिंह

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