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"आतंकवाद के आगे नहीं झुकेंगे"

इंटरव्यू: आर्ंड रीकमन/आईबी१६ फ़रवरी २०१५

आतंकी हमलों के डर के चलते जर्मन शहर ब्राउनश्वाइग में कार्निवाल की परेड पर रोक लगानी पड़ी है. जर्मनी की सीडीयू पार्टी के वोल्फगांग बोसबाख ने इस बारे में डॉयचे वेले से बात की.

Charlie Hebdo im Karneval
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Gambarini

डॉयचे वेले: कार्निवाल से ठीक एक दिन पहले रविवार को ब्राउनश्वाइग की लोकप्रिय परेड को रोक दिया गया. पुलिस की इस कार्रवाई के बारे में आपका क्या कहना है?

वोल्फगांग बोसबाख: मेरे पास विस्तार से जानकारी नहीं है लेकिन मेरा मानना है कि पुलिस को यूं ही कोई झूठी फोनकॉल नहीं आई होगी, बल्कि वाकई कोई खतरा रहा होगा जिसे संजीदगी से लिया गया. नहीं तो कार्निवाल की परेड को रद्द नहीं किया गया होता. आखिरकार, अधिकारियों के लिए भी यह एक बहुत बड़ा फैसला है. परेड में करीब पांच हजार लोग हिस्सा लेने वाले थे और अनुमान के अनुसार तीन लाख लोग परेड देखने पहुंचते. ब्राउनश्वाइग में बड़ी बड़ी पार्टियों का आयोजन होना था. इतने बड़े आयोजन को रद्द करने के लिए आपके पास एक ठोस वजह होनी चाहिए. नहीं तो सुरक्षा बढ़ा दी गयी होती.

क्या कोपनहेगन के हमले के बाद पुलिस को हाई अलर्ट दिया गया है?

ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि किसी बड़े आयोजन को धमकियां मिली हों और ना ही यह इस तरह का आखिरी मामला होगा. सुरक्षा एजेंसियों के पास यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है कि इस बात का पता लगाएं कि किस धमकी को कितनी संजीदगी से लेना है. और जाहिर सी बात है कि पेरिस, बेल्जियम और अब कोपनहेगन के हमलों के बाद हमारी पुलिस अलर्ट पर है.

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल संग वोल्फगांग बोसबाखतस्वीर: imago/McPHOTO/Luhr

एक तरफ तो हम आतंक के आगे झुकना नहीं चाहते. हम नहीं चाहते कि आतंकवादी तय करें कि हम अपना जीवन कैसे व्यतीत करेंगे. हम शांति और आजादी के साथ जीना चाहते हैं. लेकिन दूसरी ओर, इस परिस्थिति में हमारे लिए सबसे अहम है खतरे का सामना करना और लोगों की रक्षा करना.

रैली को रद्द करने से ठीक पहले गृह मंत्रालय ने बयान दिया था कि जर्मनी में हमले की योजना के कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं. तो क्या इसका मतलब यह है कि जब सुरक्षा की बात आती है, तब पुलिस और गृह मंत्रालय को एक दूसरे के काम की ही जानकारी नहीं होती?

मैं यह नहीं कह सकता कि सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार को कब आगाह किया होगा. हमले की जब बात होती है, तो शुरुआत किसी शक के आधार पर होती है. फिर पता लगाया जाता है कि कब, कहां और कैसे हमला हो सकता है. जैसे जैसे जानकारी मिलती रहती है, शक यकीन में बदलने लगता है. मेरे ख्याल से ब्राउनश्वाइग में भी यही हुआ. उन्हें जरूर ऐसी पुख्ता जानकारी मिली होगी कि परेड रद्द करनी पड़ी. और यह किसी एक बंद कमरे के आयोजन जैसा नहीं है जिस पर आप काबू पा सकते हैं, पूरे बाजार में आयोजन होते हैं.

रोज मंडे के दिन राइन नदी के पास बसे कई शहरों में कार्निवाल की परेड होती हैं. उन पर इसका क्या असर पड़ेगा?

सिर्फ कोलोन में ही दस लाख लोगों के जमा होने की उम्मीद है. हमारे लिए इसका मतलब है हाई अलर्ट. सुरक्षा के सभी इंतजामों की एक बार फिर से जांच जरूरी है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं कोई चूक तो नहीं हो रही है. लेकिन हमें हिंसा और आतंकवाद के आगे नहीं झुकना है. क्योंकि अगर हमने ऐसा किया तो आतंकी जीत जाएंगे. उनका मकसद ही है कि हम अपने जीने के तौर तरीकों को बदल लें. इसलिए हमें सचेत रहने की जरूरत है, डर या घबराहट की नहीं.

वोल्फगांग बोसबाख जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी के सदस्य हैं और संसद की अंतरिम मामलों की कमिटी के अध्यक्ष हैं.

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