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आतंक से जलतीं घाटियों में साइकलिंग

२१ सितम्बर २०११

बीते हफ्ते पाकिस्तान में दुनियाभर के बाइकर्स का मेला लगा. 13,800 फुट की ऊंचाई पर साइकिल चलाने का रोमांचक अनुभव इन बाइकर्स को दुनिया में कहीं और मिल भी नहीं सकता. इसीलिए बम धमाकों की परवाह किए बगैर ये बाइकर वहां पहुंच गए.

तस्वीर: AP

हिमालय इंटरनेशनल माउंटेन बाइक रेस में हिस्सा लेने के लिए दर्जनों देशों के नेशनल चैंपियन पाकिस्तान आए. ब्रिटेन से लेकर हॉलैंड और स्लोवाकिया तक की टीमें यहां की कगान घाटी में बाइकिंग का अनुभव लेने पहुंचीं.

10 साल पहले कगान घाटी सैलानियों की पसंदीदा जगह हुआ करती थी. लेकिन आतंकवाद ने इसे डरावनी जगह बना दिया है. इस जगह से 100 किलोमीटर दूर ही वे जगह हैं जहां रोज के हिसाब से बम धमाके होते हैं. इसलिए 9/11 के बाद इन बर्फ से ढकी खूबसूरत घाटियों को आतंकवाद के काले धुएं ने ढक लिया. श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर 2009 में हुए धमाके के बाद तो खेल के लिए पाकिस्तान जाने का नाम तक कोई नहीं लेता.

तस्वीर: DW/Hörig

खतरों के खिलाड़ी

लेकिन साइकिल दौड़ जैसा रोमांचक खेल खेलने वाले 30 बाइकर इन सभी खतरों को नजरअंदाज करके यहां पहुंच गए. उनका मुकाबला पाकिस्तान की तीन टीमों से हुआ. यह रेस तीन दिन चली जिसकी शुरुआत 2900 मीटर की ऊंचाई से नारान घाटी में हुई. बाबुसार दर्रे से होते हुए ये साइकलिस्ट 4200 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचे जहां से इन्हें तीखे ढलान से उतरना था.

स्लोवाकिया की राष्ट्रीय टीम के सदस्य 24 साल के मार्टिन हैरिंग कहते हैं, "यहां का दृश्य इतना मनोरम है कि माउंटेन बाइकिंग के लिए यह सबसे सटीक जगह लगती है." हैरिंग ने यहां अपनी जिंदगी में सबसे ऊंची जगह पर साइकिल चलाई है.

जर्मनी की श्टेफी-हाड्राशेक-योखेम को हिमालय की ऊंचाई ही वहां खींच ले गई. वह बताती हैं, "मैं ऊंचाई की वजह से ही उत्साहित था. इन हालात में साइकिल चलाना तो बहुत मजेदार है."

रेस का दूसरा दौर 53 किलोमीटर लंबा था. सफेद बर्फीली चोटियों से घिरी सैफ उल मालुक झील के इर्द गिर्द करीब 3200 मीटर की ऊंचाई पर साइकिलिस्टों ने एक दूसरे से रेस लगाई.

तस्वीर: DW/Hörig

महिलाएं भी

और रविवार को आखिरी दौर में चीड़ के पेड़ों के बीच साइकिलिस्टों को तीखी ढलान पर रेस लगानी थी. ब्रिटेन की रहने वालीं मेल एलेग्जेंडर ने महिलाओं की रेस में बाजी मारी. वह बताती हैं, "मैं इतने बड़े पहाड़ों पर इतने मुश्किल ट्रैक पर पहले कभी नहीं गई."

कगान मेमोरियल ट्रस्ट ने यह रेस का आसपास के स्कूलों के लिए फंड जुटाने के वास्ते कराई थी. चैंपियनशिप जीती स्लोवाकिया के मार्टिन हैरिंग ने. हैरिंग ने हर दौर जीता और छह घंटे 42 मिनट 24 सेकेंड्स के कुल वक्त में 130 किलोमीटर की पूरी रेस खत्म की. दूसरे नंबर पर रहे न्यूजीलैंड के नाथन डालबेर्ग जिन्होंने साढ़े सात घंटे का वक्त लिया. टीम ट्रॉफी ग्रेट ब्रिटेन की टीम को मिली.

कभी विदेशी सैलानियों से गुलजार रहने वाली कगान घाटी के लोगों के लिए यह साइकिल रेस राहत की सांस जैसा था. 11 देशों के 30 बाइकर अपने अपने देशों की पोशाकों में यहां रंग बिखेर गए. लाहौर से कगान में घूमने आए सज्जाद शाह कहते हैं, "उनके रंग बिरंगे कपड़ों ने इन पहाड़ों और झीलों की खूबसूरती को बढ़ा दिया. अधिकारियों को ऐसे और ज्यादा इवेंट कराने चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा विदेशी यहां आएं."

तस्वीर: AP

चेतावनी के बावजूद

कई देशों की सरकारों ने अपने नागरिकों को पाकिस्तान जाने से आगाह किया हुआ है. लेकिन इन साइकलिस्टों ने पाकिस्तान के लिए निकलने से पहले दोबारा नहीं सोचा. लेकिन उन्हें वीजा लेने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

ब्रिटेन की सोलो चैंपियन रिकी कोटर कहती हैं कि दूतावास ने उन्हें खैबर पख्तूनवाला की प्रांतीय सरकार से निमंत्रण पत्र लाने को कहा जबकि उनके पास रेस का निमंत्रण था. ये खिलाड़ी इस उम्मीद के साथ लौटे हैं कि अगले साल कम पाबंदियां होंगी. ऑस्ट्रिया की लीजा प्लेयर कहती हैं, "पाकिस्तान में आतंकवाद है. लेकिन ऐसा कुछ ही जगहों पर है. बाकी जगह तो वैसे ही सुरक्षित हैं जैसी बाकी दुनिया है."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः आभा एम

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