अफ्रीकी देश नाइजीरिया में आतंकी समूह बोको हराम अब आत्मघाती हमलों के लिये महिलाओं और लड़कियों की भर्ती कर रहा है. हालांकि सरकार और गैर सरकारी संस्थायें इन्हें बचाकर अपने परिवार से मिलाने की पूरी कोशिशें कर रही हैं.
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बोको हराम ने भीड़भाड़ वाले इलाकों खासकर बस स्टेशन, मस्जिद, स्कूल और बाजारों में आत्मघाती हमलों को अंजाम देने के लिये महिलाओं और लड़कियों का बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया है. इनमें से कुछ लड़कियों की उम्र तो दस साल से भी कम है. बोको हराम एक आतंकी समूह है, जिसने साल 2009 से नाइजीरिया को एक कट्टर इस्लामिक राज्य बनाने की मुहिम झेड़ रखी है. आतंकी समूह, साल 2014 से आत्मघाती हमलावरों का इस्तेमाल कर रहा है. एक गैर सरकारी संस्था के मुताबिक साल 2014 के बाद से बोको हराम अब तक करीब 123 महिला आत्मघाती हमलावरों का इस्तेमाल कर चुका है. इनमें से अधिकतर महिलाओं को इन हमलों को अंजाम देने के लिये मजबूर किया गया था.
यह महिलाओं और लड़कियों की समाज में खराब स्थिति को भी दर्शाता है जिसका लाभ ऐसे आतंकी समूह उठा रहे हैं. महिलाओं के लिये चलाये जा रहे एनजीओ वूमन सिचुअेशन रूम नाइजीरिया के संयोजक जरीयतु अबुबकर महिलाओं के आतंकी समूहों में शामिल होने का कारण गरीबी और समाज में इनकी अनदेखी को मानती हैं.
ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक बोको हराम ने साल 2009 से लेकर अब तक करीब 2,000 लड़कियों का अपहरण किया है और इनमें से कई के साथ बलात्कार किया और इन्हें जबरन काम करने के लिये मजबूर किया. साल 2014 में बोको हराम ने 200 स्कूली लड़कियों का अपहरण कर लिया था, जो वाकया सोशल मीडिया साइट्स पर खूब उछला था.
ऐसी है आईएस की 'राजधानी' रक्का
सीरिया का रक्का शहर आतंकवादी गुट इस्लामिक स्टेट की अघोषित राजधानी है. अब अमेरिका के समर्थन से कुर्द अरब सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्स ने इस शहर को फिर से हासिल करने के लिए अभियान का एलान किया है.
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जब रक्का आबाद था
सीरिया में 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने से पहले रक्का में दो लाख 40 हजार लोग रहते थे. लेकिन इनमें से 80 हजार लोग अब दूसरी जगहों पर जा चुके हैं.
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हाथ से निकला रक्का
तुर्की की सीमा के नजदीक यूफ्रेटस नदी पर बसा रक्का मार्च 2013 में ऐसी पहली प्रांतीय राजधानी थी जिस पर विद्रोहियों का कब्जा हुआ. उस वक्त अल कायदा से जुड़े अल नुसरा फ्रंट ने इस पर कब्जा किया.
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रक्का के लिए फूट
जनवरी 2014 में विद्रोहियों में आपस में लड़ाई छिड़ गई. इसमें एक तरफ अल नुसरा लड़ाके थे तो दूसरी तरफ वे जिन्होंने बाद में इस्लामिक स्टेट बनाया. लेकिन कामयाबी इस्लामिक स्टेट की बुनियाद रखने वालों को मिली.
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खिलाफत
पांच महीने बाद इराकी शहर मोसुल भी आईएस के कब्जे में आ गया और फिर आईएस के प्रमुख अबु बक्र अल बगदादी ने अपनी खिलाफत का एलान किया.
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दहशत से राज
इस्लामिक स्टेट ने रक्का में स्कूलों में ड्रेस कोड लागू किया और चर्चों को हमलों का निशाना बनाया. कई लोगों को अगवा किया और कइयों के सिर कलम किए.
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नर्क का चौक
शहर के जिस इलाके को कभी हेवन स्क्वेयर यानी स्वर्ग चौक कहा जाता था, उसका इस्तेमाल अब घिनौनी सजाएं देने के लिए किया जाता है जिससे लोग इसे नर्क का चौक कहने लगे.
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यौन गुलामों का कारोबार
रक्का के मुख्य इलाके में यौन गुलामों का कारोबार होता है, खास कर अगवा की गई यजीदी लड़कियों को यहां बेचा जाता है.
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शराब सिगरेट बैन
जिहादियों ने रक्का में कड़े इस्लामी कानूनों को लागू करते हुए शराब और सिगरेट पर बैन लगा रखा है. पुरुषों को दाढ़ी न काटने की हिदायत है तो महिलाओं को हर हाल में नकाब पहनने को कहा गया है.
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खरीददारी पर भी नियम
दुकानों में खरीददारी करने के लिए सिर्फ शादीशुदा लोग जा सकते हैं और वहां प्लास्टिक के पुतले रखने की सख्त मनाही है.
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नई व्यवस्था, नया निजाम
आईएस ने सभी प्रशासनिक कार्यों पर अपना नियंत्रण कर लिया है. वह स्कूलों का नया पाठ्यक्रम तय कर रहा है, नई इस्लामी अदालतें बना रहा है और शरिया कानून के मुताबिक नीतियां बना रहा है.
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रक्का से ही सब चलता है
सीरिया की राजधानी दमिश्क से 550 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित रक्का में हजारों विदेशी जिहादी भी आईएस में शामिल होने जाते हैं. खुफिया एजेंसियां का कहना है कि इसी शहर में विदेशों में हमलों की योजनाएं तैयार होती हैं.
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विदेशियों से जलन
आईएस के लिए लड़ने वाले विदेशियों को भरपूर सुख सुविधाएं दी जाती हैं. इसे लेकर अक्सर सीरियाई लोग अपनी आपत्ति भी जताते हैं जिन्हें विदेशी लड़ाकों के मुकाबले कमतर समझा जाता है.
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अबुबकर ने बताया कि अब समाज में लैंगिक समानता लाने के लिये काम किया जा रहा है, ताकि महिलाओं की स्थिति में सुधार किया जा सके. उन्होंने बताया कि अब लड़कियों को स्कूल जाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि वे स्वयं सक्षम बन सके. नाइजीरिया की सरकार भी आतंकी समूह की पूर्व महिला सदस्यों को मुख्य धारा में लाने के लिेये कार्यक्रम चला रही है. ये कार्यक्रम ऐसी महिलाओं को अपने परिवारों के साथ जुड़ने का भी मौका देंगे.
टेनियो इंटेलिजेंस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष मांजी चेतो ने कहा कि यह बता पाना मुश्किल है कि बोको हराम ने अब तक कितनी महिलाओं और लड़कियों को आत्मघाती हमलों के लिये अपने गुट में शामिल किया है. उन्होंने बताया "कुछ बोको हराम के सदस्यों की विधवायें हैं और कुछ ऐसी भी हैं जिनके परिवार के सदस्य इससे जुड़े हुये हैं. कई लड़कियों की उम्र तो 13 साल से भी कम है और कुछ को जबरन इस काम में धकेला गया है."