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आत्मदाह के बाद हजारों तिब्बतियों का विरोध प्रदर्शन

५ नवम्बर २०१२

एक युवा तिब्बती के आत्मदाह करने के बाद हजारों तिब्बतियों ने चीनी शासन के खिलाफ प्रदर्शन किया है. पश्चिमी चीन के तिब्बती मठों वाले शहर में रविवार को इस विरोध प्रदर्शन ने खूब जोर पकड़ा.

तस्वीर: picture alliance/Robert Harding World Imagery

भारत में रह रही तिब्बतियों की निर्वासित सरकार और लंदन की फ्री तिब्बत संस्था ने बताया कि क्विंगाई प्रांत के लोंगवु और रोंगवु शहर में तिब्बती लोग प्रदर्शन करने सड़कों पर निकले. रविवार को तिब्बती कलाकार दोरजी ल्हुंडुप ने खुद को आग लगा ली. इंटरनेट पर जारी तस्वीरों से पता चलता है कि हजारों लोगों की भीड़ उसे जलते हुए देखती रही. लोगों की भीड़ में सबसे आगे तिब्बती संन्यासियों के दल भी थे.

जल कर मर जाने के बाद तिब्बती संन्यासी दोरजी के शरीर को मठ में ले गए. इसके बाद हजारों तिब्बती पहाड़ी पर उसके अंतिम संस्कार के लिए जमा हुए. अज्ञात सूत्रों के हवाले से अमेरिका से चलने वाले रेडियो फ्री एशिया ने कहा है कि अंतिम संस्कार आनन फानन में कर दिया गया जिससे कि चीनी अधिकारी इसमें दखल न दे सकें. इस रेडियो ने यह भी जानकारी दी है कि अंतिम संस्कार के दौरान तिब्बती लोगों ने तिब्बत की जंग के पक्ष में नारा बुलंद किया. दोरजी के परिवार वालों ने कहा कि उसने तिब्बत के हितों की रक्षा के लिए खुद को आग लगा ली. इन लोगों ने निर्वासन में जी रहे तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की वापसी की मांग की.

फ्री तिब्बत ने स्थानीय तिब्बती लोगों के हवाले से लिखा है कि आत्मदाह की घटना के बाद लोग काफी डरे हुए हैं. सुरक्षा अधिकारियों ने शहर में गश्त शुरू कर दी है और लोगों को अपनी गतिविधियां कम करने के निर्देश दे रहे हैं. रेडियो ने यह भी जानकारी दी है कि इलाके में हुई इस घटना के बारे में जानकारी फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट और मोबाइल की सेवा भी ठप्प कर दी गई है.

पिछले दो सालों में तिब्बत पर चीनी शासन के खिलाफ 60 से ज्यादा तिब्बती लोगों ने आत्मदाह किया है. यह लोग अपने लिए अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. चीन की सरकार इस मांग को अलगाववादी कह कर इसका विरोध करती है. आए दिन प्रदर्शनों की आंच से तिब्बत जलता रहता है. तिब्बत के लोग अलग अलग तरीके से अपनी बात दुनिया के मंचों पर उठाते रहते हैं. तिब्बतियों के धर्मगुरू दलाईलामा भारत में रहते हैं. पहले वह तिब्बत की निर्वासित सरकार के मुखिया भी थे लेकिन अब उन्होंने खुद को केवल धार्मिक गतिविधियों तक समेट लिया है. निर्वासित सरकार की कमान किसी और के हाथ में है जिसे दलाई लामा का सहयोग हासिल है.

तिब्बत के लोग चीन की सरकार पर उनके धर्म को दबाने और उनकी संस्कृति को खत्म करने का आरोप लगाते हैं. चीन की बहुसंख्यक आबादी हान समुदाय की है जो बड़ी तेजी से ऐतिहासिक तिब्बती इलाकों में आ कर बसती जा रही है. उधर चीन का कहना है कि तिब्तती लोगों को धार्मिक आजादी के साथ ही सरकार के निवेश की वजह से बेहतर जिंदगी भी मिलती है.

एनआर/एएम (डीपीए)

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