न्यूजीलैंड के साउथ आईलैंड पर वैज्ञानिकों को एक विशालकाय पेंग्विन का जीवाश्म मिला है. इसका आकार एक वयस्क इंसान के बराबर है. बुधवार को वैज्ञानिकों ने इस बारे में जानकारी दी.
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विशालकाय समुद्री जीव की ऊंचाई करीब 1.6 मीटर है और वजन 80 किलोग्राम. रिसर्चरों के मुताबिक वर्तमान में दिखने वाले पेंग्विनों के मुकाबले यह करीब चार गुना बड़ा है. इसे "क्रॉसवालिया वाइपेरेंसिस" नाम दिया गया है और न्यूजीलैंड के तटवर्ती इलाके पैलियोसिन में इसका शिकार 6.6-5.6 करोड़ साल पहले किया गया था.
एक एमेच्योर जीवाश्म खोजी ने पिछले साल इस पक्षी के पांव की चार हड्डियां खोजने में सफलता पाई थी. बाद में इसकी पुष्टि एक नई प्रजाति के रूप में की गई. इस हफ्ते इस बारे में एक रिपोर्ट छपी है. रिपोर्ट का शीर्षक है "अलशेरिंगा: ऑस्ट्रालशियन जर्नल ऑफ पैलिएंटोलॉजी"
कैंटबरी म्यूजियम की रिसर्चर वेनेसा डे पीएत्री का कहना है कि पैलियोसिन इलाके में दूसरी बार विशाल पेंग्विन का जीवाश्म मिला है. उनका कहना है, "इस खोज ने हमारे उस सिद्धांत को और मजबूत किया है कि पेंग्विनों ने अपनी उत्पत्ति के शुरुआती काल में बहुत बड़ा आकार हासिल किया था."
फिर जानवर और इंसान में क्या फर्क है?
सर्कस में साइकिल चलाने वाले भालू और इंसानों की तरह बोलने वाले तोते खूब दिखते हैं और लोग कहते भी हैं कि जानवर इंसान जैसा बर्ताव कर रहा है. ऐसे कई जीव हैं जिनकी जिंदगी हमारी सोच से कहीं ज्यादा इंसानों के करीब है.
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औजारों का इस्तेमाल
चिम्पांजियों में औजारों का इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति बहुत पुरानी है. लाइपजिग शहर के मार्क्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर इवॉल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी के रिसर्चरों को इस बात के सबूत मिले हैं कि पश्चिम अफ्रीका में चिम्पांजी 4300 साल पहले पत्थर के बने औजारों का इस्तेमाल मेवा तोड़ने के लिए करते थे.
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नाम से पुकारना
ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने यह दिखाया है कि बॉटलनोज डॉल्फिन अपने साथी को बुलाने के लिए अलग तरह से सीटी बजाया करती है. दूसरे शब्दों में कहें तो जैसे इंसान किसी को बुलाने के लिए नाम पुकारते हैं वैसा ही कुछ डॉल्फिन भी करती हैं. डॉल्फिन अपने शुरुआती जीवन में ही कई तरह की सीटियां ईजाद कर लेती हैं.
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मछली का शिकार
प्यासे कौवे की कहानी तो हम सबने पढ़ी या सुनी है, लेकिन यह सिर्फ यहीं तक नहीं है. माना जाता है कि न्यू कैलेडोनियन कौवा (तस्वीर केवल प्रतिरूप के तौर पर) औजारों की खोज करता है. 2002 में साइंस पत्रिका ने रिपोर्ट छापी थी कि कैसे एक कौवे ने सीधी तारों को मोड़ कर हुक बनाया और उसके जरिए बर्तन से मछलियां निकाली.
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लंबी याददाश्त
सूअर अपने रिश्तेदारों को देख कर कुछ बर्ताव सीखते हैं. वियना के वैज्ञानिकों ने कुने कुने पिग्स के साथ काम करते हुए इस बात का पता लगाया. ये जानवर करीब छह महीने पहले सीखे किसी बर्ताव या तौर तरीकों को दोहराते भी दिखे, जाहिर है कि इनकी याददाश्त लंबी होती है.
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पशुपालन
केवल इंसान ही अपने फायदे के लिए जानवरों को नहीं पालता. अत्यंत छोटी दिखाई देने वाली चींटी पौधों में पायी जाने वाली जूं को पालती है ताकि उनसे निकलने वाला मीठा मकरंद हासिल कर सके. जूं को अपने आसपास बनाए रखने के लिए वो एक रसायन का इस्तेमाल करती हैं जिनके कारण जूं की गति धीमी हो जाती है और वो चींटियों की पहुंच में बने रहते हैं.
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आत्मबोध
कबूतर कुछ ऐसा करते हैं जो इंसानों में पैदा होने के कुछ सालों के भीतर उत्पन्न होना शुरू होता है. ये दुनिया के उन गिने चुने जानवरों में हैं जो आईना देख कर खुद को पहचानते हैं. इनका यह आत्मबोध इन्हें बुद्धिमान जीवों की सूची में डालने वाला एक प्रमुख कारण है.
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सामाजिक जीवन
कनाडा के पश्चिमी तट के पास खूनी व्हेलों की दो आबादियां सात लाख साल पुरानी संस्कृति को बनाए हुए हैं. कथित "निवासी" और "प्रवासी" व्हेलें कुछ समय के लिए एक ही आवास में रहती हैं. हालांकि ये आपस में दोस्ती नहीं करतीं और इनका भोजन भी अलग है. प्रवासी पारंपरिक रूप से स्तनधारियों को खाते हैं जबकि निवासी मछलियों को. हैरानी इस बात से है कि वे भूखे रहने पर भी वे अपनी आदतें नहीं छोड़तीं.
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वैज्ञानिकों ने पहले यह अंदाजा लगाया था कि विशालकाय पेंग्विन सील और दांतवाली व्हेल जैसे बड़े समुद्री शिकारियों के पैदा होने के कारण मर गए. न्यूजीलैंड अब लुप्त हो चुके कई विशालकाय पक्षियों के लिए जाना जाता है. इनमें मोआ भी है जो 3.6 मीटर तक लंबा था हालांकि यह उड़ नहीं सकता थआ. इसके अलवा हास्ट ईगल भी यहीं पाया जाता था जिसके पंखों का फैलाव 3 मीटर तक होता था.
पिछले हफ्ते ही कैंटबरी म्यूजियम ने एक विलक्षण तोते की खोज के बारे में बताया था जो एक मीटर लंबा था और 1.9 करोड़ साल पहले तक जीवित था.