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आदर्श ग्राम की राजनीति

सुहैल वहीद२१ दिसम्बर २०१४

महात्मा गांधी ने कहा था कि "भारत गांवों में बसता है", भारत की स्वतंत्रता के सात दशक पूरे होने को आए पर भारत के गांवों की तस्वीर कुछ ज्यादा बदली नहीं. बल्कि गांव की सियासत ने नए प्रतिमान जरूर गढ़ दिए.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

इसी का नतीजा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "सांसद आदर्श ग्राम योजना" के तहत वाराणसी के जिस जयापुर गांव को गोद लिया उसकी 100 फीसदी आबादी हिंदू है. शायद इसी के जवाब में यूपी के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सांसद पत्नी डिंपल यादव ने अपने संसदीय क्षेत्र इत्र नगरी कन्नौज के सैयदपुर सकरी गांव को गोद लिया जहां 85 फीसदी मुस्लिम बसते हैं.

गृह मंत्री ने लखनऊ के जिस गांव बेंती को गोद लिया है उसकी करीब ढाई हजार की आबादी पिछड़ों और दलितों की है. बेंती के लोग राजनाथ सिंह के इस फैसले से बेहद खुश हैं. यूपी के सीएम रहते हुए भी राजनाथ इस गांव पर मेहरबान रह चुके हैं. बॉलीवुड स्टार हेमा मालिनी ने अपने संसदीय क्षेत्र मथुरा के रावल गांव को गोद लिया है. भगवान कृष्ण की राधा के ननिहाल के रूप में विख्यात इस गांव के लिए हेमा कहती हैं कि "उन्हें सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण इस गांव का विकास करने का अवसर प्राप्त हुआ है."

तस्वीर: DW/K. Keppner

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने जिस गांव को गोद लिया है उसका नाम ही "माल" है. इसमें 50 फीसदी दलित आबादी है. गोद लेने की सबसे दिलचस्प कहानी सपा मुखिया मुलायम सिंह की है. उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ के तमोली गांव को गोद लिया है जिसमें 80 प्रतिशत आबादी यादवों की है और मोदी के गांव की तरह ही यहां भी कोई मुस्लिम परिवार नहीं रहता है.

चुनाव में सियासत

लखनऊ विश्वविद्यालय में समाज शास्त्र के प्रोफेसर राजेश मिश्र कहते हैं कि जात नहीं तो धर्म, भारतीय मानस के मार्ग दर्शक सिद्धांत इन्हीं दो चीजों से तैयार हुए हैं. जाति और धर्म हमारे जीवन का स्वाभाविक हिस्सा हैं इसीलिए तो अन्य सामाजिक कार्यों की तरह राजनीति भी इन्हीं कि इर्द गिर्द घूमती है. शायद यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र और उमा भारती समेत यूपी के अधिकांश बीजेपी सांसदों ने हिन्दू बहुल गांवों को ही गोद लिया है.

लेकिन इस सियासत से थोड़ा अलग कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रायबरेली में उड़वा को चुना है और उनके बेटे राहुल गांधी ने अमेठी के जगदीशपुर को गोद लिया है. दोनों गावों के पुरखे1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों की गोलियों का निशाना बने. ये गांव इस इलाके में शहीदों के गांव के रूप में भी जाने जाते हैं.

आदर्श ग्राम योजना

तस्वीर: DW/K. Keppner

दरअसल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वाधीनता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने पहले भाषण में कहा कि वे महात्मा गांधी के विचारों का आदर करते हैं और उनका सपना है कि हर सांसद अपने अपने क्षेत्र में 2016 तक एक गांव और 2019 तक दो गांव और विकसित करे. यानी हर सांसद तीन आदर्श ग्राम विकसित करे. लोकनायक जय प्रकाश के जन्मदिन पर शुरु हुई इस योजना में गांवों को विकसित करने का कार्य सांसद निधि से ही होगा, इस योजना के लिए कोई अतिरिक्त धनराशि नहीं दी जाएगी.

यूपी में सीएम के गांव का सपना देखना सपना सरीखा ही है. जो सीएम हो जाता है उसके गांव में 24 घंटे बिजली रहती है. पक्की सड़कें बन जाती हैं, बसें चलने लगती हैं. गांव पक्की ईंट और कंक्रीट से लद जाता है, विकास की धारा बहने लगती है. मुलायम सिंह के गांव सैफई, मायावती के गांव बादलपुर और कल्याण सिंह का गांव अतरौली इसका जीते जागते उदाहरण हैं. यूपीए की प्रमुख सोनिया गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली को 24 घंटे बिजली के साथ केंद्रीय महिला यूनिवर्सिटी, रेल कोच कारखाना ही नहीं एम्स से भी नवाजा. अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ में विकास की गंगा बहाई. इसीलिए लोग चाहते हैं कि उनके क्षेत्र से कोई वीआईपी लड़े. मोदी अहमदाबाद से आकर वाराणसी से इसीलिए भी जीते. चंद्रशेखर ने बलिया और वीपी सिंह ने इलाहाबाद को विकसित किया.

लगभग 20 करोड की आबादी वाले यूपी की करीब 78 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. देश की 70 फीसदी चीनी यूपी के गांवों में पैदा होने वाले गन्ने बनती है. करीब 35 हजार गांवों में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना से बिजली पहुंचाई गई है. वर्तमान सपा सरकार 670 करोड़ से लोहिया ग्राम विकास योजना चला रही है. इसके अलावा इंदिरा आवास योजना के लिए 480 करोड़ और ग्रामीण पेयजल योजना के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट पास किया है. एक उच्च अधिकारी ने अपनी पहचान छुपाते हुए बताया कि केंद्र और राज्य मिलाकर एक आबाद गांव के विकास के लिए पंचायत समेत हर वर्ष औसतन सात आठ करोड़ रुपये आता है. लेकिन गांव अभी भी पिछड़े हैं. उनके अनुसार आदर्श ग्राम योजना की अभी तो कोई गाइड लाइन भी नहीं बनी है. सब कुछ भविष्य के गर्त में छिपा है.

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