किसानों को अच्छे दाम दिलाने वाली कॉफी की खेती के लिए युगांडा के युवाओं को आधा एकड़ जमीन भी नसीब नहीं. ईयू का एक प्रोजेक्ट इसे बदलने की कोशिश कर रहा है.
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युगांडा के कई ग्रामीण युवाओं और महिलाओं की तरह, क्रिस्टीन कयाकुंडा को भी और जमीन की जरूरत है. अभी उनके पति और उनके पास 1.5 एकड़ की जमीन है जिसमे से कुछ विरासत में मिली है, कुछ खरीदी हुई है और कुछ उधार ली हुई है. मगर ये काफी नहीं है.
23 साल की क्रिस्टीन कयाकुंडा कहती हैं, "मेरे बच्चे अब आलू, कसावा और बीन खाते हैं, जो कि देश के सबसे गरीब लोग खाते हैं." ये सब कयाकुंडा अपने खेत के एक तिहाई हिस्से में उगाती हैं. वे अपने परिवार के साथ देश के दक्षिण पश्चिम में बसे एक छोटे से गांव क्यामपुंगु में रहती हैं.
बाकी का खेत कॉफी पैदा करने के लिये है. कॉफी उगाना पछले कुछ सालों में बहुत फायदेमंद हो गया है, इसलिए ज्यादा जमीन का सीधा मतलब है ज्यादा कमाई. अपने जीवन पर इस अतिरिक्त कमाई का असर बताते हुए कयाकुंडा कहती हैं, "मेरे छह और दो साल के बच्चे ब्रेड, दूध के साथ चीनी और अंडे भी खा सकेंगे."
उनके जिले में इसी साल की शुरुआत में एक प्रोजेक्ट शुरु किया गया है, जिससे कयाकुंडा जैसे और भी युवा लोगों को मदद मिलेगी जो जमीन पाने की कोशिश कर रहे हैं. बाकी के लोगों की तरह कयाकुंडा को भी आशा है यूरोपीय संघ की ओर से चलाए जा रहे प्रोजेक्ट की से उनके परिवार को और अधिक जमीन मिल जाएगी और इससे उनके जीवन में सुधार होगा.
ऐसा ही हाल मोटरसाइकिल टैक्सी चलाने वाले मुकासा जोसेफ का है. उन्होंने पांच साल तक कॉफी उगाई लेकिन फिर बहुत कम जमीन होने के कारण कमाई काफी नहीं हो पाई. उनकी आशा है कि अगर उन्हें ज्यादा जमीन मिल जाए तो वे उस पर उगाई कॉफी की कमाई से एक टैक्सी खरीद पाएंगे. इस तरह वे एक मोटरसाइकिल टैक्सी ड्राइवर से टैक्सी ड्राइवर की तरक्की कर जाएंगे.
कितनी तरह की कॉफी के बारे में जानते हैं आप?
कॉफी बनाना कितना आसान है ना. चाय की तरह उबालने छानने का झंझट नहीं, बस दूध और पानी गर्म किया और मिला दी कॉफी चम्मच से. दरसल आपको इंस्टैंट कॉफी की आदत है, असल कॉफी बनाने में तो खूब मशक्कत लगती है.
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फिल्टर कॉफी
दक्षिण भारत की मशहूर फिल्टर कॉफी को तो सब जानते हैं. नेसकैफे जैसी इंस्टैंट कॉफी से अलग इसे चाय की तरह छान कर ही पकाया जाता है. ढेर सारा पानी और थोड़ा सा दूध, चाय की ही तरह. हालांकि पश्चिमी देशों में दूध को कॉफी के साथ पकाया नहीं जाता.
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एस्प्रेसो
इसमें कॉफी और पानी के अलावा और कुछ भी नहीं. लेकिन इसे बनाने के लिए एस्प्रेसो मशीन की जरूरत पड़ती है. छोटे से कप में महज दो घूंट कॉफी होती है जो कि बेहद गाढ़ी होती है. कई अलग अलग तरह की कॉफी बनाने में इसे बेस की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है.
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कैपुचिनो
एस्प्रेसो में गर्म दूध और ऊपर ढेर सारी फोम यानी झाग, बन गई कैपुचिनो. अक्सर इसके ऊपर कोको पाउडर भी छिड़का जाता है. कई बार कैफे अपने अलग अलग अंदाज में इस पर डिजायन भी बनाते हैं.
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लाटे
कैपुचिनो में थोड़ा और दूध मिलाइए, तो बनती है लाटे. इतावली शब्द लाटे का मतलब होता है दूध. इस लिहाज से यह दूध वाली कॉफी है. एक हिस्सा एस्प्रेसो और दो हिस्से दूध मिलाए जाते हैं. इसे एल लंबे ग्लास में सर्व किया जाता है.
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माकियाटो
लाटे और माकियाटो के बीच अंतर कला का है. लाटे में एस्प्रेसो के ऊपर दूध डाल कर उसे चम्मच से मिला दिया जाता है, जबकि माकियाटो में दूध के ग्लास में एस्प्रेसो धीरे धीरे डाली जाती है और उसे परतों में ही रहने दिया जाता है. एस्प्रेसो की मात्रा भी आधी होती है.
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मॉका
यह भी लाटे का ही एक रूप है, बस इसमें चॉकलेट सिरप मिला होता है. कहीं इसे कैफे मॉका तो कहीं मॉकाचीनो भी कहा जाता है.
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अमेरिकानो
यह देखने में तो रेगुलर फिल्टर कॉफी जैसी ही लगती है लेकिन फर्क यह है कि एस्प्रेसो के एक या फिर दो शॉट में गर्म पानी मिला कर इसे बनाया जाता है. इस तरह से इसका स्वाद फिल्टर कॉफी से कुछ अलग होता है.
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आइरिश कॉफी
इस कॉफी में व्हिस्की मिली होती है. पहले प्याली में थोड़ी सी व्हिस्की, उसके ऊपर गर्मागर्म फिल्टर कॉफी और फिर ठंडी फोम. इसे कांच की प्याली में सर्व किया जाता है ताकि काली और सफेद परतें देखी जा सकें.
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फ्रैपे
जिसे हम कोल्ड कॉफी कहते हैं, उसे कई जगह फ्रैपे के नाम से पुकारा जाता है. हर देश में बनाने का अलग तरीका. कहीं ठंडे पानी में, कहीं ठंडे दूध में, तो कहीं दूध और पानी मिला कर. इसमें आइसक्रीम भी मिलाई जा सकती है.
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डीकैफ
यह फिल्टर कॉफी ही है, बस इस कॉफी में से कैफीन निकाल ली गई है. आप हर तरह की कॉफी को डीकैफ रूप में खरीद या बना सकते हैं. उम्मीद है कि अब जब आप अगली बार किसी कॉफी हाउस में जाएंगे, तो लंबी सी लिस्ट देख कर चकराएंगे नहीं.
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एक गैर सरकारी संगठन 'फार्म अफ्रीका' के संचार अधिकारी सैम विनी बताते हैं कि उन्होंने लोगों को भर्ती करके उनकी ट्रेनिंग शुरु कर दी है और इसके साथ ही समुदायों से बात करना भी. फार्म अफ्रीका का लक्ष्य है करीब 3,600 युवाओं को कॉफी की खेती से जोड़ा जाए. उनकी योजना ऐसी है कि जमीन के मालिकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करें कि वे युवा लोगों को अपनी जमीन पर कॉफी उगाने दें. प्रोजेक्ट संचालक अमोदोई विन्सेंट का कहना है, "हम वर्कशॉप की मदद से समुदायों को साथ लाएंगे और उनसे ऐसे करार करेंगे जिससे वे युवाओं को अपनी जमीन पर कॉफी की बीन लगाने दें."
कृषि, पशु उद्योग और मछली पालन मंत्रालय में किसानों के संगठन विशेषज्ञ फ्रेड्रिक मुहंगजी कहते हैं, "खेती में सब कुछ जमीन से जुड़ा है और बहुत से मां बाप अपने बच्चों को कॉफी उगाने के लिये जमीन नही देना चाहते हैं." इसका कारण यह है कि कॉफी उगाने में दो साल से ज्यादा वक्त लगता है और इसलिए यह लंबे समय का निवेश है. यही कारण है कि कई लोग यहां कॉफी उगाने को बुजुर्गों का काम मानते हैं. और इसीलिये जब सरकार की ओर से मुफ्त कॉफी के बीज बांटे जाते हैं, तो युवा लोग इन्हें लेने से हिचकिचाते हैं.
इस प्रोजेक्ट से बेरोजगारी को कम करने में मदद मिलने की भी उम्मीद है. 2014 की जनगणना के हिसाब से युगांडा की 3.76 करोड़ आबादी में से करीब 78 प्रतिशत की उम्र 30 साल से कम है. यूगांडा ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स का कहना है कि बेरोजगारी की परिभाषा के तहत, साल 2015 में 16 से 30 साल की उम्र के करीब 16.4 प्रतिशत लोग बेरोजगार थे.
एक स्थानीय समूह 'किगेजी कॉफी डेवलपमेंट अकादमी' के प्रमुख जोशुआ रुकुंडो का कहना है कि अगर एक बेरोजगार आदमी को कॉफी उगाने के लिए आधा एकड़ जमीन भी मिल जाए, तो इससे वह अपनी जीविका चला सकता है और बेरोजगारी के अभिशाप से आजाद हो सकता है.
एनआर/आरपी (रॉयटर्स)
कैसे पियें इतनी खूबसूरत कॉफी!
कॉफी मग में एक खूबसूरत सा फूल तो कोई प्यारी सी डिजाइन तो अक्सर देखने को मिलती है. लेकिन साउथ कोरिया के इस कलाकार ने तो फान गॉग और एडवर्ड मंच की पेटिंग ही कॉफी पर बना दी है.
तस्वीर: Reuters/Kim Hong-Ji
हूबहू नकल
यह कॉफी वाकई इतनी खूबसूरत है कि इसे पीने से पहले लोग कुछ पल सोचते होंगे. कॉफी पर ये कमाल की कारीगरी कर रहे हैं साउथ कोरिया के ली कंग बिन. ये फूड कलर्स की मदद से शानदार तस्वीरों को कॉफी मग में हूबहू उतार देते हैं.
तस्वीर: Reuters/Kim Hong-Ji
कलाकारी की लंबी लिस्ट
उनकी सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली कॉफी में फान गॉग की 'द स्टारी नाईट' और एडवर्ड मंच की 'द स्क्रीम' शामिल हैं. इस लिस्ट में और भी कई नाम शामिल हैं जैसे विनी द पू, हैप्पी फीट की पेंग्विन, पीकाचू, अलादीन, ब्यूटी एंड द बीस्ट, पायरेट्स ऑफ कैरेबियन और एक्समैन.
तस्वीर: picture alliance
कैसे बनती है
ऐसे आर्ट के लिए कॉफी के ऊपर गाढ़ी क्रीम डाली डाती है, जिसपर फूड कलर्स से पेंटिंग बनायी जाती हैं. आम तौर पर इसे कोल्ड कॉफी पर बनाया जाता है. लेकिन ली किंग कई पेंटिंग्स गर्मागर्म कॉफी पर बनाकर ही सर्व करते हैं.
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15 मिनट का कमाल
ली किंग सोल में एक कॉफी शॉप चलाते हैं, जहां वे लगभग 8 यूरो में एक कॉफी बेचते हैं. उन्हें इस तरह की पेंटिंग वाली कॉफी तैयार करने में लगभग 15 से 20 मिनट लगते हैं. ली किंग की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त हिट हैं और इंस्टाग्राम पर लाखों लोग उन्हें फॉलो कर रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/Kim Hong-Ji
शौक में शूरू किया था काम
26 वर्षीय ली ने आर्ट की कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की है. उन्होंने 17 साल की उम्र में कॉफी पर आर्ट का काम करना शौक की तरह शुरू किया और बाद में उन्होंने अपनी एक कॉफी शॉप शुरू की जहां उन्होंने इसे पेशे को अपने काम के रूप में चुन लिया है.
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साउथ कोरिया नया हब
1990 के बाद से अब तक दक्षिणी कोरिया में प्रति व्यक्ति कॉफी की खपत लगभग दुगनी हो गयी है. इसीलिए यहां कॉफी आर्ट का प्रचलन भी बहुत अधिक बढ़ गया है.