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आधुनिकता से जूझता एक प्राचीन शहर

७ अक्टूबर २०१७

पेरू में इंका सभ्यता के दौरान पानी की आपूर्ति की उनन्त तकनीक हुआ करती थी. यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित कुस्को शहर फिर से आधुनिक होने की कोशिश में है ताकि लोगों को स्वच्छ पानी और हवा मुहैया करा सके.

Tourismus in Peru
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Bouroncle

जलस्रोत से नहरों और नालों से होकर बगीचों के बीच से गुजरता पानी. ये नजारा पेरू में 600 साल पहले बना टिपॉन का खंडहर पेश करता है. ये जगह आज एक छोटे से स्वर्ग सी दिखती है. हाइड्रोलिक इंजीनियर रूबेन सियेरा पालोमीनो के अनुसार यहां 300 लोग रहते थे. 3500 मीटर की ऊंचाई पर बने इस संयंत्र को इंका समुदाय के तकनीकी ज्ञान की मिसाल माना जाता है. वे सालों से इस संयंत्र पर काम कर रहे हैं.

पालोमीनो बताते हैं, "टिपॉन एक बड़ी पर्यावरण प्रयोगशाला है जहां पूर्व हिस्पैनिक लोगों ने प्रकृति के संसाधनों का इस्तेमाल शुरू किया था, खासकर पानी का. यह पानी उनके अनुष्ठानों के अलावा खेती में काम आता था. इसके लिए उन्होंने खास हाइड्रोलिक प्रक्रिया ईजाद की थी. इसे हम इन नहरों, भूमिगत जल भंडारों और कृत्रिम जलसेतुओं में देखते हैं."

तस्वीर: Max T. Vargas /Instituto Ibero-Americano, Berlin

इंका लोगों को पानी को पहाड़ों से कई सौ मीटर नीचे तक लाने की कला में कामयाबी मिली थी. इस प्रक्रिया में पानी की धार नीचे जाते हुए तेज नहीं होती थी. वह नालों और नहरों की मदद से बगीचों में बंट जाती है और अंत में घाटी में गिर जाती है. टिपॉन के खंडहर से पश्चिम में कुछ किलोमीटर दूर है कुस्को. कुस्को 16वीं सदी में स्पेनी विजय से पहले तक इंका साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था. आज यह जगह पुराने खंडहरों और औपनिवेशिक स्पेनी वास्तुकला के लिए जानी जाती है. यहां हर साल 20 लाख पर्यटक आते हैं. शहर का विकास हो रहा है. आबादी बढ़ रही है, जो इस समय साढे 4 लाख है. फिर भी यह रहस्यमयी जगह है जहां इंका सभ्यता आज भी जीवित है.

शहर के बाहरी छोर पर भी नदी के बहाव में जलप्रबंधन का वही सिद्धांत दिखता है जो टिपॉन की खासियत है. सापी नदी में पानी की रफ्तार को कृत्रिम जलाशयों में बांधकर कम कर दिया जाता है. इससे पानी की सफाई भी होती रहती है. कचरा यहां की मुख्य समस्या नहीं है, असली समस्या है नदी के आस पास बसी बस्तियों के हजारों टॉयलेटों से सीधे बहकर आनेवाला गंदा पानी. सेडाकुस्का अधिकारी जोएल समालोआ जोरडान कहते हैं, "हमारा लक्ष्य है कि कुस्को में पानी को साफ किया जाए. यहां सापी नदी में भी. यहां पानी बहुत ही गंदा है और ये हमारी जिम्मेदारी है कि नदी का पानी साफ सुथरा हो, उसमें जहर न हो."

तस्वीर: Joachim Eggers

लेकिन यह काम आसान नहीं. समस्या शहर के बाहर बनी ढेर सारी नयी बस्तियां हैं. पश्चिमोत्तर इलाके में ही 50 बस्तियां हैं, और सबको अपने टॉयलेट, वॉशबेसिन, बाथरूम, वॉशिंग मशीन और डिशवॉशर में इस्तेमाल होने वाले वाले पानी को निकालने के लिए कनेक्शन चाहिए. सापी नदी भूमिगत नहरों के जरिये शहर के दूसरे छोर पर सान खेरेनीमो तक बहती है. वहां एक सीवेज प्लांट लगाया गया है जहां गंदे पानी को ट्रीट किया जाता है. इस प्लांट पर सबको नाज है. 2014 से उसे और बेहतर बनाया जा रहा है. ट्रीटमेंट प्लांट के प्रमुख अल्वारो फ्लोरेस बोसा कहते हैं, "पेरू के सबसे आधुनिक प्लांट में काम करना बहुत ही संतोषप्रद है. और यह पेशेवर चुनौती भी है. हर दिन हम नयी तकनीक और नये अनुभवों की तलाश में रहते हैं, जिनका दुनिया में कहीं और इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन पेरू में नहीं."

पेरू में गंदे पानी का बहुत बड़ा हिस्सा बिना साफ हुए नदियों में डाल दिया जाता है. ये न तो नदियों के करीब रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और न ही पर्यावरण के लिए. कुस्को के प्रशासन ने इसे बदलने की चुनौती स्वीकार कर ली है.

योआखिम एगर्स/एमजे

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