ईयू की गंदी बात
१३ फ़रवरी २०१४मानव तस्करी को यूरोपीय संघ आधुनिक युग की गुलामी का दर्जा देता है, लेकिन यूरोपीय संघ में सबसे ज्यादा तस्करी जिन इंसानों की होती है वो यूरोपीय नागरिक ही हैं.
यूरोपीय संघ की एंटी ट्रैफिकिंग कोऑर्डिनेटर मिरिया वासिलियादू कहती हैं, "हमें लगता है कि मानव तस्करी का शिकार लोग आस पास से कहीं से आए हैं. इनमें से अधिकतर यूरोपीय संघ के नागरिक हैं. आपराधिक नेटवर्क इन्हें ईयू में ही खरीदते और बेचते हैं. इस सर्विस का इस्तेमाल करने वाले भी ईयू के ही लोग हैं."
ईयू की सांख्यिकी सूचना सेवा यूरोस्टैट के मुताबिक पहचाने गए पीड़ितों में से 61 फीसदी यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में रहने वाले होते हैं. 2009 से 2013 के बीच यूरोपीय पुलिस की जांच के मुताबिक जो यूरोपीय इसमें शामिल थे, उनमें से 40 फीसदी रोमानिया, 18 फीसदी हंगरी और 11 प्रतिशत बुल्गारिया से थे.
महिलाएं ज्यादा पीड़ित
मानव तस्करी से अधिकतर महिलाओं या लड़कियों को नुकसान होता है. तथ्य यह है कि 2008 से 2010 के बीच यूरोस्टैट ने जिन लोगों का पंजीकरण किया उनमें से 62 प्रतिशत का अपहरण देह व्यापार के मकसद से किया गया था.
सरकारी एजेंसियां और गैर सरकारी संगठन खतरे में पड़े लोगों को पहचानने और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखने में मदद करते हैं. जर्मनी में 37 संगठन हैं जो मानव तस्करी और हिंसा के खिलाफ बने जर्मन नेटवर्क और कोऑर्डिनेशन ऑफिस (केओके) के लिए काम करते हैं. इस ऑफिस की कार्यकारी निदेशक नेल टैनिस बताती हैं, "गैर सरकारी संगठनों ने ही ये मुद्दा राजनीतिक एजेंडा पर रखा." यही एनजीओ अब पीड़ितों को डॉक्टर, वकीलों या अधिकारियों के पास ले जाते हैं.
टैनिस कहती हैं कि आधिकारिक आंकड़े सही तस्वीर दिखाते हैं. केओके जिनकी सहायता करता है उनमें से अधिकतर महिलाएं होती हैं. नाइजीरिया से भी लोग तस्करी का शिकार बनते हैं लेकिन इस पीड़ा से गुजरने वाले अधिकतर लोग बुल्गारिया, रोमानिया, हंगरी और पोलैंड के होते हैं. कुछ जर्मन भी होते हैं.
देह व्यापार से जुड़ा
यह दूसरी बात है कि ईयू के कुछ सदस्य देशों में देह व्यापार और मानव तस्करी करने वालों और उनके ग्राहकों को सजा देने के प्रावधान हैं लेकिन यूरोपीय संघ के सभी 28 देशों के लोगों को इससे नुकसान पहुंच रहा है. यूरोपीय आयोग मानव तस्करी और देह व्यापार में सीधा संबंध देखता है.
जबरी मजदूरी इसका एक कारण है. इसके अलावा मानव अंगों की अवैध तस्करी, अवैध तरीके से गोद लेना या जबरदस्ती शादी भी मानव तस्करी से जुड़ा है. ईयू में इन मामलों की संख्या पिछले कुछ साल में बढ़ी है. साथ ही यह आशंका भी है कि कई मामले सामने ही नहीं आते.
वासिलियादू कहती हैं कि इस मामले में और कोशिशों की जरूरत है. यूरोपीय संघ की 2011 की निर्देशिका में मानव तस्करी से निबटने की योजना बनाई गई. इसमें अपराधियों का फॉलो अप करने और पीड़ितों की सुरक्षा को दो अहम लक्ष्यों के तौर पर रखा गया.
सदस्य देशों को दो सालों में ही इस सिलसिले में ठोस कदम उठाने थे लेकिन सिर्फ 20 देश ही इस दिशा में कुछ कर पाए. जर्मनी ने भी अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है. वासिलियादू को डर है कि यूरोस्टैट की खास मानव तस्करी पर रिपोर्ट में और मामले रिकॉर्ड होंगे. वह कहती हैं कि कई ईयू देशों के बुरे हालात लोगों को परेशान कर रहे हैं. इससे सस्ते मजदूरों और कामगारों की मांग बढ़ रही है.
रिपोर्टः लुइसा फ्राय/आभा मोंढे
संपादनः महेश झा