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आधे से ज्यादा जर्मनों को परमाणु हमले का डर

१७ दिसम्बर २०२४

जर्मनी की आधी से ज्यादा आबादी को युद्ध में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का डर सता रहा है. मंगलवार को प्रकाशित एक सर्वेक्षण के नतीजे में यह बात पता चली है.

परमाणु हथियार की प्रतीकात्मक तस्वीर
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद जर्मनी की आधी से ज्यादा आबादी को परमाणु हमले का डर सता रहा हैतस्वीर: picture alliance/blickwinkel/McPHOTO/M. Gann

सर्वे में शामिल करीब 58 फीसदी लोगों को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का डर है, जबकि 57 फीसदी लोगों को परमाणु हादसे का खतरा महसूस हो रहा है. यह सर्वे जर्मनी के ऑफिस फॉर रेडिएशन प्रोटेक्शन यानी बीएफएस ने किया है. बीएफएस की अध्यक्ष इंगे पॉलिनी का कहना है कि डर का मुख्य कारण यूक्रेन के खिलाफ रूसी युद्ध है. इस रिपोर्ट के लिए 2,002 लोगों से मई-जुलाई 2024 के बीच टेलिफोन पर सर्वे किया गया.

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पॉलिनी ने यह भी कहा कि फरवरी 2022 में युद्ध छिड़ने के बाद से जिस तरह सुरक्षा के हालात बदले हैं, उसने जर्मन लोगों की विकिरण के खतरे को लेकर बनी धारणा में बड़ी भूमिका निभाई है. पॉलिनी का दफ्तर लगातार इस बारे में नई जानकारियां मुहैया करा रहा है. इनमें यूरोप के सबसे बड़े परमाणु बिजली संयंत्र जापोरिझिया से जुड़ी जानकारियां भी शामिल हैं. यह संयंत्र यूक्रेन में है और युद्ध छिड़ने के बाद इसकी सुरक्षा को लेकर अकसर आशंकाएं उभरती रही हैं. कई बार युद्ध की चिंगारी इस संयंत्र के आसपास पहुंची है.

रूसी हमले के बाद जापोरिझिया परमाणु संयंत्र को लेकर बार बार चिंता उभरती हैतस्वीर: Ukrainian Presidency/Anadolu/picture alliance

रेडियोधर्मी अदृश्य रेडॉन गैस  

इसी तरह रेडॉन गैस के बारे में भी लोगों को बहुत जानकारी नहीं है. विकिरण के जानकार कहते हैं कि रेडियोएक्टिव गैस रेडॉन से पैदा होने वाले खतरों के बारे जानकारी देने की जरूरत है. सर्वे से पता चला है कि लोगों में इस गैस को लेकर "जागरूकता की काफी कमी है." रेडॉन एक रेडियोएक्टिव गैस है जो प्राकृतिक रूप से धरती में पाया जाता है. इमारतों की नींव में मामूली दरार भी इस गैस के रिसाव का रास्ता बनाने के लिए पर्याप्त है. अगर यह रिहायशी इलाके में जमा हो जाए तो वहां रहने वाले लोगों में सांस के जरिए नियमित रूप से जा सकता है. इसके नतीजे में फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

पॉलिनी ने बताया, "रेडॉन फेफड़े के कैंसर का एक प्रमुख कारण है, लेकिन इसके बारे में जानकारी कम है." रेडॉन गैस ना तो दिखाई देती है, ना इसकी गंध आती है और ना ही इसमें कोई स्वाद होता है. सर्वे में शामिल 94 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्होंने अब तक रेडॉन से बचने के लिए कोई उपाय नहीं किया है. केवल 3 फीसदी लोग ही ऐसे हैं जो इसके लिए कुछ उपाय करते हैं. पॉलिनी ने बताया कि इसमें नियमित रूप से घर के खिड़कियां दरवाजे खोल कर हवा को आने जाने देना भी शामिल है. जिन विषयों के बारे में लोग ज्यादा जानना चाहते हैं, उसमें रेडॉन का नाम खूब लिया जाता है.

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विकिरण से खुद को बचाते हैं कुछ लोग

मोबाइल फोन से होने वाले विकिरण के बारे में सर्वे में शामिल 22 फीसदी लोगों ने बताया कि इसके लिए कुछ उपाय करते हैं. पॉलिनी ने जोर दे कर कहा, "वे लोग तब भी ऐसा करते हैं, जबकि फोन इस्तेमाल करने वालों की सेहत पर होने वाले असर से बचाने के लिए दिशा निर्देश और सीमाएं तय की गई हैं."

एक तरफ एक बड़ा वर्ग है जो स्मार्टफोन और इंटरनेट का समर्थन करता है और उससे होने वाले खतरों को लेकर बिल्कुल भी चिंता नहीं करता. दूसरी तरफ एक छोटा सा वर्ग है जो, "इसके बारे में चिंतित रहता है और आमतौर पर नई तकनीकों को लेकर संदेह जताता है."

एनआर/एए (डीपीए)

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