आप कहां जाते हैं, इसकी खबर गूगल को लगातार मिल रही है. भले ही आप अपने फोन की लोकेशन को ऑफ कर दे, फिर भी गूगल आपके ठिकाने का पता रखता है. एक पड़ताल में यह बात सामने आई है और एक्सपर्ट्स इसे निजता का उल्लंघन बता रहे हैं.
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प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस के शोधकर्ताओं के अनुसार एंड्रॉयड और आईफोन में गूगल की कई ऐसी सेवाएं हैं जो पर्सनल सेटिंग्स का इस्तेमाल करने के बावजूद आपकी लोकेशन का रिकॉर्ड रखती हैं. फोन इस्तेमाल करते वक्त आपने कई बार मैसेज देखा होगा जिसमें लोकेशन की इजाजत मांगी जाती है. मसलन, गूगल मैप का इस्तेमाल करते वक्त लोकेशन बतानी पड़ती है. ऐसा करने के बाद गूगल पर आपकी मूवमेंट का रिकॉर्ड दर्ज होने लगता है.
अपनी सफाई में गूगल का कहना है कि इससे कंपनी को यह रिकॉर्ड रखने में सुविधा होगी कि यूजर इस वक्त कहां है. अगर किसी यूजर को निजता के उल्लंघन का डर सता रहा है तो वह लोकेशन को ऑफ कर सकता है. गूगल के प्रवक्ता का कहना है, "लोगों की जिंदगी आसान बनाने के लिए गूगल कई तरह के ऐप की सुविधा देता है जिसमें लोकेशन हिस्ट्री, वेब ऐंड ऐप एक्टिविटी शाल है. हमने लोगों को हिस्ट्री डिलीट करने का विकल्प दिया है."
इन कंपनियों से भी चोरी हुआ है निजी डाटा
यूजर्स के निजी डाटा की चोरी फेसबुक के मामले के बाद सुर्खियों में आई लेकिन यह पहला मामला नहीं है जब डाटा चोरी हुआ है. आपके आसपास की तमाम कंपनियों में भी पिछले सालों के दौरान डाटा चोरी के कई मामले सामने आएं हैं.
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याहू
इंटरनेट सर्च इंजन याहू ने साल 2017 में यह बात मानी कि 2013 के दौरान कंपनी के करीब तीन अरब एकाउंट पर हैकर्स ने सेंध मारी थी. साल 2016 में प्रभावित एकाउंट्स की संख्या एक अरब कही गई थी. लेकिन 2017 में यह संख्या बढ़कर तीन अरब तक पहुंच गई.
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ईबे
ई-कॉमर्स कंपनी ईबे ने साल 2014 में डाटा चोरी का मामला दर्ज कराया था. कंपनी ने कहा था कि हैकर्स ने कंपनी के तकरीबन 14.5 करोड़ यूजर्स के नाम, पता, जन्मतिथि हासिल कर लिए हैं. कंपनी में काम करने वाले तीन लोगों के नाम का इस्तेमाल कर हैकर्स ने कंपनी नेटवर्क में जगह बनाई और सर्वर में 229 दिनों तक बने रहे.
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पिज्जा हट
पिज्जा हट ने साल 2017 में अपनी वेबसाइट और ऐप के हैक होने की बात स्वीकारी. कंपनी ने कहा कि इस डाटा चोरी में यूजर्स की निजी जानकारी को निशाना बनाया गया. हालांकि इस हैकिंग में कितने एकाउंट्स को निशाना बनाया था, उसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं दी गई. लेकिन स्थानीय मीडिया ने 60 हजार अमेरिकी ग्राहकों के निशाना बनने की बात कही थी.
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उबर
टैक्सी एग्रीगेटर ऐप उबर ने साल 2017 में करीब 5.7 करोड़ यूजर्स के डाटा लीक होने की बात कही. कंपनी को साल 2016 में हैकर्स की सेंधमारी का अंदेशा हुआ था. डाटा हैकिंग के इस मामले में हैकर्स ने कंपनी के साथ दर्ज छह लाख ड्राइवरों का लाइसेंस नंबर भी चुरा लिया था.
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जोमैटो
मोबाइल पर लोगों को खाने के ठिकानों की जानकारी देने वाली भारतीय कंपनी जोमैटो ने साल 2017 में डाटा चोरी की बात कही थी. कंपनी ने कहा था कि उसके करीब 1.7 करोड़ यूजर्स का डाटा चुरा लिया गया है. इसमें यूजर्स के ईमेल और पासवर्ड शामिल हैं. जोमैटो की स्थापना साल 2008 में दो भारतीयों ने की थी. फिलहाल कंपनी 23 देशों में अपनी सेवाएं दे रही है.
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इक्वीफैक्स
क्रेडिट मॉनिटिरिंग कंपनी इक्वीफैक्स पर हुआ साइबर अटैक डाटा चोरी का बड़ा मामला माना जाता है. इसमें करीब 14.55 करोड़ लोगों का निजी डाटा चोरी हो गया. इसमें संवेदनशील जानकारियां मसलन सोशल सिक्युरिटी नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर आदि के चोरी होने की खबर आई थी.
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बूपा
भारत में मैक्स समूह के साथ काम कर रही बीमा कंपनी बूपा भी डाटा चोरी का शिकार बन चुकी है. ब्रिटेन की इस कंपनी से जुड़े पांच लाख लोगों की बीमा योजनाओं की जानकारी हैकर्स ने चुरा ली थी. ब्रिटेन में करीब 43 हजार लोग इस डाटा चोरी से प्रभावित हुए थे.
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डेलॉयट
दुनिया की बड़ी कंसल्टेंसी फर्म में शुमार डेलॉयट भी हैकर की गिरफ्त में आ चुकी है. इस चोरी में हैकर्स ने कंपनी के ब्लू-चिप क्लाइंट की निजी जानकारी को निशाना बनाया. हालांकि इसमें कुछ गुप्त ई-मेल, निजी योजनाओं और डॉक्युमेंट्स को भी चुराया गया. इस हैकिंग का सबसे अधिक असर अमेरिकी ग्राहकों पर पड़ने की बात सामने आई थी.
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लिंक्डइन
नौकरी देने-लेने का प्लेटफॉर्म बन उभरा लिंक्डइन भी डाटा चोरी की शिकायत करता है. साल 2012 मे कंपनी के नेटवर्क को हैक कर करीब 65 लाख यूजर्स की जानकारी निकाल ली गई. इसमें रूस के हैकर्स का हाथ होने की बात कही गई थी. साल 2017 में कंपनी ने करीब 10 करोड़ यूजर्स के एकाउंट पर मंडरा रहे खतरे की जानकारी देते हुए कहा था कि हैकर्स, यूजर्स की जानकारी ऑनलाइन बेचना चाहते हैं.
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सोनी प्लेस्टेशन नेटवर्क
गेमिंग की दुनिया के लिए सोनी प्लेस्टेशन नेटवर्क में हुई डाटा चोरी चौंकाने वाली थी. साल 2011 में सामने आई इस हैकिंग में 7.7 करोड़ प्लेस्टेशन यूजर्स के एकाउंट हैक हो गए. इस हैकिंग से कंपनी को 17.1 करोड़ का नुकसान हुआ था और कंपनी की साइट भी एक महीने तक डाउन रही.
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जेपी मॉर्गन
अमेरिका के बड़े बैंकों में शुमार जेपी मॉर्गन भी अपना डाटा चोरी होने से नहीं बचा पाया. साल 2014 के साइबर अटैक में करीब 7.6 करोड़ अमेरिकी लोगों का डाटा चोरी हो गया और करीब 70 लाख छोटे कारोबारों को भी हैकर्स ने निशाना बनाया.
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हालांकि यह सच नहीं है. रिसर्च बताती है कि अगर लोकेशन हिस्ट्री को ऑफ कर दिया जाए तो भी ऐप ऑटोमैटिकली लोकेशन की जानकारी को सुरक्षित रख लेता है. गूगल मैप, मौसम की जानकारी देने वाले ऐप यूजर की लोकेशन पर ही निर्भर करते हैं और ये लगातार गूगल अकाउंट में सेव होते चलते हैं.
गूगल के इस दखल से अरबों गूगल एंड्रॉयड और करोड़ों आईफोन यूजर्स पर असर पड़ रहा है जो गूगल मैप का सहारा लेते हैं. प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंटिस्ट जोनाथन मायर का कहना है, "यूजर्स द्वारा लोकेशन डeटा ऑफ करने के बाद भी उसका रिकॉर्ड रखना गलत है. अगर आप यूजर को लोकेशन हिस्ट्री टर्न ऑफ की सुविधा देते हैं तो यह पूरी तरह से रेकॉर्ड के बाहर ही होना चाहिए."
इन दिनों निजता के उल्लंघन के मामले में बड़ी टेक कंपनियां आलोचना का सामना कर रही हैं. पिछले दिनों यूरोपीय संघ ने नए डाटा-प्राइवेसी नियम लागू किए हैं.
पिछले साल बिजनेस न्यूज वेबसाइट क्वार्ट्ज ने पाया कि एंड्रायड फोन का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के करीबी सेलफोन टावर का पता गूगल के पास पहुंच रहा था. ऐसा लोकेशन को ऑफ करने के बाद भी हो रहा था. आलोचकों का कहना है कि यूजर्स की लोकेशन का पता करने से गूगल को विज्ञापनों से मिलने वाली कमाई में बढ़ोतरी होती है.
गूगल की प्रतिद्वंद्वी एडवरटाइजिंग टेक्नोलॉजी कंपनी स्टीलेरी के पीटर लेंस के मुताबिक, ''गूगल डाटा इकट्टा करता है जिससे उसे विज्ञापन में सहूलियत होती है. जितना अधिक यूजर डाटा का रिकॉर्ड होगा, उतना मुनाफा बढ़ेगा.''
वीसी/एमजे (एपी)
गूगल के अलावा जहां और भी हैं...
गूगल के अलावा जहां और भी हैं...
जब भी इंटरनेट पर कुछ सर्च करना हो तो ज्यादातर लोग गूगल की शरण में जाते हैं. लेकिन इसके अलावा और भी बहुत सारे सर्च इंजन हैं, चलिए जानते हैं.
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गूगल
गूगल को किसी परिचय की जरूरत नहीं है. दुनिया भर में इंटरनेट सर्च के 64 फीसदी नतीजे लोग गूगल से ही हासिल करते हैं. मोबाइल और टैबलेट सर्च में गूगल 89 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सब पर भारी है.
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बिंग
गूगल को टक्कर देने के लिए माइक्रोसॉ़फ्ट ने बिंग को उतारा. लेकिन बाजार हिस्सेदारी में गूगल और उसके बीच 43 फीसदी का फासला है. तमाम कोशिशों के बावजूद माइक्रोसॉफ्ट लोगों को यकीन नहीं दिला पाया कि बिंग गूगल से बेहतर है.
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याहू
याहू अब भी एक लोकप्रिय ईमेल सर्विस प्रोवाइडर है. लेकिन इंटरनेट सर्च के मामले में उसे तीसरे नंबर से ही संतोष करना पड़ता है. हालांकि अक्टूबर 2011 से उसे बिंग की मदद भी मिल रही है.
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आस्क.कॉम
लगभग तीन प्रतिशत लोग अपने सवाल आस्क.कॉम से पूछते हैं. यह सर्च इंजन सवाल-जवाब वाले फॉर्मेट पर आधारित है, जहां जवाब अन्य यूजर देते हैं. जनरल सर्च का विकल्प भी इसमें होता है, लेकिन रिजल्ट उतने अच्छे नहीं मिलते.
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एओएल.कॉम
एओएल भी दुनिया के टॉप 10 सर्च इंजनों में शामिल है. हालांकि उसका मार्केट शेयर एक प्रतिशत से भी कम है. हालांकि अमेरिका ऑनलाइ यानि एलओएल के नेटवर्क में हफिंगटनपोस्ट.कॉम और टेकक्रंच.कॉम जैसी वेबसाइटें शामिल हैं.
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बाइदु
बाइदु को 2000 में शुरू किया गया और यह चीन में सबसे ज्यादा चलने वाले सर्च इंजन है. हर महीने इसके जरिए अरबों सवालों के जवाब सर्च किए जाते हैं. वैसे चीन में इंटरनेट पर कई तरह की बंदिशें हैं.
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वोल्फ्रामअल्फा
वोल्फ्रामअल्फा एक अलग तरह का सर्च इंजन है. इसे असल में कंप्यूटर नॉलेज इंजन कहा जाता है जो आपको बहुत सारे विषयों पर जानकारी और डाटा दे सकता है. यह गणनाएं भी कर सकता है.
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डकडकगो
इस सर्च इंजन के बहुत फायदे हैं. मसलन यह यूजर्स को ट्रैक नहीं करता. यह पूरी तरह विज्ञापन से नहीं भरा है और इसमें कई अच्छे फीचर हैं. फिर भी यह ज्यादा लोकप्रिय नहीं है.
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इंटरनेट आर्काइव
archive.org एक इंटरनेट आर्काइव सर्च इंजन है. इसके जरिए आप पता लगा सकते हैं कि कोई वेबसाइट 1996 के बाद से कैसे बदली है. किसी डोमेन के इतिहास में अगर आपकी दिलचस्पी है, तो ये आपके बहुत काम आ सकता है.
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यांडेक्स.आरयू
एलेक्सा का कहना है कि यांडेक्स दुनिया की 30 सबसे लोकप्रिय वेबसाइटों में से एक है. रूस में यह चौथी सबसे ज्यादा सर्च की जाने वाली वेबसाइट है. रूस में 65 प्रतिशत सर्च मार्केट पर इसी का कब्जा है.