शीशे से बंद एयरकंडीशनिंग वाले घर और दफ्तर भले ही आरामदायक महसूस होते हों, लेकिन ये आपकी हड्डियों को खोखला बना रहे हैं.
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आधुनिक जीवनशैली की प्रतीक माने जाने वाले ऐसे घर और दफ्तर न केवल ताजा हवा, बल्कि धूप से भी लोगों को वंचित करते हैं, जिस कारण शरीर में विटामिन-डी की कमी होती है और हड्डियां कमजोर होती हैं. नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ अस्थिशल्य चिकित्सक डॉक्टर राजू वैश्य ने देश के अलग-अलग शहरों में जोड़ों में दर्द एवं के एक हजार मरीजों पर अध्ययन कर पाया कि ऐसे मरीजों में से 95 प्रतिशत मरीजों में विटामिन-डी की कमी होती है और इसका एक मुख्य कारण पर्याप्त मात्रा में धूप न मिलना है.
आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉक्टर राजू वैश्य ने बताया कि दरअसल विटामिन-डी का मुख्य स्रोत सूर्य की रोशनी है, जो हड्डियों के अलावा पाचन क्रिया में भी बहुत उपयोगी है. व्यस्त दिनचर्या और आधुनिक संसाधनों के कारण लोग तेज धूप नहीं ले पाते. खुले मैदान में घूमना-फिरना और खेलना भी बंद हो गया है. इस कारण धूप के जरिए मिलने वाला विटामिन-डी उन तक नहीं पहुंच पाता. जब भी किसी को घुटने या जोड़ों में दर्द होता है, तो उसे लगता है कि कैल्शियम की कमी हो गई है, जबकि विटामिन-डी की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता.
डॉक्टर वैश्य का कहना है अगर कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन-डी की भी समय पर जांच करवा ली जाए तो गठिया को बढ़ने से रोका जा सकता है. डॉक्टर वैश्य के अनुसार, बचपन में खानपान की गलत आदतों व कैल्शियम की कमी के कारण आर्थराइटिस के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस की भी संभावना बहुत अधिक होती है. ऑस्टियोपोरोसिस में कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियों का घनत्व एवं अस्थिमज्जा बहुत कम हो जाता है. साथ ही हड्डियों की बनावट भी खराब हो जाती है, जिससे हड्डियां अत्यंत भुरभुरी और अतिसंवेदनशील हो जाती हैं. इस कारण हड्डियों पर हल्का दबाव पड़ने या हल्की चोट लगने पर भी वे टूट जाती हैं.
धूप से करें खुद की हिफाजत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक त्वचा के कैंसर के मामले दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे हैं. सूर्य की किरणों से त्वचा की रक्षा कैसे करनी है, जानिए यहां...
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दोपहर की धूप से बचें
सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच सूर्य की किरणों से बचने की कोशिश करें. इस समय पराबैंगनी किरणों का विकिरण सर्वाधिक होता है. संवेदनशील त्वचा वालों को और भी सावधानी बरतने की जरूरत है. छांह में पराबैंगनी किरणों का असर कम होता है, लेकिल फिर भी वहां भी आप इससे पूरी तरह नहीं बचे होते हैं.
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ढंग के कपड़े
सही कपड़े आपको पराबैंगनी किरणों के असर से काफी हद तक बचा सकते हैं. पूरी पैंट और पूरी बाजू की शर्ट पहनें. सिर भी ढक लें तो और भी अच्छा है. वस्त्र आपको पराबैंगनी किरणों से कितना बचाएंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह कपड़ा कौन सा है, उसकी बुनाई कैसी है, कितना मोटा है. कपड़ों के लिए पराबैंगनी किरणों से रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय यूवी मानक 801 है.
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सही सन प्रोटेक्टर का चयन
हर किसी की त्वचा अलग होती है, ऐसा सनस्क्रीन चुनें जो आपकी त्वचा के लिए सबसे सही हो. सुनिश्चित करें कि आपके सनस्क्रीन में यूवीए फिल्टर हो. 2007 से इस तरह के उत्पाद यूवीए लोगो के साथ आते हैं. यूवीए किरणें त्वचा के कैंसर के लिए बड़ी हद तक जिम्मेदार हैं.
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कितनी देर का हो रक्षा चक्र
आमतौर पर त्वचा खुद अपनी रक्षा 5 से 20 मिनट तक करती है, निर्भर करता है कि त्वचा कैसी है. सनस्क्रीन का एसपीएफ निर्धारित करता है कि आप कितनी और देर सूरज में रह सकते हैं. उदाहरण के तौर पर त्वचा की अपनी क्षमता अगर 5 मिनट की है तो एसपीएफ 50 वाला सनस्क्रीन त्वचा की 4 घंटे तक रक्षा करेगा.
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खूब सनस्क्रीन लगाएं
एक वयस्क को पूरे शरीर पर लगाने के लिए औसतन 35 ग्राम सनस्क्रीन की जरूरत होती है, यानि करीब चार टेबलस्पून. ध्यान रखें कि बाहर निकलने से कम से कम 20-30 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं.
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चश्मा लगाएं
तपती धूप में ज्यादा देर बाहर रहना आपकी आंखों को भी दूरगामी नुकसान पहुंचा सकता है. कई सालों तक इस बात का पता भी नहीं चलता. इसके अलावा आंखों में जलन, खुजली, लाल होना या धुंधलेपन की शिकायत भी हो सकती है.
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छतरी का इस्तेमाल
काली छतरियों से भी खासी मदद मिलती है. उन पर अलमुनियम की एक परत होती है जिससे कि छतरी के पार बहुत कम ही किरणें गुजर पाती हैं.
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पानी में भी रहें सतर्क
धूप में पानी के अंदर होना भी खतरनाक है क्योंकि पानी की सतह पराबैगनी किरणों की तीव्रता को और तेज कर देती है. ये पानी की सतह के करीब आधा मीटर अंदर तक प्रवेश कर जाती हैं. क्योंकि स्विमिंग से त्वचा ठंडी हो जाती है इसलिए इन किरणों से त्वचा के लाल होने पर हम बाद में गौर करते हैं. पानी में जाने के लिए जरूरी है कि वॉटरप्रूफ सनस्क्रीन इस्तेमाल किया जाए.
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डॉक्टर वैश्य बताते हैं कि सबसे ज्यादा चिंता की बात है कि वर्तमान पीढ़ी कम कैल्शियम वाला आहार और विटामिन-डी की अपर्याप्त मात्रा ले रही है, जिससे उनमें हड्डियों का घनत्व कम और हड्डियां कमजोर हो रही हैं. अमेरिकन सोसाइटी फॉर बोन एंड मेडिकल रिसर्च में पेश किए गए एक शोधपत्र में बताया गया है कि प्रतिदिन केवल एक पेय पदार्थ जैसे कोला पीने वाली महिलाओं की तुलना में प्रतिदिन तीन कोला पीने वाली महिलाओं के कूल्हे की हड्डियों का घनत्व 2.3 से 5.1 प्रतिशत तक कम पाया गया.
ऐसे में डॉक्टर वैश्य का सुझाव है कि बड़ी उम्र में होने वाले इस रोग से बचपन में ही बचाव किया जा सकता है. अगर बच्चों को खासकर किशोरावस्था में प्रतिदिन 1200 से 1300 मिलीग्राम कैल्शियम दिया जाए तो वे इस बीमारी से बच सकते हैं. लेकिन आंकड़ों के अनुसार, आम तौर पर बच्चे 700 से 1000 मिलीग्राम कैल्शियम का ही सेवन करते हैं.
याद करके ये फल जरूर खाएं
आखिरी बार आपने सेब कब खाया था? फलों को लेकर अपने आप से यह सवाल कीजिए क्योंकि जो चीजें फलों में छुपी हैं वो तड़केदार खाने में नहीं मिलेंगी.
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आंवला
आंवला बेहद गुणकारी फल है. इसमें नींबू से 17 गुना ज्यादा विटामिन सी होता है. आंवला पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है, खून को साफ करता है और त्वचा एवं बालों का भी ख्याल रखता है. आंवला शरीर को ठंडा भी करता है.
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आड़ू
आड़ू में ज्यादातर जरूरी पोषक तत्व होते हैं. आड़ू तंत्रिकाओं और मांसपेशियों को फायदा पहुंचाता है. आड़ू के छिलके में एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भरे होते हैं.
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अनानास
अनानास, ब्रोमेलैन का खजाना है. ब्रोमेलैन एंटी इंफ्लेमैटरी एंजाइम है. यह सूजन और घाव के खिलाफ कारगर होता है. अनानास का नियमित सेवन हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कम करता है.
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अंगूर
एंटीऑक्सीडेंट, पोटेशियम और आयरन, अंगूर इन सबसे भरा हुआ रसीला फल है. अंगूर मांसपेशियों में मरोड़ और एनीमिया के खिलाफ भी कारगर होता है.
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कीवी
विटामिन सी और ई से भरपूर कीवी कैंसर से बचाव कर सकता है. आंखों के लिए भी यह बहुत अच्छा फल है. इसमें कम कैलोरी होती है और बहुत ज्यादा फाइबर मौजूद रहता है.
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आम
फलों का रसीला राजा आम बीटा कैरोटीन से भरा होता है. बीटा कैरोटीन शरीर में दाखिल होने के बाद विटामिन ए में बदल जाता है और हड्डियों और प्रतिरोधी क्षमता को बेहतर बनाता है. आम से संतरे से ज्यादा विटामिन सी होता है.
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सेब
एक आम सेब में करीब 80 कैलोरी होती है लेकिन इस फल में भरपूर क्वेरटेसिन होता है. क्वेरटेसिन एक ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट है जो मस्तिष्क की कोशिशकाओं को टूटने से रोकता है. नियमित एक सेब खाने वाले वयस्कों को हाई बीपी होने की संभावना कम होती है,
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. J. Hildenbrand
अनार
अनार में पोटेशियम भरपूर होता है. 50 मिलीलीटर अनार का जूस रोज पीने से दिल फिट रह सकता है. लेकिन कुछ दवाओं के साथ यह रिएक्शन कर सकता है. दवा लेते वक्त डॉक्टर से जरूर इसकी जानकारी ले लें.
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केला
फाइबर और पोटेशियम से लबालब केला तुरंत ऊर्जा देता है. केले में कोई फैट या लवण नहीं होता. केला मांसपेशियों में जरूरी तरलता बनाये रखता है.
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ब्लूबेरी
ब्लूबेरी शरीर पर बढ़ती उम्र के असर को कम करती है. यह फल उम्र के साथ मांसपेशियों में होने वाले विघटन को धीमा करता है. दिमाग के लिए भी यह बहुत अच्छा फल है.