क्या आप एक महीना बिना फेसबुक के रह पाएंगे? पापुआ न्यू गिनी के लोगों को रहना पड़ेगा क्योंकि वहां की सरकार फेसबुक पर एक महीने के लिए बैन लगा रही है. लेकिन क्यों?
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प्रशांत क्षेत्र के देश पापुआ न्यू गिनी ने एक महीने के लिए फेसबुक पर बैन लगाने का फैसला किया है. सरकार का कहना है कि आम लोगों पर फेसबुक के असर को समझने और "फेक यूजर्स" को खत्म करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. संचार मंत्री सैम बासिल ने स्थानीय अखबार पोस्ट कुरियर को बताया कि सरकार की योजना इस बारे में शोध करने की भी है कि बैन के दौरान देश में इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का किस तरह इस्तेमाल किया जाता है.
इस बैन के दौरान सरकारी एनालिस्टों को फेसबुक का अध्ययन करने का मौका मिलेगा. बासिल ने बताया कि ऐसे लोगों की पड़ताल की जाएगी जो फेक अकाउंट बनाते हैं, अश्लील सामग्री पोस्ट करते हैं और झूठी और गुमराह करने वाली जानकारी पोस्ट करते हैं. उनके मुताबिक, इस पूरी कवायद का मकसद यह है कि लोग अपनी असली पहचान और नाम के साथ फेसबुक को इस्तेमाल करें. उन्होंने कहा, "हम अपने देश में फेसबुक का दुरुपयोग नहीं होने देंगे."
ऐसे जानिए फेसबुक पर अपना इतिहास
ऐसे जानिए फेसबुक पर अपना इतिहास
फेसबुक आपके बारे में इतना सब जानता है कि अगर आप भी कहीं कुछ भूल जाएं तो वह आपको बता सकता है. आप फेसबुक के आर्काइव में जाकर अपनी जानकारी कुछ इस तरह से निकाल सकते हैं.
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फेसबुक सेटिंग
सबसे पहले फेसबुक की अपनी सेटिंग में जाएं. (Facebook.com/settings)
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डाटा डाउनलोड
इसके बाद वाले पेज पर एक विकल्प आता है, अपने डाटा के डाउनलोड करने का.
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डाउनलोड आर्काइव
फिर क्या, क्लिक करें डाउनलोड आर्काइव. इस कमांड को लेने के बाद फेसबुक चंद मिनट लेगा आपका आर्काइव तैयार करने में.
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आर्काइव अलर्ट
चंद मिनटों बाद फेसबुक आपको आर्काइव तैयार होने का अलर्ट भेजेगा.
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जिप फाइल
इस अलर्ट के बाद आपको डाउनलोड आर्काइव का विकल्प क्लिक करना होगा. इसके बाद आपके कंप्यूटर पर जिप फाइल डाउनलोड होगी.
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फिर क्या
इसके बाद आप आर्काइव की एक-एक फाइल में जाकर झांक सकते हैं. फेसबुक पर आपकी जिंदगी की वो सभी जानकारी होगी जो आपने कभी इसके साथ साझा की थी.
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प्रोफाइल की कॉपी
अगर आप फेसबुक छोड़ने की सोच रहे हैं तो इस सोशल नेटवर्किंग साइट से अपने डाटा प्रोफाइल की एक कॉपी ले लेना बेहतर है. वाकई, फेसबुक अपने यूजर्स के बारे में बहुत जानता है.
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जब से फेसबुक डाटा लीक विवाद में फंसा है, तब से बहुत सी सरकारों की उस पर तिरछी नजर है. फेसबुक के करोड़ों यूजर्स का डाटा एक ब्रिटिश कंपनी कैम्बिज एनालिटिका तक पहुंचा था. इस मुद्दे को लेकर फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग की अमेरिकी और यूरोपीय संसदों में पेशी भी हो चुकी है. दोनों ही जगह उन्होंने माफी मांगते हुए डाटा सुरक्षा के लिए ज्यादा कदम उठाने का वादा किया है.
वैसे बासिल पहले भी प्राइवेसी का मुद्दा उठाते रहे हैं. पिछले महीने उन्होंने कहा था, "राष्ट्रीय सरकार को दरअसल कभी मौका ही नहीं मिला कि वह लोगों को फेसबुक के फायदों और नुकसान के बारे में बताए या फिर लोगों को सिखाए कि फेसबुक का इस्तेमाल किस तरह करना है." उनका कहना है कि अब एक व्यापक अध्ययन किया जाएगा जिसमें देखा जाएगा कि फेसबुक के होने या न होने से आम लोगों पर क्या फर्क पड़ता है.
उन्होंने कहा, "हम इस बात की संभावनाएं भी तलाश सकते हैं कि पापुआ न्यू गिनी के लोगों के लिए एक नया सोशन नेटवर्क बनाया जाए जिसे लोग अपने असली प्रोफाइल के साथ इस्तेमाल करें." वैसे अभी तक निश्चित तारीखों का एलान नहीं हुआ है कि कब से कब तक पापुआ न्यू गिनी में फेसबुक पर बैन रहेगा.
एके/ओएसजे (डीपीए)
जानिए, क्या है कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल?
क्या है कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल?
फेसबुक के डाटा लीक मामले में पांच चेहरे शक के घेरे में हैं. जानिए कौन हैं ये और क्या रही इनकी भूमिका.
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स्कैंडल के पीछे के चेहरे
फेसबुक पर आरोप है कि उसने पांच करोड़ लोगों के डाटा पर सेंध लगने दी. इस डाटा का इस्तेमाल कथित रूप से ब्रेक्जिट और अमेरिकी चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप के प्रोपेगंडा के लिए किया गया. इसे फेसबुक का अब तक का सबसे बड़ा डाटा ब्रीच कहा जा रहा है, जानिए कौन कौन शामिल है इसमें.
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कनाडा का विसल ब्लोअर
28 साल के क्रिस्टोफर वाइली ने ब्रिटेन के अखबार ऑब्जर्वर को यह जानकारी दी कि उसी ने कैम्ब्रिज एनालिटिका नाम की कंपनी के लिए ऐसा प्रोजेक्ट बनाया था जिसका इस्तेमाल डॉनल्ड ट्रंप की टीम ने किया. कैम्ब्रिज एनालिटिका ने कहा है कि वाइली अपने और कंपनी के काम को गलत तरीके से देख रहा है.
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स्टिंग ऑपरेशन
ब्रिटेन के चैनल 4 ने कैम्ब्रिज एनालिटिका के कई वरिष्ठ अधिकारियों का स्टिंग ऑपरेशन किया. इसमें कंपनी के सीईओ एलेक्सैंडर निक्स भी शामिल हैं. वीडियो में उन्हें 2016 में डॉनल्ड ट्रंप की जीत का श्रेय लेते हुए देखा जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि लोगों के डाटा का इस्तेमाल कर उन तक गलत जानकारी, घूस और यहां तक यौनकर्मी महिलाएं भी पहुंचाई गईं.
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ऐप से हुई शुरुआत
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर एलेक्जेंडर कोगान ने एक पर्सनैलिटी ऐप तैयार किया. इसके लिए उसने फेसबुक से तीन करोड़ लोगों का डाटा लिया. यह डाटा उसने कैम्ब्रिज एनालिटिका को दिया और बताया कि उसने जो भी किया है, वह कानूनी रूप से गलत नहीं है. कोगान का कहना है कि कंपनी उन्हें बलि का बकरा बना रही है.
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जकरबर्ग के खिलाफ जांच
फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने माफी मांगते हुए कहा है कि उनसे चूक हुई और भविष्य में ऐसा नहीं होगा. ब्रिटेन और यूरोप की सांसदों ने उन्हें समन किया है. वहीं अमेरिका के उपभोक्ता नियामकों ने फेसबुक के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. कंपनी के शेयर के दामों पर भी इस स्कैंडल का बड़ा असर पड़ा है.
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रणनीति बनाने वाले
डॉनल्ड ट्रंप के पूर्व स्ट्रैटजिस्ट स्टीव बैनन का नाम भी काफी उछल रहा है. माना जाता है कि उन्होंने ही प्रोपेगंडा वाले वे संदेश डेवलप किए जो लोगों तक पहुंचे. बैनन कैम्ब्रिज एनेलिटिका के पूर्व बोर्ड मेंबर हैं. पिछले साल अगस्त में उन्होंने व्हाइट हाउस छोड़ दिया और तब से ट्रंप उनसे दूरी बनाए हुए हैं.