सुदूर उबड़ खाबड़ द्वीप पर तेज हवाओं के थपेड़ों के बीच एक अकेला पेड़ वीरानियों से लड़ कर रिकॉर्ड बना रहा है. यह पेड़ इस द्वीप का मूल निवासी नहीं है फिर भी मौसमी झंझावातों के बीच डटा हुआ है.
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न्यूजीलैंड से करीब 70 किलोमीटर दूर दक्षिण की ओर कैम्पबेल द्वीप पर सिटका फर का एक पेड़ खड़ा है. इसके 250 किलोमीटर के दायरे में कोई दूसरा पेड़ नहीं है. सबअंटार्कटिक इलाके में तेज हवाओं और दुश्वार मौसम का सामना करते इस तन्हा पेड़ को दुनिया का सबसे सुदूर पेड़ माना गया है. कैम्पबेल द्वीप न्यूजीलैंड के सबअंटार्टटिक इलाके में बिल्कुल एक कोने पर मौजूद है.
कुछ लोग इस पेड़ को रैनफर्ली का पेड़ कहते हैं. वे लोग मानते हैं कि 1897 से 1904 तक न्यूजीलैंड के गवर्नर जनरल रहे लॉर्ड रैनफर्ली ने इस सूदुर द्वीप पर 1907 में यह पेड़ लगाया था. हालांकि कुछ लोग इसकी उत्पत्ति और पहले बताते हैं, वैज्ञानिक अब तक इसकी सही उम्र का पता नहीं लगा सके हैं. न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के रिसर्च एसोसिएट जोनाथन पाल्मर ने पेड़ कब लगाया गया यह जानने के लिए इस द्वीप की यात्रा भी की. हालांकि पेड़ ने अपनी आयु को छिपा रखा है. यहां से लिए गए नमूनों से इसकी उम्र का पता नहीं चल सका. पाल्मर का कहना है, "जिस तेजी से यह पेड़ बढ़ रहा है उसे देखने के बाद निजी रूप से मैं नहीं मानता कि इसे 1901 में लगाया गया होगा."
मौसम विज्ञानी मार्क क्रॉम्पटन को इस पेड़ का पुराना जानकार माना जाता है क्योंकि उन्होंने इस जगह का कई बार दौरा किया है और करीब 7 साल यहीं रहे हैं. इस पेड़ के अभिनंदन करने के लिए 1989 में यहां एक पट्टिका लगाई गई. तब गवर्र जनरल पॉल रीव्स ने इस द्वीप का दौरा किया था. क्रॉम्पटन को याद है कि तब 1907 में पेड़ लगाने की बात का जिक्र हुआ. हालांकि क्रॉम्पटन कहते हैं,"यह पट्टिका दो हफ्ते से ज्यादा नहीं टिक सकी."
फर के ये पेड़ उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट के मूल वासी हैं और आमतौर पर अलास्का और कैलिफोर्निया में पाया जाता है. क्रॉम्पटन कहते हैं, "तो कैम्पबेल द्वीप का फर अपने घर से बहुत दूर है."
पाल्मर ने इस बात पर सहमति जताते हुए ध्यान दिलाया कि दुखद रूप से पेड़ की इस प्रजाति को संरक्षित द्वीप पर लगाया गया है. पाल्मर ने कहा, "यह यहां पर ऐतिहासिक वजहों से है लेकिन मैं कठोरता से कहूंगा कि इसे यहां से हटाया जाना चाहिए क्योंकि इसमें बीज पैदा करने की क्षमता है जिससे समस्या होगी." संरक्षण अधिकारी इसकी निगरानी कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई बीज नजर नही आया है.
वनस्पति विज्ञानी रोडने रस और उनकी पत्नी शिर्ली का हेरिटेज एक्सपेडिशन उन्हें 1984 के बाद अकसर यहां लेकर आता है. ये लोग इसकी खूबसूरती को दुनिया के सामने ले जाना चाहते हैं ताकि लोग जिम्मेदारी के साथ सफर करें और प्राकृतिक विरासतों को सहेजें. उनके बेटे आरोन ने अब यह जिम्मेदारी संभाल ली है और उनके मन में भी यही भावना है. वो कहते हैं कि फर का यह पेड़ कभी अपने पूरे शबाब पर नहीं पहुंचा. यहां ऐसी अफवाहें हैं कि द्वीप के वैज्ञानिक हर साल इसकी ऊपरी शाखाओं को काट कर क्रिसमस ट्री के रूप में सजा लेते हैं.
आदर्श स्थिति में ऐसे पेड़ 100 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकते हैं हालांकि यहां कैम्पबेल में इसके लिए अनुकूल मौसम नहीं है. यहां साल में करीब 325 दिन बारिश होती है और महज 600 घंटे के लिए ही सूरज दिखाई देता है. इस प्रतिकूल मौसम में भी कई दशकों से तन्हा खड़ा पेड़ दुनिया को अपने हौसले और संयम का संदेश सुना रहा है, रिकॉर्ड बना रहा है.
एनआर/ओएसजे(डीपीए)
पेड़ों से जुड़ी 11 अनोखी बातें
पेड़ वातावरण से कार्बन सोखते हैं और जंगली जीवों को घर देते हैं. ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं. पेड़ ना सिर्फ आपस में बातें करते हैं बल्कि हमला होने पर दूसरे पेड़ों को खतरे की चेतावनी भी देते हैं.
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60 हजार प्रजातियां
येल यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने पता लगाया है कि पृथ्वी पर लगभग 3 लाख करोड़ पेड़ मौजूद हैं. इसमें पेड़ों की करीब 60,000 प्रजातियां हैं. इनमें से आधी से ज्यादा प्रजातियां ऐसी हैं जो सिर्फ किसी एक देश में पाई जाती हैं. ब्राजील, कोलंबिया और इंडोनेशिया में सबसे ज्यादा पेड़ों की प्रजातियां हैं. बुरी खबर यह है कि मानव सभ्यता की शुरुआत के वक्त जितने पेड़ मौजूद थे उनमें से 46 फीसदी लुप्त हो चुके हैं.
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पेड़ों का "प्रवासन"
पेड़ खुद को उखाड़ कर नहीं चल सकते लेकिन उनकी आबादी के केंद्र जलवायु परिवर्तन के दबाव में बदलते हैं. पूर्वी अमेरिका में 1980 से 2015 के बीच हुए एक रिसर्च में देखा गया कि पेड़ों की 86 प्रजातियां ज्यादा वर्षा वाले पश्चिमी इलाकों की तरफ बढ़ चलीं. इसी तरह कुछ पेड़ों की प्रजातियां बढ़ती गर्मी के दबाव में ध्रुवीय इलाकों की तरफ खिसक गईं. औसत रूप से इन प्रजातियों ने एक दशक में 16 किलोमीटर का सफर तय किया.
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शहरों को ठंडा रखते पेड़
पेड़ हमें सिर्फ छाया नहीं देते, ये अत्यधिक तापमान को घटाने में भी मदद करते हैं. सूरज के विकिरण को सोख कर यह पत्तियों के सहारे हवा में पानी छोड़ते हैं. अगर पेड़ ना हों तो शहरी इलाके गर्मियों में भट्टी बन जाएंगे. 2019 में हुई एक अमेरिकी स्टडी बताती है कि शहरों के अगर 40 फीसदी हिस्से में पेड़ों की छाया हो तो तापमान 5 फीसदी तक कम हो सकता है.
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प्रदूषकों को सोखते हैं पेड़
पेड़ वातावरण से सीओ 2 सोखते हैं. इस वजह से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग में इनकी भूमिका अहम हो जाती है. ये अपनी पत्तियों का इस्तेमाल हवा से पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन ऑक्साइड या सल्फर डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को छानने के लिए भी कर सकते हैं. ब्रिटेन में हुई हाल की स्टडी बताती है पुराने पेड़ सूक्ष्म कणों को क्रमानुसार 79 फीसदी, 71 फीसद और 70 फीसदी तक घटा सकते हैं.
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इंसान का इलाज
पेड़ इंसानों का तनाव घटाते हैं और हमें खुश और तंदुरुस्त रहने में मदद करते हैं. कई रिसर्चों ने यह दिखाया है कि प्रकृति में समय बिताने या यहां तक कि महज अपनी खिड़की से पेड़ों या फूलों की तरफ देखने भर से ब्लड प्रेशर कम होता है, प्रतिरक्षा तंत्र में मजबूती आती है, नींद अच्छी आती है और साथ ही तनाव और चिंता घटती है. इतना ही नहीं सर्जरी के बाद इंसान तेजी से चंगा होता है.
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बात करते हैं पेड़ पौधे
जंगल का अपना संचार तंत्र है जैसे कि जमीन के नीचे कोई इंटरनेट का जाल. यहीं से पेड़ को पोषक तत्व मिलता है और ये सूखे या बीमारी की चेतावनी देते हैं. पेड़ मिट्टी में मौजूद कवकों या फफूंद के जरिए आपस में संपर्क करते हैं इसे माइकोरिजाल नेटवर्क कहा जाता है. इकोलॉजिस्ट सूजैन सिमर्द की रिसर्च बताती है कि भोज का पेड़ या फिर फर का पेड़ इसी तंत्र के सहारे पानी, कार्बन और दूसरे पोषकों का लेन देने करते हैं.
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हवा से संकेत भेजना
अगर कोई भूखा शाकाहारी पेड़ों की पत्तियां खा जाए तो पेड़ भले ही ना भाग पाएं लेकिन वो अपने रसायनों को बाहर निकाल सकते हैं, यह एक वाष्पशील कार्बनिक यौगिक है. इन्हें बाहर निकल कर ये समान प्रजाति के दूसरे पेड़ों को खतरे की चेतावनी देते हैं. पिछले रिसर्च बताते हैं कि दूसरे पेड़ इसके बाद शाकाहारियों को दूर रखने वाले टॉक्सिन का उत्पादन बढ़ा देते हैं. बबूल का पेड़ अपनी पत्तियों को कड़वा बना देता है.
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मदद की पुकार
जब पेड़ों पर कीटों या परजीवियों का हमला होता है तो कुछ प्रजातियां हवा में ऐसे यौगिक छोड़ते हैं जो हमलावरों का शिकार करने वाले जीवों को सचेत कर दे. सेव, टमाटर, खीरा और कुछ दूसरे पौधे इनमें शामिल हैं. आमतौर पर ये शिकारी दूसरे कीट या पतंगे होते हैं. एक यूरोपीय रिसर्च ने तो दिखाया कि इल्लियों से ग्रसित पेड़ों ने ऐसे रसायन छोड़े जिससे कि झल्लियों को खाने वाले पक्षी इन पेड़ों की तरफ आकर्षित हुए.
पेड़ पृथ्वी पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में हैं. कोई पेड़ सैकड़ों यहां तक कि हजारों साल तक जिंदा सकता है. प्राचीन पेड़ों का ब्यौरा रखने वाली एक एजेंसी के मुताबिक सबसे पुराना ज्ञात पेड़ कैलिफोर्निया के सफेद पहाड़ों में एक देवदार का पेड़ है. इसका नाम मेथुसेलाह है और यह 4,850 साल पुराना है. लुटेरों से बचाने के लिए इसका सही पता नहीं बताया जाता है.
एक तस्वीर से दुनिया के सबसे विशाल पेड़ के साथ न्याय नहीं हो सकता. यह अब तक का सबसे विशाल ज्ञात जीवित पेड़ है. रेडवुड के इस पेड़ का नाम हाइपेरियन है और इसकी लंबाई 115.85 मीटर है. यह बिग बेन या फिर स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से भी ऊंचा है. इस विशाल पेड़ को 2006 में कैलिफोर्निया में खोजा गया था. माना जाता है कि यह कई सौ साल पुराना है.
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रिकॉर्ड बनाने वाले दूसरे पेड़
कैलिफोर्निया एक और विशाल पेड़ जेनरल शर्मन का भी घर है. जब आयतन की बात होती है तो इसे दुनिया का सबसे विशाल पेड़ माना जाता है. इसकी ऊंचाई 83.8 मीटर और व्यास 7.7 मीटर है. दुनिया के सबसे चौड़े पेड़ का खिताब अरबोल डेल टुले को है. मोनटेमा साइप्रेस का यह पेड़ मेक्सिको के ओक्साका राज्य में है. इसका व्यास 11.6 मीटर है जबकि परिधि 42 मीटर.