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आमिर संग रानी की 'तलाश'

९ दिसम्बर २०१२

अभिनेत्री रानी मुखर्जी को चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं पसंद हैं. वह हर फिल्म में अपने किरदार को एक चुनौती के तौर पर लेती हैं. नई फिल्म तलाश के प्रमोशन के लिए कोलकाता आई रानी मुखर्जी के साथ डॉयचे वेले हिन्दी ने बातचीत की.

तस्वीर: DW

आप लंबे अरसे के बाद आमिर खान के साथ किसी फिल्म में आई हैं. कैसा रहा अनुभव ?

आमिर एक बेहतरीन अभिनेता हैं. मैंने गुलाम में जब उनके साथ काम किया था तब मेरी उम्र 17-18 साल थी. हर फिल्म के साथ उनका अभिनय निखरता जा रहा है. एक नई अभिनेत्री के तौर पर मैंने उनसे काफी कुछ सीखा. वह एक परफेक्शनिस्ट हैं. हर फिल्म के साथ एक अभिनेता के तौर पर उनका कद बढ़ता ही जा रहा है. मैं खुद को उनके समकक्ष नहीं मानती. ऐसा सोचना भी ज्यादती होगी.

तलाश में आपने एक महिला निर्देशक रीमा कागती के साथ काम किया है. पुरुष और महिला निर्देशकों में कैसा अंतर महसूस करती हैं ?

निर्देशन के मामले में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह पुरुष है या महिला. पटकथा लिखने वाली अगर महिला हो तो कुछ अंतर जरूर पड़ता है. इसकी वजह यह है कि उसका नजरिया पुरुष पटकथा लेखकों से अलग होता है.

बालीवुड की फिल्मों के बारे में आपकी क्या राय है ?

मुझे लगता है कि बालीवुड हर फिल्म के साथ निखरता जा रहा है. हिंदी फिल्मों की अपनी अलग भाषा है और यह फिल्में वैश्विक मंच पर शानदार तरीके से अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही हैं. हिंदी फिल्मों में गीत व नृत्य की परंपरा अब भी बेमिसाल है.

रीमा कागती (बाएं), रानी मुखर्जी और फरहान अख्तरतस्वीर: DW

आप इन दिनों बहुत कम फिल्मों में नजर रही हैं. इसकी कोई खास वजह ?

मैं इन दिनों बेहद सतर्क हो गई हूं और फिल्मों के चयन में काफी सावधानी बरत रही हूं. तीन-चार साल पहले तक मैं आंख मूंद कर कोई भी फिल्म हाथ में ले लेती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है. मैं वही फिल्में हाथ में लेती हूं जिनके किरदार मुझे बोर नहीं करते यानी पसंद आते हैं. अगर कोई किरदार मुझे पसंद नहीं आएगा तो दर्शक उसे कैसे पसंद करेंगे.

आपको कैसी भूमिकाएं पसंद हैं ?

मैं हर फिल्म में अलग-अलग और चुनौतीपूर्ण किरदार निभाना चाहती हूं. एक जैसी भूमिका में देख कर दर्शक जल्दी ही आपसे ऊब जाते हैं.

फिल्मों के चयन में आप किस बात को प्राथमिकता देती हैं ?

फिल्मों के चयन में मैं पटकथा और अपने किरदार को प्राथमिकता देती हूं. मुझे लगता है कि हर फिल्म के किरदार और उसकी पटकथा में सामंजस्य होना चाहिए. दोनों चीजें बेहतर होने पर ही मैं उस फिल्म को हाथ में लेती हूं. मैं यह भी देखती हूं क्या मेरा किरदार समाज को कोई संदेश देता है.

तलाश के बाद आगे की क्या योजना है?

मैंने इसके बाद कोई और फिल्म हाथ में नहीं ली है. कुछ नए प्रोजकेट्स पर बात चल रही है. लेकिन अभी कुछ भी तय नहीं है. कोई दमदार भूमिका मिलने पर ही बात आगे बढ़ेगी.

इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता


संपादनः आभा मोंढे

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