कभी चिट्ठियों के जरिए दिलों के तार जुड़ते थे. आज के वर्चुअल वर्ल्ड में रियल लव कहां है? व्हाट्स्ऐप पर हम जो इमोजी भेजते हैं, क्या वे इमोशन में तब्दील होते हैं? शॉर्ट फिल्मों के जरिए इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढा जा रहा है.
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भारतीय फिल्मों में हमारे समाज की तरह ही हमेशा से रिश्तों की खास जगह रही है. आज शॉर्ट फिल्मों के दौर में कहानी किसी हीरो की नहीं, बल्कि मामूली इंसान के रिश्तों कही जा रही है. ये फिल्में बताती हैं कि भले ही भावनाओं को जाहिर करने तरीके और सलीके बदल जाएं, लेकिन रिश्ता वही रहता है. जर्मनी के श्टुटगार्ट में भी जो फिल्में आई उनमें नए भारत के रिश्तों की ऐसी ही कुछ तस्वीरें दिखीं. 15वें फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत फिल्म 'कुछ भीगे अल्फाज़' से हुई. ये कहानी उस वक्त की है जब सोशल मीडिया ने लोगों के जीवन में अहम जगह बना ली है.
शॉर्ट फिल्मों की खासियत है कि ये बॉलिवुड की चमक से बजाए नए ट्रेंड को भांपने को तरजीह देते हैं. इन फिल्मों में प्रेम करने के नए तरीके जैसे ब्लाइंड डेट, लीक से हटकर करियर चुनने की चाहत या हीनभावना से जूझते रहने जैसे कई पहलुओं को दिखाने की कोशिश की जा रही है. आज के युवा इनसे एक जुड़ाव महसूस करते हैं. यह बॉलिवुड के स्वप्नलोक जैसा तो नहीं है, लेकिन बोरिंग भी नहीं है.
क्या आप 360 डिग्री वाली फिल्में देखने को तैयार हैं?
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शॉर्ट फिल्मों के बढ़ते क्रेज के बारे में फिल्म 'कुछ भीगे अल्फाज़' के निर्देशक ओनीर का कहना है, "वह जमाना गया जब बॉलीवुड की मसाला फिल्में और समानांतर फिल्में दो अलग दुनिया हुआ करती थीं. दोनों आपस में घुलमिल गए हैं और दर्शक भी दोनों को देखना चाहते हैं."
यूट्यूब, नेटफ्लिक्स के बढ़ते क्रेज पर उन्होंने कहा, 'शॉर्ट फिल्मों ने फिल्ममेकर को आजादी दी है कि वह अपने मनमुताबिक फिल्म बनाए. दर्शकों को आजादी है कि अगर उन्हें 15 मिनट की फिल्म पसंद नहीं आई तो वे किसी और फिल्म पर क्लिक कर सकते हैं. इंटरनेट ने दोनों का सशक्त बनाया है.'
'कुछ भीगे अल्फाज़' में प्रमुख भूमिका निभा रहीं अभिनेत्री गीतांजलि थापा का कहना है कि सब्जेक्ट अच्छा हो तभी लोग फिल्म देखने आएंगे चाहे फीचर फिल्म हो या शॉर्ट फिल्म. भारतीय फिल्मों को विदेशों में पसंद इसलिए किया जाता है क्योंकि कहानी अच्छी होती है.
शॉर्ट फिल्मों की एक और खास बात है इनका कम बजट. 15 से 20 मिनट की फिल्म बनाकर अगर मैसेज पहुंच जा रहा है तो 3 घंटे की फिल्म की क्या जरूरत है. ओनीर कहते हैं, 'शॉर्ट फिल्म और वेब सीरीज का ट्रेंड बढ़ा है. अनुराग कश्यप, सुरजीत सरकार जैसे बड़े फिल्ममेकर शॉर्ट फिल्में बनाकर लोगों के हमेशा करीब रहना चाहते हैं. कम लागत में ज्यादा मुनाफा वाली थ्योरी ने भारत में शॉर्ट फिल्मों के बाजार को बढ़ाया है. आने वाले वक्त में इनकी प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी.
मछलियों को बचाने के लिए नंगे हुए सितारे
मछलियों को बचाने के लिए नंगे हुए सितारे
अपने चहेते फिल्म सितारों को मछलियों के साथ नंगा देखना किसे नहीं पसंद होगा? फिशलव अभियान ने फिल्मी दुनिया के कुछ नामी सितारों को यह संदेश देने के लिए इकट्ठा किया कि ज्यादा मछली पकड़ने से समुद्री इकोसिस्टम खतरे में है.
तस्वीर: Fishlove/J. Swannell
रिचर्ड ग्रांट
यूरोपीय संघ में मछलियों की लगभग 90 प्रजातियां हैं जिनके लुप्त होने का खतरा है. अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अनुसार शार्क, रे मछली और दूसरी नरम हड्डी वाली मछलियों को ज्यादा खतरा है. यहां रिचर्ड ई ग्रांट हेक मछली के साथ दिख रहे हैं.
तस्वीर: Fishlove/Rankin
जिलियन एंडरसन और ईल
कंगर ईल जहां अपनी जिंदगी शुरू करती है वहीं खत्म भी करती है. यानी उत्तरी अटलांटिक के दक्षिण पश्चिम कोने में स्थित सारगासो समुद्र में. कई दशकों से ईल मछली की तादाद घट रही है और ये प्रजाति अब गंभीर संकट में है.
तस्वीर: Fishlove/D. Rouvre
ग्रेटा स्काकी और कॉड
फिलव की स्थापना 2009 में ब्राइटन के रेस्तरां मालिक निकोलस रोएल और अमेरिकी अभिनेत्री ग्रेटा स्काकी ने मछली मारने की उन आदतों के खिलाफ जागरुकता पैदा करने के लिए की थी जो समुद्री जीवन को तबाह कर रही हैं. तब से मछलियों के साथ नंगे सितारों की तस्वीरों के कई अभियान चले हैं.
तस्वीर: Fishlove/Rankin
जूडी डेंच और लोब्स्टर
इस सिरीज की सारी मछलियां व्यावसायिक मछलीमारी का शिकार हो रही हैं, हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि उनमें से कुछ की ओवरफिशिंग हो चुकी है. हालांकि ईयू ने 2020 तक टिकाऊ तरीके से मछलीमारी का फैसला किया है, लेकिन यूरोपीय नौकाएं 2034 तक ओवरफिशिंग करती रहेगी.
तस्वीर: Fishlove/J. Swannell
बेन किंगस्ले और स्क्विड
अवर फिश अभियान की रेबेका हबर्ड कहती हैं, "यूरोपीय देशों के पास 2020 की समयसीमा तक अगले दो साल में ओवरफिशिंग खत्म करने की ताकत है, सिर्फ राजनीतिक इच्छा की जरूरत है. टिकाऊ मछलीमारी का मतलब है स्वस्थ मछलियां, अधिक नौकरियां, मछुआरों के लिए मुनाफा और स्वस्थ समुद्री पर्यावरण."
तस्वीर: Fishlove/Rankin
टेरी गिलियम और केकड़े
फिल्म निदेशक टेरी गिलियम इस तस्वीर में स्पाइडर केकड़े के साथ हैं, एक और खतरे में पड़ी प्रजाति. अभियान से जुड़े लोगों का कहना है कि इन तस्वीरों में इन मछलियों का इस्तेमाल जायज है, क्योंकि वे ओवरफिशिंग की वजह से लुप्त हो सकती हैं. किसी भी मछली को तस्वीरों के लिए नहीं पकड़ा गया है.
तस्वीर: Fishlove/
इमेल्डा स्टाउंटन और रे
ब्रिटिश अभिनेत्री इमेल्डा स्टाउंटन का कहना है, "ये सोचकर मेरा दिल टूट जाता है कि ओवरफिशिंग कर हम अपने सागरों का क्या कर रहे हैं, खासकर तब जब आपको पता हो कि हल कितना आसान है." हैरी पॉटर स्टार यहां एक सुनहरी रे मछली के साथ हैं जो मछली पकड़ने के दौरान फंसती है.