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आयरिश धार्मिक संस्थानों के काले अतीत की रिपोर्ट

२१ मई २००९

आयरलैंड में चर्च से जुड़े संस्थानों में कई वर्षों तक बेइंतहा बाल यौन शोषण होता रहा. चर्च के प्रमुख नेता इन वारदात पर आंखें मूंदे रहे. इस पर रिपोर्ट जारी होने के बाद आयरलैंड में कैथोलिक चर्च के प्रमुख ने माफ़ी मांगी है.

पोप बेनेडिक्ट ने भी चर्च संस्थाओं में शोषण पर जतायी है चिंतातस्वीर: AP

यौन शोषण की ये वारदातें चर्च से जुड़े संस्थानों में 1930 के दशक की बतायी गयी हैं. नौ साल की जांच पड़ताल के बाद सामने आयी ढाई हज़ार पेज की इस रिपोर्ट में कई दिल दहलाने वाले ब्यौरे दर्ज हैं. बताया गया है कि इन होस्टलों में रहने वाले बच्चे हमेशा इस ख़ौफ़ में पड़े रहते थे कि कब कोई आकर उन्हें पीट दे या धमका जाए.

और यही नहीं बाल यौन शोषण की तो यहां इतहां थी. कोई गलती से शिकायत करने की हिम्मत भी कर दे तो उसी को फिर से हिंसा का शिकार बनना पड़ता था. ये अत्याचार धार्मिक संस्थानों में बेरोकटोक जारी था और इस पर पर्दा डालने की कोशिश की जाती रही.

रिपोर्ट में कहा गया है कि संस्थानों के लोग बच्चों का यौन शोषण करते और धर्म के मामलों से जुड़े अधिकारी शिक्षा विभाग तक ये मामले पहुंचने ही नहीं देते थे. एक ख़ामोशी की संस्कृति बना दी गयी थी.

1990 के दशक में इस मामले पर आयरलैंड में हंगामा उठा. 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बेर्टी आहर्न ने अभूतपूर्व माफी मांगते हुए कहा कि पीड़ितों के दर्द की शिनाख़्त करने, उन्हें छुटकारा दिलाने और इस मामले पर दख़ल देने में एक सामूहिक नाकामी रही है. 2000 में पहली बार इन मामलों की जांच का काम सरकारी स्तर पर शुरू हुआ था. और इसके दायरे में चर्चे से जुड़े संस्थान, अनाथालय, स्कूल होस्टल और सुधार गृह लाए गए. आयरलैंड के लोगों ने इन मामलों पर मुआवज़े की मांग की है. इनमें से ज़्यादातर लोग, तीस से ज़्यादा देशों में फैले हुए हैं. चालीस फ़ीसदी मुआवज़ों की मांग महिलाओं की तरफ़ से आयी है.

बेर्टी आहर्न ने भी मांगी थी अतीत के इस कांड पर माफ़ीतस्वीर: AP

आयरलैंड के कैथोलिक चर्च के प्रमुख कार्दिनल सीन ब्राडी ने कहा कि वो तहेदिल से माफी़ मांगते हैं और बहुत शर्मिंदा हैं कि इन संस्थानों मे बच्चों ने ऐसी यातनाएं भुगतीं.

डबलिन के आर्चबिशप डियरम्युड मार्टिन ने कहा कि रिपोर्ट के नतीजे बुरी तरह झिंझोड़ने वाले हैं.

आयरलैंड में ये मामला राजनैतिक जगत में भी तूफान मचाता रहा है. और चर्च से जुड़े संस्थानों में इस तरह की वारदातों पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी आवाज़ उठायी है. सरकार का कहना है कि शोषण का ये काला इतिहास आने वाले दिनों और आज के लिए एक सबक की तरह याद रखा जाना चाहिए.


रिपोर्ट- रायटर्स, एएफपी

संपादन- एस जोशी

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