आरबीआई ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत इतिहास में पहली बार तकनीकी रूप से मंदी में प्रवेश कर गया है. लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी बढ़ने की जगह घटी है.
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देश में आर्थिक मंदी के होने की बात लंबे समय से कही जा रही है. आरबीआई पहली बार तकनीकी रूप से मंदी की बात इसलिए कह रहा है क्योंकि लगातार दो तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी बढ़ने की जगह घटी है. आरबीआई ने पहले कहा था कि 2019-20 वित्त वर्ष में अप्रैल से जून की पहली तिमाही में जीडीपी लगभग 24 प्रतिशत गिरी थी.
ताजा रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने बताया है कि जुलाई से सितंबर की दूसरी तिमाही में भी जीडीपी का घटना जारी रहा और यह 8.6 प्रतिशत गिरी. इस रिपोर्ट को लिखने वाले अर्थशास्त्रियों ने कई संकेतकों को देखा, जिनमें कंपनियों द्वारा अपने खर्चों को कम करना, बिक्री का गिरना, गाड़ियों की बिक्री, आम लोगों का बैंक खातों में ज्यादा पैसे डालना इत्यादि जैसी गतिविधियां शामिल हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि तालाबंदी की वजह से पूरी तरह से बंद हो गई आर्थिक गतिविधियां जब फिर से शुरू हुईं तो उद्योग क्षेत्र के हालात कुछ सुधरे लेकिन सेवा क्षेत्र उस तरह का प्रदर्शन नहीं दिखा पाया. खुदरा व्यापार, यातायात, होटल, रेस्त्रां जैसे क्षेत्र जिनमें लोगों के बीच संपर्क ज्यादा होता है, उन्होंने ने अभी भी रफ्तार नहीं पकड़ी है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हालात धीरे धीरे सुधर रहे हैं और अगर यह सुधार जारी रहा तो अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में जीडीपी में वृद्धि देखने को मिल सकती है. हालांकि चेतावनी भी दी गई है कि महंगाई भी बढ़ रही है और नीतिगत हस्तक्षेप में लोगों का विश्वास गिर रहा है.
इसके अलावा कई देशों में कोरोनावायरस के संक्रमण की दूसरी लहर के आने की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी वृद्धि की संभावनाओं को धक्का लगा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में चिंता का एक बड़ा विषय है कि घरों और कंपनियों दोनों पर आर्थिक दबाव बढ़ रहा है और यह दबाव वित्तीय क्षेत्र पर भी असर डाल सकता है.
करोड़ों लोगों की नौकरी जाने से लोगों ने खर्च कम कर दिए हैं और पैसों को बचाने पर ज्यादा ध्यान लगाना शुरू कर दिया है. प्रारंभिक अनुमान दिखा रहे हैं कि जो घरेलू बचत अप्रैल-जून 2019 में जीडीपी के 7.9 प्रतिशत पर थी वो अप्रैल-जून 2020 में बढ़कर 21.4 प्रतिशत पर पहुंच गई. इसमें से अधिकतर बचत बैंक खातों में की गई है.
कोरोना ने इन कंपनियों की सांस फुलाई
कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था, खासकर पर्यटन और विमानन उद्योग पर बड़ी मार पड़ी है. विश्वव्यापी तालाबंदी ने कई बड़ी कंपनियों की सांस फुला दी है. महीनों से रनवे पर खड़े विमानों ने एयरलाइन और होटल उद्योग का बुरा हाल किया है.
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रयान एयर
यूरोप की एक बड़ी बजट एयरलाइन रेयान एयर अपने तीन हजार कर्मचारियों को निकालने पर बात कर रही है. जिन कर्मचारियों को कंपनी निकालेगी नहीं, उनके वेतनों में भी कटौती की तैयारी हो रही है. भारी नुकसान के चलते कंपनी ये कदम उठा रही है.
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टुई
पर्यटन सेक्टर की दिग्गज कंपनी टुई की हालत भी कोरोना ने खराब कर दी. कंपनी अपने आठ हजार कर्मचारियों को निकलने पर विचार कर रही है. कंपनी ने कोरोना संकट को पर्यटन उद्योग के लिए अब तक का सबसे बड़ा संकट करार दिया है.
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हयात
दुनिया की मशहूर होटल चेन हयात भी अगले महीने अपने 1300 कर्मचारियों की छुट्टी कर रही है. इसके अलावा कंपनी ने वरिष्ठ पदों पर तैनात अधिकारियों के अलावा आम कर्मचारियों के वेतन में भी कटौती की है.
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ब्रसेल्स एयर
ब्रसेल्स एयर अपने चार हजार कर्मचारियों में 25 प्रतिशत को हटाने के लिए मजबूर है. बेल्जियम में लुफ्थांसा की इस सहायक एयरलाइन ने रिस्ट्रक्चरिंग के तहत अपने बेड़े में विमानों की संख्या 54 से 38 करने का फैसला किया है.
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एयर फ्रांस-केएलएम
फ्रांस की एयर फ्रांस और नीदरलैंड्स की केएलएम एयरलाइनों को मिलाकर बना यह समूह कर्मचारियों की संख्या में कटौती के लिए फ्रांस की मजदूर यूनियनों के साथ बात कर रहा है. कितने लोगों की नौकरी जाएगी, यह अभी साफ नहीं है. लेकिन कोरोना के कारण कंपनी को भारी घाटा उठाना पड़ा है.
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यूनाइटेड एयरलाइंस
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि इस अमेरिकी एयरलाइंस ने अपने 25 हजार फ्लाइट अटेंडेटों को बता दिया है कि उसके पास जून में सिर्फ तीन हजार लोगों के लिए ही काम है. सरकार की मदद की बदौलत अभी एयरलाइन सभी कर्मचारियों को वेतन दे पा रही हैं, लेकिन हालात नहीं सुधरे तो ऐसा कब तक चलेगा.
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डेल्टा एयरलाइन
अमेरिका की दिग्गज एयरलाइन डेल्टा ने यात्रियों से होने वाली कमाई का 95 फीसदी गंवाया है. कंपनी ने घोषणा की है कि वह लंबी दूरी वाले बोइंग 777 विमानों को रिटायर करेगी और इसी के साथ नौकरियों में कटौती का इशारा भी दिया गया है.
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हिल्टन होटल्स
होटल चेन हिल्टन के दुनिया भर में 60 फीसदी होटलों में काम ठप है. चीन में इस चेन के 150 होटल कोरोना संकट के दौरान पूरी तरह बंद रहे. हालांकि चीन में हालात सुधरने के बाद अब ये होटल खुल गए हैं, लेकिन दुनिया के अन्य इलाकों में हालात अब भी गंभीर हैं.