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क्या चिंताएं हैं आरोग्य सेतु ऐप को लेकर?

५ मई २०२०

सरकार ने अब आरोग्य सेतु डाउनलोड करना अनिवार्य कर दिया है. एक्टिविस्ट चेतावनी दे रहे हैं कि ना सिर्फ इस ऐप को लेकर कई चिंताएं हैं, बल्कि सरकार की नीति में अब प्रोत्साहन से जबरदस्ती की तरफ एक खतरनाक बदलाव भी हो रहा है.

Indien Coronavirus infizierte auf Smartphone
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Wire/SOPA Images/M. Rajpu

जैसे जैसे केंद्र सरकार की उसके द्वारा कोविड-19 से लड़ने के लिए बनवाए गए मोबाइल ऐप को देश में सभी मोबाइल फोन तक पहुंचाने की बेचैनी बढ़ती जा रही है वैसे वैसे ऐप पर विवाद भी बढ़ता जा रहा है. सरकार ने अब सभी लोगों के लिए आरोग्य सेतु ऐप को डाउनलोड करना अनिवार्य कर दिया है और एक्टिविस्ट चेतावनी दे रहे हैं कि ये प्रोत्साहन से जबरदस्ती की तरफ एक खतरनाक बदलाव है.

आरोग्य सेतु कोविड-19 पॉजिटिव मामलों को ट्रैक करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनवाया गया एक मोबाइल एप्लीकेशन है. ये स्मार्टफोन के जीपीएस और ब्लूटूथ की मदद से कोरोना वायरस संक्रमण को ट्रैक करने का दावा करता है. इसे मोबाइल में इंस्टॉल कर व्यक्ति को खुद ही अपने स्वास्थ्य संबंधी जानकारी इसमें डालनी होती है. सरकार का दावा है कि इसे एक बार मोबाइल में इंस्टॉल कर लेने से अगर व्यक्ति हमेशा जीपीएस, ब्लूटूथ ऑन रखे तो उसे घर से बाहर निकलने पर यह पता चलता रहेगा कि वो कहीं किसी संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में तो नहीं आया.

इसे अभी तक पांच करोड़ से भी ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है और केंद्र सरकार चाहती है कि ये देश में हर व्यक्ति के मोबाइल तक पहुंच जाए ताकि एक एक व्यक्ति के संक्रमण के स्टेटस की जानकारी इसमें आ जाए. इसलिए अब केंद्र सरकार ने सभी सरकारी विभागों और सभी निजी कंपनियों से भी कहा है कि वे सब अपने अपने कर्मचारियों के लिए इसे मोबाइल पर डाउनलोड करना अनिवार्य कर दें. लेकिन कई तकनीकी विशेषज्ञ और निजता एक्टिविस्ट इस ऐप का विरोध कर रहे हैं.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Swarup

आरोग्य सेतु की कमियां

विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय आरोग्य सेतु ऐप एक तरह के लीगल वैक्यूम में काम कर रहा है क्योंकि इसके इस्तेमाल का कानूनी आधार स्पष्ट नहीं किया गया है. इसके अलावा उनका आकलन है कि ऐप की निजता पॉलिसी और टर्म्स ऑफ सर्विस डाटा सुरक्षा के कई सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं, जैसे उद्देश्य को सीमित रखना, न्यूनतम डाटा लेना, उसके भंडारण को सीमित रखना, और डाटा को प्रोसेस करने में गोपनीयता, पारदर्शिता और निष्पक्षता का पालन होना.

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (आईएफएफ) ने आरोग्य सेतु एप्प पर विस्तृत रिसर्च कर कहा है कि उसमें कई कमियां हैं और उनके बारे में विस्तार से बताया है. आईएफएफ के अनुसार भारत में वैसे भी एक व्यापक डाटा सुरक्षा कानून का अभाव है और सर्विलांस और इंटर्सेप्शन के कानून हैं वो आज की हकीकतों से बहुत पीछे हैं. आईएफएफ यह भी कहता है कि सिंगापुर और कुछ यूरोपीय देशों में भी सरकार इस तरह के ऐप का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन वहां ऐसी कई बातों का ख्याल रखा जा रहा है जिन्हें भारत में नजरअंदाज कर दिया गया है.

जैसे, सिंगापुर में सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रालय इस तरह की प्रणालियों द्वारा इकठ्ठा किए गए डाटा को देख या इस्तेमाल कर सकता है और नागरिकों से वादा किया गया है कि पुलिस जैसी एजेंसियों की पहुंच इन प्रणालियों और इनमें निहित डाटा तक नहीं होगी. इसके ठीक उलट, भारत में स्वास्थ मंत्रालय के इसमें मुख्य रूप से शामिल होने के कोई संकेत नहीं हैं.

दूसरे देशों से तुलना

सिंगापुर में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का इस्तेमाल सिर्फ बीमारी के नियंत्रण के लिए हो रहा है और तालाबंदी और क्वारंटाइन जैसे कदम लागू करने के लिए नहीं हो रहा है. आरोग्य सेतु में यह सब करने की गुंजाइश निहित है. अधिकतर ऐप ब्लूटूथ का इस्तमाल करते हैं (जैसे सिंगापुर में) या जीपीएस का, लेकिन आरोग्य सेतु दोनों का इस्तेमाल करता है. अधिकतर ऐप सिर्फ एक बिंदु पर डाटा इकठ्ठा करते हैं लेकिन आरोग्य सेतु कई बिंदुओं पर डाटा मांगता है.

आईएफएफ के अनुसार आरोग्य सेतु में पारदर्शिता के मोर्चे पर भी कई कमियां हैं. ये ना ही अपने डेवेलपर्स और उद्देश्य के बारे में पूरी जानकारी नहीं देता बल्कि ये बाहरी विशेषज्ञों को इसकी जांच-पड़ताल की भी इजाजत नहीं देता. आलोचना का एक और अहम् बिंदु यह है कि ऐप के ही टर्म्स ऑफ सर्विस में लिखा हुआ है कि ये कोविड-19 पॉजिटिव व्यक्ति को पहचानने में गलती भी कर सकता है.

तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Lai

इसका मतलब इसके जरिए बिना मेडिकल जांच किए किसी को कोविड-19 पॉजिटिव घोषित किया जा सकता है और उस से आवाजाही जैसे मूल अधिकार छीन लिए जा सकते हैं. आरोग्य सेतु ऐप से संबंधित ऐसे और भी कई चिंताजनक विषय हैं जिन्हें आईएफएफ ने ना सिर्फ पहचाना है बल्कि इनके बारे में सरकार को लिखा भी है और कमियों को दूर करने के सुझाव भी दिए हैं.

राजनीतिक विरोध

लेकिन सरकार ने इन चिंताओं को संबोधित नहीं किया है और धीरे धीरे ऐप को सबके लिए अनिवार्य करने की मुहिम तेज कर दी है. आईएफएफ का कहना है कि पारदर्शिता और सरकार की जवाबदेही के अभाव में ये स्पष्ट है कि या तो इस ऐप के उद्देश्यों की सीमा को और बढ़ा दिया जाएगा या सर्विलांस का एक स्थायी जरिया बन जाएगा.

यही कारण है कि ऐप को लेकर देश में राजनीतिक सहमति भी नहीं है. कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ऐप को एक प्रभावशाली सर्विलांस प्रणाली बताया है.

लेकिन केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इस आरोप का खंडन किया है और कहा है कि ऐप का डाटा सुरक्षा आर्किटेक्चर मजबूत है.

तमाम आलोचना और राजनीतिक विरोध के बावजूद सरकार पीछे नहीं हट रही है और आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल को बढ़ाने की लगातार कोशिशें जारी हैं.

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