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आर्थिक पैकेज की घोषणाओं से गरीब नदारद

१३ मई २०२०

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से आर्थिक पैकेज की पहली किस्त की घोषणाएं अर्थव्यवस्था के कई स्तंभों को छूती हैं लेकिन इनमें समाज के उस तबके के लिए कुछ नहीं है जिस पर महामारी और तालाबंदी की सबसे ज्यादा मार पड़ी है.

Indien Allahabad | Coronavirus | Menschen auf der Straße
तस्वीर: Imago Images/P. Kumar Verma

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस आर्थिक पैकेज की घोषणा की, उसकी विस्तृत जानकारी की उत्सुकता से प्रतीक्षा हो रही थी. बुधवार 13 मई को वित्त-मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका ब्यौरा पेश किया. ये घोषणाएं अर्थव्यवस्था के कई स्तंभों को छूती हैं लेकिन जानकारों के बीच इन्हें लेकर उत्साह नहीं दिख रहा है. वित्त मंत्री ने 15 अलग अलग कदमों का उल्लेख किया, जिनमें से छह छोटे और मझौले उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र से संबंधित थे, दो भविष्य निधि से, दो एनबीएफसी से, एक बिजली वितरण कंपनियों से, एक विभिन प्रकार के ठेकेदारों से, एक रियल एस्टेट से और तीन टैक्स से जुड़े कदम थे.

एमएसएमई को कुल तीन लाख करोड़ रुपए के जमानत मुक्त लोन दिए जाएंगे, डूबते हुए ऐसे उद्योंगों को 20,000 करोड़ रुपए के विशेष लोन, अपना आकार बढ़ाने के इच्छुक उद्योगों को 50,000 करोड़ की आर्थिक मदद मिलेगी. अधिकतर छोटे और मझौले उद्योग पैकेज का लाभ उठा पाएं, इस लिहाज से उनकी परिभाषा में संशोधन जैसी घोषणाएं की गईं. भविष्य निधि में कंपनियों और कर्मचारियों के अनिवार्य योगदान को तीन महीनों के लिए 12 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत कर दिया गया है.

बिजली वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद दी जाएगी. रियल एस्टेट परियोजनाओं को पंजीकरण और कम्पलीशन के लिए छह महीनों का अतिरिक्त समय मिलेगा. सभी तरह के भुगतान में कटने वाले टीडीएस और टीसीएस की दरों में 25 प्रतिशत की कटौती की जाएगी. इससे कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले पेशेवर लोगों को फायदा मिलेगा.

तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/R. Shukla

सरकारी खर्च कहां है?

आने वाले दिनों में वित्त मंत्री और भी घोषणाएं करेंगी जिनमें अर्थव्यवस्था के और क्षेत्रों की भी बात होगी. प्रधानमंत्री ने मंगलवार को कहा था कि पैकेज कुल 20 लाख करोड़ रुपये का होगा. कुछ जानकारों का अनुमान है कि पहले चरण की घोषणाओं का कुल मूल्य छह लाख करोड़ रुपए है, लेकिन इसमें भारत सरकार के बजट में से एक-डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च नजर नहीं आता, क्योंकि अधिकतर कदम बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान लेंगे.

नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट में सेंटर फॉर एम्प्लॉयमेंट स्टडीज के डायरेक्टर प्रोफेसर रवि श्रीवास्तव ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इन घोषणाओं में कुछ चीजें थीं जो जरूरी थीं. उन्होंने कहा कि छोटे और मझौले उद्योंगों को पैसे मिलने के इंतजामों को मजबूत करने की बिल्कुल जरूरत है लेकिन समस्या यह है कि तमाम इंतजामों के बावजूद बैंक लोन नहीं दे रहे हैं और इन नई घोषणाओं के बाद भी देंगे या नहीं, ये देखना होगा.

इसके अलावा कुछ जानकार यह भी कह रहे हैं कि ये कदम इस समय उनके काम भी नहीं आएंगे जिनके लिए इन्हें उठाया गया है. नई दिल्ली में ही इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि लोन इत्यादि की सुविधाओं का लाभ एमएसएमई तभी उठा पाएंगे जब आर्थिक गतिविधि फिर से शुरू होगी क्योंकि अभी तो वे सब बंद पड़े हैं.

तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/R. Shukla

गरीबों के लिए कुछ नहीं

इससे भी बड़ी बात यह है कि कई विशेषज्ञ पैकेज के पहले चरण की घोषणाओं से निराश दिखे क्योंकि इनमें आर्थिक रूप से समाज के सबसे कमजोर तबके के लिए कुछ नहीं था. प्रोफेसर अरुण कुमार ने डीडब्ल्यू से कहा कि वो उम्मीद कर रहे थे कि सरकार सबसे पहले उन गरीबों के लिए एक सर्वाइवल पैकेज की घोषणा करेगी जो पूरी तरह से निर्धन हो चुके हैं, जिनकी आय और आजीविका छिन चुकी है, जिनके पास बचत के नाम पर कुछ भी नहीं है और जो गरीबी रेखा के नीचे गिर चुके हैं, लेकिन उनके लिए किसी कदम की घोषणा नहीं की गई.

अरुण कुमार कहते हैं कि इन घोषणाओं को देख कर लगता है कि सरकार को इस समय अपनी प्राथमिकताओं का आभास नहीं हो पा रहा है. प्रोफेसर रवि श्रीवास्तव का भी कहना है कि देश इस समय जिस तरह के मानवीय संकट से गुजर रहा है उससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीबों का तो वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री ने भूल कर नाम भी नहीं लिया. उन्होंने कहा कि यह इस बात का संकेत हो सकता है कि सरकार या तो गरीबों को जरा भी सीधी वित्तीय मदद नहीं देने वाली है या बस लाज बचाने के लिए कोई छोटी-मोटी रकम की घोषणा बाद में कर देगी.

विपक्षी पार्टियों ने भी पैकेज को लेकर इसी तरह की निराशा व्यक्त की. कांग्रेस ने कहा कि "मामूली एमएसएमई पैकेज को छोड़कर", पार्टी इन घोषणाओं से "निराश". पार्टी ने यह भी कहा, "विनाश के मुहाने पर खड़े निचले तबके के 13 करोड़ परिवारों को नकद हस्तांतरण के माध्यम से कुछ भी नहीं मिला" और "यह मेहनती लोगों के लिए एक क्रूर झटका है." उद्योग जगत ने पैकेज की घोषणाओं का स्वागत किया है. सीआईआई ने इसे एक "असरदार" पैकेज बताया है. फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि आज की घोषणाएं प्रधानमंत्री द्वारा दी गई चार "एल" की रूपरेखा में से एक एल यानी "लिक्विडिटी" पर आधारित थीं.

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा था कि ये पैकेज चार एल पर आधारित होगा - लैंड यानी भूमि, लेबर यानी श्रमिक, लॉ यानी कानून और लिक्विडिटी यानी नकदी.

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