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आर्थिक मंदी का रईसों पर कोई असर नहीं

२२ जून २०१२

दुनिया भर में आर्थिक मंदी के कारण भले ही सरकारें गिर रही हों, लेकिन रईसों की तिजोरियों पर इसका खास असर नहीं पड़ा है. उनका धन या तो फिक्स्ड डिपॉजिट में सुरक्षित पड़ा है या फिर हीरों और कला में उसे निवेश किया जा चुका है.

तस्वीर: picture alliance / Stephan Persch

वित्तीय सेवा देने वाली कंपनी कैपजेमिनी के अनुसार 2011 में दुनिया भर के रईसों को कुल 700 अरब डॉलर का नुक्सान हुआ. यदि यूरो संकट से इसकी तुलना की जाए तो यह बहुत ज्यादा नहीं लगता. यूरोपीय स्थिरता पैकेज (ईएसएम) के तहत यूरोप के देश अब तक 880 अरब डॉलर की सहायता राशि जमा कर चुके हैं.

यानी रईसों को नुकसान तो हुआ है. लेकिन पिछले साल का कुल नुकसान देखा जाए तो यह उसका केवल 1.7 प्रतिशत है. अब भी इनके पास 42 हजार अरब डॉलर की पूंजी जमा है. 10 लाख डॉलर से अधिक वित्तीय पूंजी वाले लोगों की संख्या बढ़ कर एक करोड़ से भी ज्यादा हो गई है. इनमें आधे से ज्यादा लोग अमेरिका, जर्मनी और जापान के हैं. इनमें से हर किसी के पास औसतन तीस लाख डॉलर का धन जमा है.

कैपजेमिनी के अनुसार एशियाई देशों में रईसों को उतना नुकसान नहीं हुआ जितना पश्चिम में. अधिकतर एशियाई लोगों के पास उतना ही धन जमा रहा जितना पिछले साल था. साथ ही नुकसान भी तब ही दिखता है अगर पूंजी की 2009 और 2010 से तुलना की जाए. इन दो सालों में निवेशकों ने काफी मुनाफा कमाया है. 2010 में कुल पूंजी में 3.7 हजार अरब डॉलर का इजाफा हुआ जबकि 2009 में 6.2 हजार अरब डॉलर का.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

लेकिन 2011 में निवेश में काफी कमी आई है. बाजार के बुरे हालात देखते हुए लोगों ने पैसा पिछले सालों की तरह निवेश नहीं किया है. इसकी जगह लोगों का ध्यान कला की तरफ गया है. सोने के बढ़ते दामों ने भी लोगों को फायदा पहुंचाया है. बाजार में निवेश करने की जगह हीरा और सोना ने लोगों को ज्यादा लुभाया.

जमा पूंजी के लिहाज से चीन दुनिया में चौथे नंबर पर है. कला और एंटीक का यहां बड़ा बाजार है. 2011 में दुनिया भर में कुल 30 प्रतिशत कलाकृतियां यहां से खरीदी गई. साथ ही चीन में रईसों की संख्या में पांच फीसदी की वृद्धि देखी गई. चीन में साढ़े पांच लाख से अधिक लोगों के पास 10 लाख डॉलर से अधिक की पूंजी है. हालांकि देश की आबादी को देखा जाए तो यह बहुत बड़ी संख्या नहीं है.

जानकारों का कहना है कि भले ही अब तक रईसों पर ज्यादा असर न पड़ा हो, लेकिन इस साल मंदी और बढ़ेगी और लोगों को बाजार में होने वाले उछाल या गिरावट के लिए तैयार रहना होगा.

आईबी/एमजी (डीपीए)

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