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'आर्थिक विकास की दर हो सकती है धीमी'

२० अक्टूबर २००८

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि वैश्विक वित्तीय संकट के कारण भारत के आर्थिक विकास की दर धीमी हो सकती है. हालांकि उन्होंनें आश्वासन दिया कि इस संकट से भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कोई ख़तरा नहीं है.

प्रधानमंत्री ने कहा है कि निजी और सरकारी बैंकों में रखा धन सुरक्षित हैतस्वीर: AP

संसद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि निजी और सरकारी बैंकों में रखा धन सुरक्षित है और भारतीय बैंक उचित नियमों के दायरे में काम करते है इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. मनमोहन सिंह ने कहा कि शेयर बाज़ारों में ज़बरदस्त गिरावट का सबसे ज़्यादा असर औद्योगिक देशों पर पड़ेगा जहां मंदी के आसार दिखाई दे रहे हैं.

उनके अनुसार विकसित देशों में आई मंदी का असर भारत पर परोक्ष रूप से पड़ेगा लेकिन ये असर कितना बड़ा होगा इस बारे में अभी कुछ कहना कठिन है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भरोसा दिलाया है कि रिज़र्व बैंक और सरकार स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं और वित्तीय व्यवस्था में धन उपलब्ध कराए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं.इससे पहले सोमवार को रिज़र्व बैंक ने बैंको को कम अवधि के लिए दिए जाने वाले ऋण की दर (रेपो रेट) 1 प्रतिशत घटा दी है.

2004 के बाद ये पहली बार है जब रेपो रेट में कमी की गई है. उम्मीद की जा रही है कि रिज़र्व बैंक के इस कदम से आम जनता को राहत मिलेगी. रेपो दर में कमी होने से व्यावसायिक बैंक रिज़र्व बैंक से 8 प्रतिशत की दर पर कम अवधि के लिए ऋण ले सकेंगें. रेपो रेट वो दर है जिस पर रिजर्व बैंक व्यावसायिक बैंकों को कम अवधि के लिए कर्ज़ मुहैया करातें है. ऐसे में रेपो रेट कम होने से व्यावसायिक बैंक ग्राहकों को कर्ज़ देने के लिए ब्याज़ दरों में कटौती कर सकते हैं. अभी तक ऋण लेने की ये दर 9 प्रतिशत थी.

तस्वीर: AP

वित्त मंत्रि पी चिदम्बरम ने रिज़र्व बैंक की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे निवेशकों में भरोसा जागेगा. इससे पहले रिज़र्व बैंक ने कैश रिज़र्व रेश्यो में कमी करते हुए बैंकिंग व्यवस्था में 145,000 करोड़ रूपए उपलब्ध कराए थे. विश्लेषकों का कहना है कि रिज़र्व बैंक की ओर से लिए जा रहे कदमों से मदद मिलेगी.

दुनिया में फैले वित्तीय संकट की आंच अब भारत तक भी पहुंचने लगी है और भारतीय वित्त बाज़ार पर पड़ रहे दबाव को ही हल्का करने के लिए और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सरकार और रिज़र्व बैंक ने कई उपायों की घोषणा की है.

रेपो रेट में 1 प्रतिशत की कमी की घोषणा 24 अक्तूबर को होने वाली उस बैठक से पहले हुई है जिसमें मौद्रिक नीति पर विचार किया जाना है. रिज़र्व बैंक का कहना है कि वैश्विक वित्तीय व्यवस्था अभी भी अनिश्चितता के दौर से गुज़र रही है और इसके चलते ये ज़रूरी है कि बाज़ार में भरोसा क़ायम किया जाए.

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