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आशा की चाह, सचिन को मिले भारत रत्न

२९ जुलाई २०१०

लता मंगेशकर तो मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की जबरदस्त प्रशंसक हैं ही, उनकी बहन आशा भोंसले की भी इच्छा है कि सचिन को भारत रत्न दिया जाए. उनके मुताबिक सचिन बल्लेबाजी ऐसे करते हैं मानो कोई कलाकार राग छेड़ रहा हो.

आशा भी सचिन की फैन

कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में तेंदुलकर ने पांचवा दोहरा शतक लगाया और भारतीय पारी को संभाल लिया. सचिन 203 रन बनाकर आउट हुए. तेंदुलकर की शानदार बल्लेबाजी से खुश आशा भोंसले ने कहा, "सचिन को भारत रत्न दिया जाना चाहिए. वह इसके हकदार हैं. इतने लंबे समय से वह देश का नाम ऊंचा कर रहे हैं. वह सिर्फ एक बल्लेबाज नहीं है बल्कि एक कलाकार हैं. जब वह बल्लेबाजी करते हैं तो ऐसा लगता है कि मानो कोई राग छेड़ रहा हो."

तस्वीर: UNI

दशकों से संगीत की दुनिया में राज कर रहीं आशा भोंसले क्रिकेट की दुनिया पर राज करने वाले सचिन को उनकी भव्य और कलात्मक बल्लेबाजी के लिए पसंद करती हैं. वह कहती हैं, "मैंने गैरी सोबर्स, क्लाइव लॉयड और विवियन रिचर्ड्स को बल्लेबाजी करते देखा है लेकिन सचिन जैसा तो कोई भी नहीं है. उनकी खेलशैली बिलकुल अलग है और उनकी कोई बराबरी नहीं कर सकता." इससे पहले अजीत वाडेकर, कपिल देव, दिलीप वेंगसरकर जैसे भारत के कई दिग्गज खिलाड़ी तेंदुलकर को भारत रत्न दिए जाने की मांग कर चुके हैं.

भोंसले ने ऑस्ट्रेलिया के तूफानी गेंदबाज ब्रेट ली के साथ एक अलबम भी रिकॉर्ड किया है और लंबे समय से उनकी इच्छा है कि वह सचिन तेंदुलकर के साथ भी गाएं. लेकिन उन्हें भरोसा नहीं है कि उनकी यह इच्छा पूरी होगी या फिर नहीं. उन्होंने कहा, "मैं सचिन के साथ गाना चाहती हूं लेकिन मुझे नहीं लगता कि कभी ऐसा हो पाएगा क्योंकि वह हमेशा व्यस्त रहते हैं. देखते हैं कि मेरा यह इंतजार कब खत्म होता है."

आशा भोंसले के मुताबिक सचिन का नाम उनके ससुर सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा गया और स्वाभाविक रूप से वह जुड़ा हुआ महसूस करती हैं.

तेंदुलकर 20 बरस से क्रिकेट जगत में छाए हैं लेकिन आशा भोंसले चाहती हैं कि तेंदुलकर 2011 वर्ल्ड कप के बाद भी खेलते रहें. वह कहती हैं, "सिर्फ वर्ल्ड कप ही क्यों. वह तब तक खेल सकते हैं जब तक उनमें खेल के प्रति दीवानापन है. उनको देखकर मुझे भी 75 साल की उम्र में गाने की प्रेरणा मिलती है. कभी वह कम स्कोर बनाते हैं तो कभी रनों का पहाड़ खड़ा करते हैं. आलोचना से कभी नहीं डरते. जो व्यक्ति हार से नहीं डरता वह सचिन तेंदुलकर बन जाता है."

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: वी कुमार

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