दक्षिणपूर्वी एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) और चीन ने आपसी रिश्तों के दर्जे को बढ़ा कर उन्हें व्यापक सामरिक साझेदारी में तब्दील करने का फैसला किया है. आसियान ने एक दिन पहले ऑस्ट्रेलिया के साथ इसी तरह का एक समझौता किया था.
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दक्षिणपूर्वी एशिया चीन और अमेरिका के बीच एक सामरिक युद्धभूमि बन गया है इस प्रांत के देशों के साथ चीन के पहले इस समझौते पर हस्ताक्षर कर लेना ऑस्ट्रेलिया के लिए एक प्रतीकात्मक जीत है. चीन के साथ समझौते की घोषणा ब्रूनेई के सुल्तान हस्सनल बोल्किया ने एक समाचार सम्मेलन में की.
ऑस्ट्रेलिया ने आसियान के साथ समझौता हो जाने पर कहा था की वो दक्षिणपूर्वी एशिया में स्वास्थ्य और ऊर्जा, आतंक के खिलाफ लड़ाई, अंतरराष्ट्रीय जुर्म के खिलाफ लड़ाई और सैकड़ों छात्रवृत्तियां देने की परियोजनाओं में 15 करोड़ डॉलर निवेश करेगा.
इसी तरह के समझौते की चाह में चीन के प्रीमियर ली कीशिंग ने आसियान के नेताओं से मुलाकात भी की थी. सूत्रों ने बताया है कि नवंबर में आसियान के नेता चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग के साथ एक विशेष वर्चुअल शिखर सम्मेलन में मिलेंगे.
सम्मेलन में बोल्किया से भविष्य में आसियान के आयोजनों में म्यांमार की मौजूदगी के बारे में भी पूछा गया. म्यांमार की सैनिक सरकार के मुखिया मिन आंग लैंग को इसी सप्ताह कई एशियाई बैठकों से अलग कर दिया गया था. बोल्किया से जब पूछा गया कि क्या म्यांमार को आसियान से निकाला भी जा सकता है, तो उन्होंने जवाब दिया, "म्यांमार आसियान परिवार का एक अभिन्न सदस्य है और उसकी सदस्यता पर कोई सवाल नहीं उठाया गया है."
आसियान में म्यांमार का भविष्य
उन्होंने यह भी कहा, "आसियान हमेशा म्यांमार के लिए मौजूद रहेगा और हमने पांच सूत्री सर्वसम्मति को लागू करने की शर्त पर मदद की पेशकश अभी भी जारी रखी हुई है." लैंग ने आसियान के साथ इसी सर्वसम्मति को अप्रैल में ही मान लिया था लेकिन उन्होंने इसे लागू नहीं किया, जिसकी वजह से उन्हें अलग कर दिया गया.
लैंग ने युद्धस्थिति का अंत करने, बातचीत शुरू करने, मानवीय मदद शुरू करवाने और एक आसियान के एक विशेष राजदूत द्वारा मध्यस्थता की कोशिशों को आगे बढ़ाने का वादा किया था. बोल्किया ने पत्रकारों से कहा, "इस बैठक के लिए हमने म्यांमार को जगह दी है और उसके साथ अहस्तक्षेप जैसे आसियान चार्टर के सिद्धांतों को दृढ़तापूर्वक बनाए भी रखा है."
एक अलग समाचार सम्मेलन में बोलते हुए, मलेशिया के विदेश मंत्री सैफुद्दीन अब्दुल्ला ने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि म्यांमार भविष्य में आसियान की बैठकों में शामिल होगा या नहीं. उन्होंने जोर दे कर कहा कि इस हफ्ते बैठक में हिस्सा ना लेने का फैसला म्यांमार का था. उनसे जब पूछा गया कि क्या म्यांमार आसियान के आयोजनों में भाग लेगा, तब उन्होंने कहा, "ये वो मिलियन डॉलर सवाल है जिसका जवाब मैं नहीं दे सकता."
सीके/एए (रॉयटर्स)
एक साथ कई कूटनीतिक विवादों में फंसा है चीन
भारत के साथ सीमा-विवाद हो, हॉन्ग कॉन्ग को लेकर आलोचना हो या महामारी के फैलने के पीछे उसकी भूमिका को लेकर जांच की मांग, चीन इन दिनों कई मोर्चों पर कूटनीतिक विवादों में फंसा हुआ है. आइए एक नजर डालते हैं इन विवादों पर.
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कोरोनावायरस
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने मांग की है कि चीन जिस तरह से कोरोनावायरस को रोकने में असफल रहा उसके लिए उसकी जवाबदेही सिद्ध की जानी चाहिए. कोरोनावायरस चीन के शहर वुहान से ही निकला था. चीन पर कुछ देशों ने तानाशाह जैसी "वायरस डिप्लोमैसी" का भी आरोप लगाया है.
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अमेरिका
विश्व की इन दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के आपसी रिश्ते पिछले कई दशकों में इतना नीचे नहीं गिरे जितने आज गिर गए हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार और तकनीक को लेकर विवाद तो चल ही रहे हैं, साथ ही अमेरिका के बार बार कोरोनावायरस के फैलने के लिए चीन को ही जिम्मेदार ठहराने से भी दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़ गए हैं. चीन भी अमेरिका पर हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनों को समर्थन देने का आरोप लगाता आया है.
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हॉन्ग कॉन्ग
हॉन्ग कॉन्ग अपने आप में चीन के लिए एक बड़ी कूटनीतिक समस्या है. चीन ने वहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करना चाहा लेकिन अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने इसका विरोध किया. हॉन्ग कॉन्ग कभी ब्रिटेन की कॉलोनी था और चीन के नए कदमों के बाद ब्रिटेन ने कहा है कि हॉन्ग कॉन्ग के ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट धारकों को विस्तृत वीजा अधिकार देगा.
चीन ने लोकतांत्रिक-शासन वाले देश ताइवान पर हमेशा से अपने आधिपत्य का दावा किया है. अब चीन ने ताइवान पर उसका स्वामित्व स्वीकार कर लेने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है. लेकिन भारी मतों से दोबारा चुनी गई ताइवान की राष्ट्रपति ने चीन के दावों को ठुकराते हुए कह दिया है कि सिर्फ ताइवान के लोग उसके भविष्य का फैसला कर सकते हैं.
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भारत
भारत और चीन के बीच उनकी विवादित सीमा पर गंभीर गतिरोध चल रहा है. सुदूर लद्दाख में दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे पर अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं. दोनों में हाथापाई भी हुई थी.
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शिंकियांग
चीन की उसके अपने पश्चिमी प्रांत में उइगुर मुसलमानों के प्रति बर्ताव पर अमेरिका और कई देशों ने आलोचना की है. मई में ही अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने उइगुरों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लागू करने वाले एक विधेयक को बहुमत से पारित किया.
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हुआवेई
अमेरिका ने चीन की बड़ी टेलीकॉम कंपनी हुआवेई को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की थीं. उसने अपने मित्र देशों को चेतावनी दी थी कि अगर वो अपने मोबाइल नेटवर्क में उसका इस्तेमाल करेंगे तो उनके इंटेलिजेंस प्राप्त की जाने वाली संपर्क प्रणालियों से कट जाने का जोखिम रहेगा. हुआवेई ने इन आरोपों से इंकार किया है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/J. Porzycki
कनाडा
चीन और कनाडा के रिश्ते तब से खराब हो गए हैं जब 2018 में कनाडा ने हुआवेई के संस्थापक की बेटी मेंग वानझाऊ को हिरासत में ले लिया था. उसके तुरंत बाद चीन ने कनाडा के दो नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया था और केनोला बीज के आयात को ब्लॉक कर दिया था. मई 2020 में मेंग अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ दायर किया गया एक केस हार गईं.
तस्वीर: Reuters/J. Gauthier
यूरोपीय संघ
पिछले साल यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने आपस में तय किया कि वो चीन के प्रति अपनी रण-नीति और मजबूत करेंगे. संघ हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर चीन की दबाव वाली कूटनीति को ले कर चिंतित है. संघ उसकी कंपनियों के चीन के बाजार तक पहुंचने में पेश आने वाली मुश्किलों को लेकर भी परेशान रहा है. बताया जा रहा है कि संघ की एक रिपोर्ट में चीन पर आरोप थे कि वो कोरोनावायरस के बारे में गलत जानकारी फैला रहा था.
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ऑस्ट्रेलिया
मई 2020 में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से जौ (बार्ली) के आयत पर शुल्क लगा दिया था. दोनों देशों के बीच लंबे समय से झगड़ा चल रहा है. दोनों देशों के रिश्तों में खटास 2018 में आई थी जब ऑस्ट्रेलिया ने अपने 5जी ब्रॉडबैंड नेटवर्क से हुआवेई को बैन कर दिया था. चीन ऑस्ट्रेलिया की कोरोनावायरस की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर भी नाराज है.
तस्वीर: Imago-Images/VCGI
दक्षिण चीन सागर
दक्षिण चीन सागर ऊर्जा के स्त्रोतों से समृद्ध इलाका है और चीन के इस इलाके में कई विवादित दावे हैं जो फिलीपींस, ब्रूनेई, विएतनाम, मलेशिया और ताइवान के दावों से टकराते हैं. ये इलाका एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग भी है. अमेरिका ने आरोप लगाया है कि चीन इस इलाके में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए कोरोनावायरस के डिस्ट्रैक्शन का फाय उठा रहा है.