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इंकलाब रैली को तैयार पाकिस्तान

१३ अगस्त २०१४

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद ऐसी दिख रही है, मानो किसी युद्ध की तैयारी में लगी हो. यहां गुरुवार को विशाल सरकार विरोधी रैली होने वाली है, जो शरीफ सरकार के लिए कड़ा इम्तिहान साबित हो सकती है.

तस्वीर: Reuters

शिपिंग कंटेनर से उन रास्तों को रोक दिया गया है, जो इस्लामाबाद के मध्य तक पहुंचाते हैं. सरकार के नुमाइंदे दोनों रैलियों में लोगों को पहुंचने से रोकना चाहते हैं. एक तो सरकार विरोधी धार्मिक गुरु की रैली है और दूसरी क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की. पूरे शहर में पुलिस की तैनाती की गई है, जो दंगा रोकने के लिए जरूरी पोशाक पहन कर गश्त कर रहे हैं.

कुछ इलाकों में तो मोबाइल फोन की सेवाएं भी रोक दी गई हैं. कुछ लोगों को डर है कि प्रदर्शनकारियों की संख्या नियंत्रित करने के लिए पेट्रोल की बिक्री भी प्रभावित की जा सकती है. लिहाजा लोगों ने गाड़ियों के टैंक फुल कराने का फैसला किया है. पेट्रोल पंपों पर लंबी लाइन दिख रही है.

पिछले हफ्ते लाहौर में कादरी की रैलीतस्वीर: Reuters

साल भर पहले नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने हैं और यह प्रदर्शन रैली उनके खिलाफ पहली बड़ी रैली है. इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज नाम के थिंक टैंक के प्रमुख रसूल बख्श रईस का कहना है, "मैं समझता हूं कि इस्लामाबाद में बड़ा इम्तिहान होने वाला है." प्रदर्शन करने वाले दोनों ही लोग नवाज शरीफ के विरोधी हैं. उनमें से एक धार्मिक नेता ताहिर उल कादरी हैं, जो कनाडा के नागरिक हैं. पाकिस्तान में मस्जिदों और मदरसों के संपर्क में रहने की वजह से वहां के कई लोग उन्हें फॉलो करते हैं और उनकी बात मानते हैं. उन्होंने पिछले साल चुनाव से पहले भी पाकिस्तान में एक रैली की थी, जो जबरदस्त कामयाब रही थी.

दूसरे नेता पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट कप्तान इमरान खान हैं, जिनकी तहरीके इंसाफ पार्टी ने पिछले साल के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था. दोनों ही नेताओं का कहना है कि शरीफ को गद्दी छोड़ देनी चाहिए और देश में नए चुनाव कराए जाने चाहिए. इमरान खान का आरोप है कि पिछले साल के चुनाव में धांधली हुई है, "लोगों का समुद्र इस्लामाबाद की तरफ आ रहा है और वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करेंगे. आप उन्हें रोक नहीं सकते हैं."

दोनों ही नेताओं ने इस प्रदर्शन के लिए पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस को चुना है. इस दिन वैसे भी देश में सुरक्षा का कड़ा प्रबंध रहता है. कुछ जगहों पर यह अफवाह भी है कि इन दोनों को सेना का समर्थन है, जिससे वे इनकार करते हैं. सेना भी इसका खंडन करती है.

विरोधियों से जूझते शरीफतस्वीर: picture alliance/AP Photo

इन दोनों दलों के प्रतिनिधियों ने आपस में मुलाकात करके अपनी रणनीति तय की है. इमरान खान का समर्थन कर रहे पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना है कि प्रदर्शनकारी किसी कीमत पर हिंसा नहीं करेंगे लेकिन वे मार्शल लॉ जैसी किसी चीज का विरोध भी करेंगे, "हम एक राष्ट्रीय एजेंडे पर काम कर रहे हैं ताकि देश में असली लोकतंत्र लाया जा सके."

उधर नवाज शरीफ भी इन रैलियों को हल्के में नहीं ले रहे हैं. उन्होंने कहा है कि पिछले साल के चुनावों की जांच की जाएगी. हालांकि इमरान खान कहते हैं कि जांच से पहले शरीफ को इस्तीफा देना चाहिए. इन सबके बीच पाकिस्तानी सेना पर भी नजर लगी हुई है, जिसने ज्यादातर समय पाकिस्तान पर राज किया है और नवाज शरीफ के खिलाफ 1999 में सैनिक तख्ता पलट हो चुका है.

एजेए/ओएसजे (एपी, रॉयटर्स)

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