इंग्लैंड के सामने धराशायी हुआ आस्ट्रेलिया
२९ दिसम्बर २०१०मेलबर्न टेस्ट के चौथे दिन लंच होने से पहले ही इंग्लैंड ने जीत हासिल कर ली. आस्ट्रेलिया के अंतिम खिलाड़ी को आउट करते ही अंग्रेज खिलाड़ी हवा में मुक्के लहराते हुए मेलबर्न के क्रिकेट मैदान में चक्कर लगाने लगे. दर्शकों के बीच बैठे उनके हजारों समर्थक गाने की धुन पर थिरकते हुए नारेबाजी करते हुए उनका जोश बढ़ा रहे थे.
मैच के चौथे दिन आस्ट्रेलियाई टीम ने छह विकेटों के नुकसान पर 169 रन के स्कोर से आगे खेलना शुरु किया. जीत के लिए उन्हें और 246 रनों की जरूरत थी.कंगारुओं की बाकी टीम केवल 89 रन और जोड़ कर ही आउट हो गई.
क्रिसे ट्रेमलेट ने मिशेल जॉनसन को दूसरे ओवर में ही पवेलियन का रास्ता दिखा दिया. जॉन्सन महज छह रन ही बना सके. पीटर सिडल ने थोड़ा संभल कर खेला और ग्रैम स्वान की गेंद पर केविन पीटरसन को लॉन्ग ऑन पर कैच थमाने से पहले 40 रन जुटाने में कामयाब रहे.
घायल रेयॉन हैरीस उनकी जगह नहीं ले सके और बेन हिल्फेनहाउस ने क्रीज संभाला. पर वो भी टीम ब्रेसनैन की गेंद पर विकेटकीपर मैट प्रायर को कैच थमा बैठे इसके साथ ही मैच पूरा हुआ. ब्रैड हैडिन ने सिडल के साथ अच्छी साझीदारी निभाई और 55 रन बनाकर नाबाद रहे.
इंग्लैंड की तरफ से टिम ब्रेस्नैन सबसे खतरनाक गेंदबाज साबित हुए जिन्होंने महज 50 रन देकर चार शीर्ष बल्लेबाजों को वापस भेज दिया और इसके साथ ही टीम के लिए जीत की बुनियाद तैयार कर दी.
जीत के बाद अंग्रेज टीम के कप्तान एंट्र्यू स्ट्रॉस ने कहा,"हमने इस जीत के लिए काफी मेहनत की है, ये जानकर कि हम अपने साथ वापस क्या लेकर जाने वाले हैं हम बेहद खुश और उत्साहित हैं. हमारी टीम के लिए ये खास मौका है. यहां आ कर एशेज जीतना वो पल है जो लंबे समय तक हम सबकी यादों में बना रहेगा."
हार से निराश नजर आ रहे आस्ट्रेलियाई रिकी पोंटिंग ने इस मौके पर कहा,"हमारे लिये ये कठिन सप्ताह रहा है, पारी और इतने रन से हारना निश्चित रुप से हमारे लिए निराशाजनक है, लेकिन आप लोगों का इसका पूरा श्रेय इंग्लैंड की टीम को देना चाहिए. उन्होंने सीरीज की शुरुआत से ही बहुत अच्छा खेल दिखाया है." इसके साथ ही पोंटिंग ने ये भी माना कि उनकी खुद की बल्लेबाजी बहुत खराब रही है.
1986-87 में माइक गैटिंग ने इंग्लैंड की टीम को आस्ट्रेलिया में एशेज में 2-1 से जीत दिलाई थी. एशेज का अंतिम मैच सिडनी में अगले हफ्ते होगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः एस गौड़