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इंटरनेट क्रांति से कोसों दूर है भारत

६ मई २०१२

भारत सबसे अधिक इंटरनेट इस्तेमाल करने वाला दुनिया का तीसरा देश जरूर है लेकिन आज भी देश के अधिकतर लोग इंटरनेट क्रांति से दूर ही हैं. ग्रामीण इलाकों में तो इंटरनेट की पहुंच न के बराबर है.

तस्वीर: Fotolia/pressmaster

12 करोड़ लोगों के साथ भारत इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले देशों की सूची में दुनिया में तीसरे नंबर पर है. इस से ऊपर 24.5 करोड़ यूजर्स वाला अमेरिका है और पहले स्थान पर 51 करोड़ यूजर्स वाला चीन है. भारत का तीसरे नंबर पर होना भले ही यह दर्शाता हो कि भारत सूचना क्रांति में अन्य देशों से बहुत आगे है, लेकिन करीब 120 करोड़ आबादी वाले देश में केवल बारह करोड़ लोगों का इंटरनेट इस्तेमाल करना समुद्र में बूंद के बराबर ही लगता है.

भारत सरकार के एक नए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि ग्रामीण भारत में केवल 0.4 प्रतिशत परिवार ही इंटरनेट की सुविधा का लाभ उठा पा रहे हैं. शहरों में भी यह संख्या बहुत अधिक तो नहीं है लेकिन गांवों के मुकाबले फिर भी ज्यादा है. शहरी इलाकों में करीब छह प्रतिशत परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा है. यह सब बताया गया है नेशनल सैम्पल सर्वे ऑरगेनाइजेशन (एनएसएसओ) की 2009-10 की रिपोर्ट में.

तस्वीर: picture-alliance / dpa

रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में एक हजार परिवारों में केवल 3.5 तक ही इंटरनेट पहुंच पाया है, जबकि शहरों में यह संख्या 59.5 की रही. इंटरनेट सुविधा सबसे बेहतर महाराष्ट्र में है. वहां हर हजार परिवारों में 104 के पास यह सुविधा उपलब्ध थी. दूसरे नंबर पर केरल और हिमाचल प्रदेश रहे, जहां यह संख्या 95 रही. इसके बाद 81.5 परिवारों के साथ हरियाणा तीसरे नंबर पर रहा.

अगर केवल ग्रामीण इलाकों की बात की जाए तो सबसे बेहतरीन नतीजे गोवा में देखने को मिले, जहां 1000 में से 50 परिवारों तक इंटरनेट पहुंच सका. इसके बाद 34 परिवारों के साथ केरल का स्थान रहा. केरल में ग्रामीण इलाकों में तीन प्रतिशत परिवारों के पास इंटरनेट है जबकि हिमाचल प्रदेश में दो प्रतिशत के पास. इसी तरह शहरों में महाराष्ट्र में दस प्रतिशत परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा है. यह शहरी इलाकों में सबसे बड़ी संख्या है.

भारत को दुनिया भर में आईटी के लिए जाना जाता है. कंप्यूटर से जुड़ी कई नई तकनीकें भारत के ही बड़े संस्थान या विदेश में रह रहे भारतीयों के योगदान से विकसित हो रही हैं. ऐसे में देश में एक छोटे से ही वर्ग के पास इस सुविधा का होना हैरानी भरा है.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया (पीटीआई)

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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