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इंटरनेट पर फैलते नफरत के दायरे

१९ जनवरी २०११

थाईलैंड में एक किशोरी ने लापरवाही से कार चलाते हुए नौ लोगों को कुचल दिया. किशोरी के इस कृत्य की निंदा करते हुए फेसबुक पर लगभग तीन लाख लोगों ने लड़की के खिलाफ एक हेट अभियान चलाया जिसे 'नो हैपीनेस फॉर एवर' नाम दिया है.

तस्वीर: dpa

फेसबुक पर इस अभियान में एक पोस्ट में कहा गया, "तुमने जो किया है उसके लिए तुम्हें सिर्फ मौत मिलनी चाहिए." एक अन्य पोस्ट में कहा गया कि तुम इंसान हो या...

कई पोस्ट में लड़की से बलात्कार करने की धमकियां भी मिल रही हैं. 16 साल की यह लड़की एक धनवान थाई परिवार की है और इस पर लापरवाही से कार चलाकर जान लेने के साथ बिना लाइसेंस के कार चलाने का आरोप है. पिछले महीने इस लड़की की कार बैंकॉक टोलवे में एक मिनी बस से भिड़ गई थी.

घटना के बाद एक फोटो की मदद से मालूम हुआ कि यह लड़की अपने स्मार्टफोन से चैटिंग करने में व्यस्त थी और घायलों को छोड़कर भागना चाहती थी. लेकिन लड़की के परिवार वालों ने इन आरोपों से इनकार किया है.

तस्वीर: picture-alliance/ dpa

ऑनलाइन पर हदें पार

इस लड़की के कॉन्टैक्ट डीटेल ऑनलाइन कर दिए गए हैं जहां उसे जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. दूसरी तरफ यह पता नहीं लग पाया है कि घटना किन परिस्थितियों में हुई. फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इसे एक संदिग्ध घटना बताया गया है.

इंटरनेट पर इस लड़की को कई तरह की धमकियां मिल रही है. लोग मनचाहे अंदाज में इस 'हेट कैंपेन' में अपनी बेबाक राय दे रहे हैं.

क्या है ई-मॉब

इस पर ब्रिटेन के साइकॉलजिस्ट एड्रियन स्कीनर कहना है कि इस तरह के बढ़ते कैंपेन के पीछे इंटरनेट डिसहैबीनेशन नामक ट्रेंड है. उन्होंने कहा कि यह ट्रेंड बढ़ता जा रहा है कि लोग इंटरनेट पर किसी को कुछ कहने से कम हिचकिचाते हैं और खुलकर कॉमेंट करते हैं क्योंकि बदले में उन्हें जवाब मिलने का डर नहीं रहता. एड्रियन स्कीनर ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन के माध्यम से किसी मुद्दे पर आसानी से रायशुमारी की जा सकती है. इसे ई-मॉब कहते हैं.

थाईलैंड में इंटरनेट का जोर

थाईलैंड में फेसबुक के यूजर्स की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इस वक्त यह आंकड़ा 74 लाख है, जो कुल जनसंख्या का 11 प्रतिशत है. पिछले साल थाईलैंड में राजनैतिक संकट, विपक्ष के विरोध प्रदर्शन जैसे मुद्दे इंटरनेट पर छाए रहे.

तस्वीर: AP

थाई नेटिजन नेटवर्क के साइबर कैंपेन ग्रुप की कॉर्डिनेटर सुपिन्या क्लांग्नारोंग ने कहा कि इस तरह के हथियार से लोग अपने अहसास, विचार और अपनी सोच को इंटरनेट के माध्यम से व्यक्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति अच्छी बात है, लेकिन हमें मालूम होना चाहिए कि इस अभिव्यक्ति की हद क्या है. हमें एक पैमाना बनाना होगा जिससे कि यह पता लगे कि कौन सा विचार रचनात्मक सोच से प्रेरित है और कौन सा विचार धमकी है.

थाईलैंड में इंटरनेट पर किसी के प्रति नफरत फैलाने वाले कैंपेन होना कोई नई बात नहीं है. चीन में जहां मीडिया को ज्यादा आजादी नहीं है तो वहां लोग सोशल नेटवर्किंग साइट जैसे फेसबुक, ट्विटर के जरिये अपनी बात रखते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियांएस खान

संपादनः वी कुमार

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